गोगरी प्रखंड क्षेत्र में ठंड का मौसम शुरू होते ही दूध उत्पादन में कमी का असर दिखाई देने लगा है। पिछले सप्ताह की तुलना में कई क्षेत्रों में 10 से 15 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। इस कमी से न केवल पशुपालक परेशान हैं, बल्कि दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों और डेयरी व्यवसाय पर भी असर पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में दूध की मात्रा कम होने से बाजार में उपलब्धता घट रही है और दामों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। ठंड के कारण दूध उत्पादन में गिरावट पशुपालकों ने बताया कि सर्दियों में दुधारू पशुओं का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है, जिससे दूध की मात्रा स्वाभाविक रूप से घट जाती है। बोरना पंचायत के कई पशुपालक जैसे मोहम्मद शहाबुद्दीन, मीर शाहनवाज और हाजी गुफरान ने कहा कि यह समस्या हर वर्ष ठंड के मौसम में देखने को मिलती है। गिरावट के कारण सहकारी समितियों के संग्रह केंद्रों में दूध की मात्रा कम पहुंच रही है। किसानों की आमदनी और बाजार पर असर दूध उत्पादन में कमी से किसानों की आय प्रभावित हो रही है। दूध की कम उपलब्धता से डेयरी उत्पादों के दाम बढ़ रहे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालक आर्थिक दबाव में हैं। सहकारी समितियों ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है और कहा कि यदि उत्पादन लगातार कम रहा, तो बाजार पर इसका व्यापक असर पड़ सकता है। गोगरी प्रखंड के पशु चिकित्सक डॉक्टर बम शंकर सिंह ने बताया कि ठंड में दूध उत्पादन बनाए रखने के लिए पशुओं को कैल्शियम युक्त संतुलित आहार देना आवश्यक है। इसके अलावा सुबह-शाम गुनगुना पानी पिलाना, हरा चारा देना और उचित शेड व बिछावन का प्रबंध करना भी जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही देखभाल से ठंड के मौसम में भी दूध उत्पादन सामान्य स्तर पर रखा जा सकता है।
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