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कफ सिरप कांड में धनंजय सिंह का नाम क्यों:आरोपी अमित-आलोक से क्या संबंध; सपा के निशाने पर है बाहुबली

योगी सरकार के ‘ऑपरेशन क्लीन’ ने यूपी में कोडीन युक्त कफ सिरप (फेंसिडिल) के देश के सबसे बड़े अवैध नेटवर्क की कमर तोड़ दी है। प्रदेश के 40 जिलों में ये नेटवर्क चल रहा था। अब तक सोनभद्र, गाजियाबाद और रांची से 3.50 लाख से ज्यादा शीशियां जब्त हो चुकी हैं। 128 एफआईआर दर्ज हैं। 1166 ड्रग लाइसेंस निरस्त किए गए। इस अवैध कारोबार के नेटवर्क में शामिल 6 बड़े चेहरे और 68 अन्य गिरफ्तारियां हुईं। किंगपिन शुभम जायसवाल पार्टनरों के साथ दुबई में छिपा है। इस अवैध कारोबार में शामिल अमित सिंह टाटा और एसटीएफ से बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की गिरफ्तारी के बाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, उनके भाई धर्मेंद्र यादव और मछलीशहर से सपा सांसद प्रिया सरोज बिना नाम लिए ‘पूर्वांचल का बाहुबली’ बताकर उन पर सियासी हमले कर रहे। इस बार दैनिक भास्कर संडे बिग स्टोरी में पढ़िए…आखिर अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह से धनंजय सिंह के क्या रिश्ते हैं? किसी भी एफआईआर में नाम न होने के बावजूद धनंजय सिंह ही क्यों सपा के निशाने पर सबसे ज्यादा हैं? पूर्व सांसद धनंजय सिंह क्यों इस केस में सीबीआई जांच की मांग खुद ही कर रहे? कैसे हुआ कोडीन युक्त कफ सिरप के नेटवर्क का खुलासा?
प्रदेश में सबसे पहली FIR सोनभद्र जिले में रॉबर्ट्सगंज कोतवाली में 18 अक्टूबर को दर्ज हुई थी। सोनभद्र एसपी अभिषेक वर्मा के मुताबिक, दीपावली का समय था। वाहनों की चेकिंग पर सख्ती बरती जा रही थी। 18 अक्टूबर की रात में एक्साइज विभाग के साथ पुलिस की टीम वाहनों की चेकिंग कर रही थी। तभी एक ट्रक को रोका गया। उसमें नमकीन भरा था। ट्रक त्रिपुरा जा रहा था। ड्राइवर के पास नमकीन के ही बिल थे। नमकीन के बीच में कोडीन कफ सिरप की शीशियां छिपाकर रखी गई थीं। पुलिस ने 3.5 करोड़ की 1.19 लाख शीशियां जब्त कीं। ट्रक ड्राइवर हेमंत पाल, बृजमोहन शिवहरे और एमपी के ट्रांसपोर्टर रामगोपाल धाकड़ की गिरफ्तारी हुई थी। त्योहार के चलते तीनों से बिना पूछताछ किए पुलिस ने जेल भेज दिया। त्योहार के बाद पुलिस ने ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्टर से जेल में पूछताछ की। तब पता चला कि कोडीन कफ सिरप की ये शीशियां गाजियाबाद में लोड हुई थीं। पुलिस ने मेरठ से सौरभ त्यागी को दबोचा। इसके बाद वसीम और आसिफ के बारे में पता चला। पूछताछ के आधार पर टीम ने एक ट्रक रांची में और 4 ट्रक गाजियाबाद से जब्त किए। यहां चूने और चावल की बोरियों के बीच कफ सिरप की शीशियां छिपाकर रखी गई थीं। इसी पूछताछ में दुबई में छिपे आसिफ और वसीम के साथ शुभम जायसवाल का नाम पहली बार आया। इन तीनों के खिलाफ ही गाजियाबाद के नंदग्राम थाने में इसकी एफआईआर दर्ज है। ये भी पता चला कि शुभम के जरिए वसीम और आसिफ कोडीन युक्त सिरप की शीशियां बांग्लादेश तक पहुंचाते हैं। फेंसिडिल की 100 एमएल की ये सभी कोडीन युक्त कफ सिरप एबॉट कंपनी की बनी हैं। फेंसिडिल कोडीन कफ सिरप का उपयोग नशे के रूप में किया जाता है, इससे पहले इस कंपनी के सिरप के अवैध तरीके से हो रहे व्यापार को लेकर 22 महीने पहले 2024 में कार्रवाई हुई थी। तब यूपी सहित उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश तक फेंसिडिल कफ सिरप व कोडीन युक्त अन्य दवाओं को नशे के रूप में प्रयोग करने, अवैध स्टोरेज व व्यापार करने की शिकायतें मिली थीं। इस पर यूपी सरकार के निर्देश पर 12 फरवरी 2024 को एसटीएफ और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रसाधन विभाग (एफएसडीए) की संयुक्त जांच कमेटी गठित हुई थी। जांच के दौरान लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी में बड़ी मात्रा में कफ सिरप जब्त हुआ था। इस मामले में धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया था। लगभग डेढ़ साल बाद सोनभद्र पुलिस की कार्रवाई के बाद STF और एफएसडीए टीम फिर हरकत में आई और नए सिरे से इस केस की जांच में जुटी है। दवा प्रतिबंधित नहीं, फिर अवैध कारोबार कैसे हुआ? इसका जवाब सोनभद्र एसपी अभिषेक वर्मा ने दिया। सोनभद्र, गाजियाबाद, व रांची में बड़ी मात्रा में जब्त हुई कफ सिरप की शीशियों की जांच पुलिस, एसटीएफ के साथ ही FSDA की टीम ने भी शुरू की। एसपी वर्मा ने बताया कि इस दवा का उपयोग खांसी के वयस्क मरीज करते हैं। इसमें किसी तरह का नुकसान भी नहीं है। दवा दुकानदार, किसी को भी डॉक्टर के लिखे पर्चे पर बेच सकता है। 100 एमएल की दवा लगभग 100 रुपए की आती है। लेकिन इसका अवैध कारोबार ऐसे हुआ कि दवा दुकानों पर सप्लाई दिखाकर भंडारण किया गया और फिर इसी तरह नमकीन, धान की बोरियों व चूने आदि की बोरियों के बीच छिपाकर शराब बंदी वाले प्रदेशों से लेकर बांग्लादेश तक पांच से छह गुना अधिक कीमत पर बेचा गया। एसपी वर्मा ने बताया कि सौरभ जायसवाल के नाम पर संचालित फर्म शैली ट्रेडर्स और शिवाक्षा प्राइवेट लिमिटेड के यहां से जब्त कई ऐसी दवा उन दुकानों को सप्लाई दिखाई गई, जो वर्तमान में बंद हैं। सोनभद्र में एक ऐसी दवा की दुकान मिली, जिसका मालिक पेंटर है। उससे पूछताछ की गई तो बताया कि कुछ लोग उससे मिले थे। उसे पैन कार्ड बनवाने को कहा। फिर कहा कि तुम्हारे नाम से कंपनी खोलेंगे, उसमें तुम्हे भी पार्टनर बनाएंगे। फिर एक पोस्टर बनवाया और एक दुकान पर लगवा दिया। इसके बाद उस दुकान की फोटो खिंचवाकर वहां मेडिकल स्टोर खोल दिया गया। इसका बाकायदा ड्रग विभाग से लाइसेंस भी लिया गया। कुछ दिन बाद दुकान बंद हो गई। इसके बावजूद इस दुकान के नाम पर रोज बैंक से 20 से 40 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन होता था। ये सारी रकम शुभम की कंपनी शैली ट्रेडर्स और शिवाक्षा के नाम वाले बैंक खाते में जाती थी। एक बार तो सोनभद्र के एक बैंक कैशियर ने रकम जमा करने से मना कर दिया, फिर बैंक मैनेजर के कहने के बाद उसे रकम लेनी पड़ी। मेडिकल स्टोर संचालक से शुभम कैसे बना किंगपिन
कफ सिरप के इस अवैध कारोबार का असली सरगना मेरठ के सरधना निवासी आसिफ और वसीम थे। वर्तमान में दोनों दुबई में हैं। वहां करोड़ों का उनका बिजनेस है। वाराणसी के कायस्थ टोला प्रह्लाद घाट के शुभम का लॉकडाउन से पहले बनारस में ही मैदागिन पर मेडिकल स्टोर था। उसी दौरान एफएसडीए के एक बड़े अधिकारी ने उसकी पहचान आसिफ व वसीम से कराई। दोनों ने शुभम को ट्रिक बताई। फिर शुभम के माध्यम से वे कफ सिरप की सप्लाई का चेन बांग्लादेश तक फैला दिया। अमित व आलोक ने गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ को बयान दिया है कि आज़मगढ़ के नरवे गांव के रहने वाले विकास सिंह के माध्यम से उनका शुभम जायसवाल से परिचय हुआ था। विकास ने बताया था कि शुभम, एबॉट कंपनी की फेंसिडिल कफ सिरप का शैली ट्रेडर्स के नाम से बड़ा कारोबार झारखंड के रांची में है। ये कफ सिरप नशे के रूप में प्रयोग होता है, इसकी डिमांड पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में है। इस कारोबार में पैसे लगाने पर काफी कमाई होगी। इस लालच में आकर वह और फिर अमित टाटा तैयार हो गए। दोनों ने विकास के माध्यम से शुभम जायसवाल, उसके पार्टनर वरुण सिंह, गौरव जायसवाल व विशाल मेहरोत्रा से बातचीत की। फिर वे आलोक के नाम से धनबाद में श्रेयसी मेडिकल एजेंसी और अमित सिंह टाटा के नाम पर देवकृपा मेडिकल एजेंसी के नाम से जनवरी 2024 में दो फर्म बनवा दीं। फर्म का सारा लेन-देन शुभम जायसवाल व उसके पार्टनर और सीए तुषार देखते थे। आलोक और अमित ने धनबाद के बिजनेस में 5–5 लाख दिए थे। इसके एवज में इन्हें 22 लाख मिले थे। इसके बाद वे धनबाद दो से तीन बार ही गए। धनबाद, रांची का काम वरुण सिंह देखता था। इसके बाद दोनों के नाम पर बनारस में ड्रग लाइसेंस लेकर फर्म खुलवाई। आलोक के नाम पर मां शारदा मेडिकल फर्म और अमित के नाम पर श्री फर्म खुलवाई थी। सारा लेन-देन शुभम और उसके साथी करते थे। दोनों फर्म से दो-तीन महीने ही व्यापार हुआ। फिर एबॉट कंपनी ने कफ सिरप बनाना बंद कर दिया। बनारस की फर्म के एवज में 8 लाख रुपए का फायदा आलोक को मिला था। ये भी बयान में बताया कि शुभम जायसवाल और उसके पार्टनरों ने उनके अलावा अन्य लोगों के नाम से इसी तरह फर्जी फर्म बनवाकर फेंसिडिल कफ सिरप के फर्जी बिल व ई-वे बिल तैयार कर फर्जी खरीद-बिक्री दिखाते थे। फिर उस सिरप को तस्करों को बेच कर भारी मुनाफा कमाते थे। यहां तक कि उनके नाम पर बने ड्रग लाइसेंस में लगाया गया अनुभव प्रमाण पत्र व शपथ पत्र भी फर्जी है। उन लोगों (आलोक व अमित टाटा) ने कभी किसी दुकान पर कोई काम नहीं किया है। करोड़ों की कमाई करने वाला शुभम जायसवाल, एमएलसी बनने के लिए बड़े नेताओं से संपर्क बनाने में जुटा था। हाईटेक तरीके से बात करता था शुभम
