गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और शोध को नई दिशा देने के लिए यूपीनेडा ने 50 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत किया है। इस राशि से कैंपस में सेंटर फॉर एक्सीलेंस स्थापित किया जाएगा, जिसे IIT-BHU के सहयोग से हब-एंड-स्पोक मॉडल पर विकसित किया जाएगा। यह प्रस्ताव अगस्त 2024 में यूपीनेडा को भेजा गया था और विश्वविद्यालय की टीम ने विभिन्न चरणों में प्रस्तुतीकरण देकर परियोजना को आगे बढ़ाया। सेंटर की जिम्मेदारियां और नेतृत्व
केंद्र के समन्वयक के रूप में रसायन अभियंत्रण विभाग के प्रो. विठ्ठल एल. गोले और IIT-BHU के सेरेमिक अभियंत्रण विभाग के डॉ. प्रीतम सिंह को जिम्मेदारी दी गई है। सह-समन्वयक टीम में रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. राजेश कुमार यादव, रसायन अभियंत्रण विभाग के डॉ. रवि शंकर, डॉ. प्रतीक खरे, डॉ. ज्योति, विद्युत अभियंत्रण विभाग के डॉ. शेखर यादव और यांत्रिक अभियंत्रण विभाग के डॉ. प्रेम शंकर यादव शामिल हैं। शोध का मुख्य फोकस केंद्र का प्राथमिक फोकस बायोमास से ग्रीन हाइड्रोजन संश्लेषण की उन्नत तकनीक विकसित करना होगा। स्टार्टअप्स को बड़ा प्लेटफॉर्म ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र के स्टार्टअप्स को भी सेंटर से सीधा फायदा मिलेगा। प्रारंभिक चरण में 10 स्टार्टअप इनक्यूबेट किए जाएंगे और प्रत्येक को 25 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। अगले दस वर्षों में 50 स्टार्टअप्स को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे क्षेत्र में नए उद्यम और तकनीकी शोध को बढ़ावा मिलेगा। तकनीकी प्रशिक्षण और पायलट प्रोजेक्ट सेंटर फॉर एक्सीलेंस को उत्तर प्रदेश के पॉलिटेक्निक, आईटीआई और अन्य तकनीकी संस्थानों के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। इसके साथ ही, गोरखपुर से वाराणसी तक ग्रीन हाइड्रोजन से संचालित ट्रेन और बसों की व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने का दायित्व भी इसी केंद्र को दिया गया है। अनुदान की जानकारी मिलते ही कुलपति प्रो. जय प्रकाश सैनी ने परियोजना से जुड़े सभी सदस्यों को बधाई दी। साथ ही, उन्होंने माननीय कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अपर मुख्य सचिव (तकनीकी शिक्षा) एवं यूपीनेडा अध्यक्ष नरेंद्र भूषण के प्रति आभार व्यक्त किया।
https://ift.tt/3BOAv1L
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply