बुलंदशहर। कोतवाली देहात क्षेत्र में मारपीट के एक मामले में पीड़ित परिवार को एफआईआर दर्ज कराने के लिए 10 दिन तक पुलिस के चक्कर लगाने पड़े। लगातार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होने पर पीड़ित को अंतत: तहसील समाधान दिवस का सहारा लेना पड़ा। अधिकारियों के निर्देश के बाद देर शाम मुकदमा दर्ज किया गया। 25 नवंबर की रात घर में घुसकर हमला गांव हाल्तामाबाद निवासी संजय कुमार ने बताया कि 25 नवंबर की रात करीब सात बजे उनके पिता चंद्रपाल घर पर बैठे थे। इसी दौरान गांव के छत्रपाल, मोनू और नरेश लाठी-डंडे और सरिया लेकर घर में घुस आए। आरोप है कि आरोपियों ने गाली-गलौज करते हुए कूड़ा फेंकने को लेकर विवाद खड़ा किया और चंद्रपाल पर हमला कर दिया। मारपीट में वह गंभीर रूप से घायल हो गए। लोगों ने बचाया, डॉक्टरों ने रेफर किया शोर सुनकर मोहल्ले के रामपाल और धर्मेंद्र मौके पर पहुंचे और घायल चंद्रपाल को बचाया। संजय ने 112 नंबर पर सूचना दी और परिजनों की मदद से घायल को थाने और बाद में अस्पताल ले जाया गया। हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने चंद्रपाल को रेफर कर दिया। थाने से लौटाया, एसएसपी के पास पहुंचे संजय का आरोप है कि सूचना देने और तहरीर देने के बावजूद कोतवाली देहात पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। एफआईआर दर्ज न होने पर उन्होंने एसएसपी को प्रार्थना पत्र दिया। आरोप है कि एसएसपी के लिखित आदेश के बाद भी थानाध्यक्ष नीरज मलिक ने उन्हें लौटा दिया और कहा कि “तुम्हारे पिता अपने घर में गिरे होंगे, एफआईआर नहीं होगी। हम अपनी मर्जी से मुकदमा दर्ज करेंगे।” संजय के अनुसार 3 दिसंबर को वह तीसरी बार एसएसपी से मिले। इसके बाद भी कोतवाली स्तर पर कार्रवाई नहीं की गई और कथित तौर पर फिर कहा गया कि “उनके कहने से कुछ नहीं होगा।” तहसील दिवस में शिकायत के बाद दर्ज हुआ मुकदमा लगातार अनसुनी होने पर संजय ने शनिवार को तहसील समाधान दिवस में शिकायत की। अधिकारियों के कड़े निर्देश के बाद देर शाम आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। थाने में बैठकर एफआईआर दर्ज करने का अधिकार होने के बावजूद पीड़ित को बार-बार टालना और कथित रूप से “हम अपनी मर्जी से करेंगे” कहना पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। अब मामला दर्ज होने के बाद पुलिस की आगे की कार्रवाई पर नजर बनी हुई है।
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