एसटीएफ को जांच में ये भी पता चला है कि शुभम एपल के फेस-टाइम के जरिए अपने साथियों से बात करता था। जबकि उसका पार्टनर विकास सिंह जंगी एप के माध्यम से संपर्क करता था। इसी के माध्यम से वह ट्रकों की बुकिंग तक करता था। जीएसटी पेमेंट उसके सीए तुषार के जरिए किया जाता था। अमित के वॉट्सऐप चैट में शुभम जायसवाल के सीए तुषार से हुई बातचीत का ब्योरा मिला है। एसटीएफ की जांच में आलोक की फर्म के जीएसटी पेमेंट चालान के फॉर्म मिले हैं, जो 21 फरवरी 2025, 22 मार्च 2005, 22 अप्रैल और 19 नवंबर के हैं। एफएसडीए आयुक्त रोशन जैकब के नेतृत्व में 12 से 14 नवंबर 2025 तक इस मामले की जांच हुई। फिर इस अवैध नेटवर्क को खंगाला गया। एफएसडीए के अनुसार, शैली ट्रेडर्स ने वर्ष 2023 से 2025 तक फेंसिडिल सिरप की 89 लाख शीशियां खरीदी थीं। इसमें 84 लाख शीशियां वाराणसी मंडल के 93 मेडिकल स्टोर को भेजना दर्शाया गया है। डॉ. रोशन जैकब ने बताया- 40 जिलों में कुल 128 एफआईआर दर्ज की गईं। इनमें वाराणसी में 38, जौनपुर में 16, कानपुर नगर में 8, गाजीपुर में 6, लखीमपुर खीरी 4, लखनऊ 4 और बहराइच, बिजनौर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सीतापुर, सोनभद्र, बलरामपुर, रायबरेली, संतकबीर नगर, हरदोई, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, बस्ती, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, सहारनपुर, बरेली, सुल्तानपुर, चंदौली, मीरजापुर और गाजियाबाद में जिलों में 52 एफआईआर दर्ज की गईं। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल की जांच कर रही
ईडी की भी 2 दिसंबर को इस मामले में एंट्री हो चुकी है। ईडी के निशाने पर शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, विभोर राणा, विशाल सिंह, भोला जायसवाल, आसिफ, वसीम, सौरभ त्यागी समेत 50 से ज्यादा आरोपी हैं। ईडी इस मामले में अब तक दर्ज सभी 128 एफआईआर, सामने आ चुके दवा फर्मों और कफ सिरप बनाने वाली कंपनी की जांच कर हर ब्योरा जुटा रही। कफ सिरप का ये कारोबार दो हजार करोड़ का बताया जा रहा है। ईडी के अधिकारी इस मामले में एसटीएफ, एसआईटी, जिलों की पुलिस और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा जुटा चुके हैं। फिलहाल, ईडी की लखनऊ और प्रयागराज की टीमें पूरे प्रकरण की गहनता से छानबीन करने में जुटी हैं। शुभम और उसके पार्टनर दुबई भाग चुके हैं। वहीं, वसीम और आसिफ पहले से दुबई में हैं। कफ सिरप से हुई कमाई की रकम दुबई में निवेश किए जाने के एंगल की जांच भी ईडी कर रही है। अमित और आलोक से धनंजय सिंह के क्या रिश्ते हैं?
एसटीएफ भी मामले की जांच कर रही हैं। ईडी ने भी FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लेकिन धनंजय सिंह का नाम किसी भी एफआईआर में नहीं है। कफ सिरप के अवैध कारोबार में भी उनकी अब तक किसी तरह की संलिप्तता साबित नहीं हुई है। लेकिन अमित सिंह टाटा और आलोक प्रताप सिंह की गिरफ्तारी के बाद से धनंजय सिंह का नाम सुर्खियों में है। इसकी वजह ये है कि सोशल मीडिया पर इन दोनों के साथ धनंजय सिंह की कई तस्वीर और वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। पहले बात करते हैं आलोक प्रताप की
मूल रूप से कैथी थाना बलुआ चंदौली का रहने वाला आलोक 2019 में एसटीएफ से बर्खास्त हो चुका है। इससे पहले उसका नाम 2006 में लखनऊ के आशियाना थाने में सोना लूटकांड में आया था, जिसमें 2022 में कोर्ट पर्याप्त सबूत न मिलने पर बरी कर चुका है। एसटीएफ ने उसकी गिरफ्तारी सुशांत गोल्फ सिटी में दर्ज कफ सिरप के प्रकरण में की है। आलोक ने सुल्तानपुर रोड पर धनंजय सिंह के मकान के सामने ही एक लग्जरी मकान बनवाया है। इसी जून में इसका गृह प्रवेश हुआ था। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को शिकायत भेजी है। उसमें उन्होंने विधानसभा क्षेत्र 367 मल्हनी, जौनपुर के अनुभाग संख्या 1 की वोटर लिस्ट का जिक्र किया है। इसमें 115 क्रम संख्या पर धनंजय सिंह के भाई जितेंद्र सिंह 116 पर पत्नी श्रीकला सिंह, 118 पर खुद धनंजय सिंह और 120 पर आलोक प्रताप सिंह लिखा है। वोटर लिस्ट में धनंजय सिंह व आलोक की मकान संख्या एक ही है। यह मकान संख्या 17 है। अब बात अमित सिंह टाटा की
जौनपुर जिले के सीठुपुर गांव निवासी अमित सिंह टाटा के खिलाफ 7 मुकदमे हैं। 6 बनारस में तो एक लखनऊ में दर्ज है। तीन में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। 1 की जांच चल रही है। 2 में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है। अमित के खिलाफ पहली एफआईआर 2009 में वाराणसी के कैंट में दर्ज हुई थी। तब उस पर गैंगस्टर भी लगा था। हालांकि, हाईकोर्ट से उसे राहत मिली थी। अमित सिंह टाटा, रामपुर ब्लॉक से प्रमुख का चुनाव लड़ने की तैयारी में था। अमित के साथ भी धनंजय सिंह की कई तस्वीर व वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। एक वीडियो में खुद धनंजय उसे अपना छोटा भाई बता रहे हैं। दूसरा अमित के घर से एसटीएफ ने एक फॉरच्यूनर गाड़ी जब्त की है। इस गाड़ी का नंबर यूपी–9777 है। ये गाड़ी अमित की पत्नी साक्षी सिंह के नाम पर है। जानकार बताते हैं कि धनंजय सिंह के काफिले की हर गाड़ी के नंबर 9777 ही हैं। सपा के निशाने पर क्यों धनंजय सिंह?
अमित व आलोक की गिरफ्तारी के बाद सपा ने इसे सियासी रंग देना शुरू किया। सबसे पहले खुद अखिलेश यादव ने 2 दिसंबर को मऊ पर मीडिया से बात करते हुए कटाक्ष किया था। कहा- ‘किसी को खांसी हो तो देसी दवा गुड़–सोंठ खा लेना। लेकिन बीजेपी सरकार के समय जो कफ सिरप आ रही है, उससे बचना चाहिए। इसलिए बचना चाहिए कि कुछ लोग इससे मुनाफा कमा रहे हैं। अभी स्कीम चल रही थी वन डिस्ट्रिक, वन माफिया। यह ODOP नहीं है, OM है–वन डिस्ट्रिक, वन माफिया।’ 2 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव और 3 दिसंबर को जौनपुर जिले की मछली शहर से सपा सांसद प्रिया सरोज ने कफ सिरप मुद्दे पर खूब सियासी तीर चलाए। धर्मेंद्र यादव ने बिना नाम लिए कहा कि पूर्वांचल के एक सजातीय बाहुबली के संरक्षण में कफ सिरप की तस्करी हो रही थी। प्रिया सरोज ने तो इस मुद्दे पर सरकार को ही कटघरे में खड़ा करते हुए दावा किया कि इससे कई लोगों की जान चली गई। राजनीति के जानकार कहते हैं कि सपा, योगी की जाति पर जानबूझकर हमला करती है। किसी मामले में ठाकुर का इन्वॉल्वमेंट सामने आता है, तो इस बहाने वह सीएम की जाति पर हमला करने के लिए ऐसा करते हैं, जिससे अपनी पीडीए की राजनीति चमकाने में आसानी हो। धनंजय सिंह कर चुके हैं सीबीआई जांच की मांग अमित व आलोक की गिरफ्तारी के बाद से जिस तरीके से धनंजय की कफ सिरप मामले में घेराबंदी की जा रही है, इससे वो काफी नाराज बताए जा रहे हैं। उनका कहना है कि सार्वजनिक जीवन में कई लोगों के साथ फोटो–वीडियो हो सकते हैं। मैं उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जानता भी हूं। अब मेरे राजनीतिक विरोधी उनकी गिरफ्तारी के बाद भ्रम फैलाकर मेरी छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इस मामले में राज्य सरकार गंभीरता से जांच करा रही है। फिर भी जिस तरीके से ये मामला अंतरराज्यीय है, इसकी व्यापक जांच सीबीआई से कराई जाए। इससे दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और अनर्गल आरोपों व झूठी खबरों पर विराम लगेगा। क्या सच में फेंसिडिल के इस कफ सिरप से किसी की मौत हुई है? यूपी के स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। पिछले दिनों मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों के कफ सिरप का जो प्रकरण सामने आया था, वो तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी की कोल्ड्रिफ दवा थी। इससे दोनों राज्यों में 24 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। उस सिरप के एक बैच में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया। यही वह जहरीला रसायन है, जिससे पहले गांबिया, उज्बेकिस्तान व भारत में बच्चों की मौतें हुई थीं। जबकि एबॉट कंपनी की फेंसिडिल कफ सिरप वयस्क लोगों के खांसी के लिए बनी है। इसमें ट्राइप्रोलिडिन हाइड्रोक्लोराडइ और कोडीन फास्फेट का मिश्रण होता है। इसका उपयोग लोग नशे के रूप में करते हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट का दावा है कि दवा के रूप में सेवन से अब तक किसी की मौत नहीं हुई है। दुबई से किंगपिन शुभम जायसवाल ने भी एक वीडियो जारी कर ये दावा किया है कि ये कफ सिरप न तो प्रतिबंधित है और ही नारकोटिक्स की श्रेणी में आता है। ये सामान्य श्रेणी की दवा है, जो कफ आने पर वयस्क लोग प्रयोग करते हैं। उसने दावा किया कि ड्रग विभाग से आरटीआई लगाकर उसने जानकारी मांगी थी। इसमें बताया गया था कि इस ड्रग के भंडारण और खरीद-बिक्री की कोई लिमिट तय नहीं है। दूसरा, इसका सारा भुगतान बैंक से होना चाहिए। इस सिरप को एबॉट कंपनी ने ड्रग एक्ट को फालो करते हुए बनाया होगा। कोडीन फास्फेट का कोटा, सीबीएन (केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो) अलॉट करता है। वो जितना अलॉट करता है, उसके अनुसार ही उत्पादन का भी अनुपात तय होगा। ऐसे में कंपनी को ये कप सिरप बेचना ही होगा। ये भी दावा किया कि उसने सब नियम के मुताबिक दवा दुकानों को कफ सिरप की सप्लाई की है। ई–वे बिल, गिल्टी, टोल नाकों की रिकॉर्डिंग की जांच की जा सकती है। गाजियाबाद, रांची व सोनभद्र में जब्त कफ सिरप दिल्ली, एमपी व उत्तराखंड की फ़र्मो ने सप्लाई की थी। बजाय उन पर कार्रवाई के एसटीएफ मेरे पीछे पड़ी है। —————— ये खबर भी पढ़ें- अरुण गोविल बोले- मस्जिद-मदरसों में CCTV लगाए सरकार, प्रिया सरोज ने कहा- कफ सिरप सिंडिकेट में सरकार के लोग शामिल संसद के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को सपा समेत तमाम विपक्षी दलों ने मकर द्वार पर प्रदर्शन किया। दिल्ली की जहरीली हवा को लेकर सांसद प्लेकार्ड लेकर मुंह पर मास्क लगाए दिखाई दिए। दोनों सदनों में इस पर चर्चा कराने की मांग की। पूरी खबर पढ़ें…


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