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सरकार बनते ही बिहार में 3 नए विभाग क्यों बने:बंगाल-UP चुनाव से पहले 1 करोड़ युवाओं पर फोकस, तेजस्वी यूरोप में, नीतीश 30 के मिशन में

पहले CM नीतीश कुमार के 2 बयान पढ़िए… 50 लाख लोगों को नौकरी रोजगार दे दिया हूं, अब अगले 5 साल में एक करोड़ लोगों को नौकरी और रोजगार दूंगा।- 4 दिसंबर, विधानसभा सरकार ने अगले 5 सालों में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी-रोजगार देने का टारगेट रखा है। नई सरकार बनने के बाद, हमने राज्य में इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और ज्यादा से ज्यादा रोजगार के मौके देने के लिए तेजी से काम करना शुरू कर दिया है।- 25 नवंबर, सोशल मीडिया अब 5 दिसंबर को नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया के माध्यम से ऐलान किया कि सरकार 3 नए विभाग की स्थापना करने जा रही है। लक्ष्य 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देना है। सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार सबसे ज्यादा अपने जिस वादे को दोहरा रहे हैं वो है, एक करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देना। अब सरकार ने अपने इस वादे को पूरा करने के रोडमैप को सामने रखना शुरू कर दिया है। जिन नए विभागों, निदेशालय और निगम की शुरुआत सरकार की तरफ से की जा रही है उसका सीधा कनेक्शन नौकरी और रोजगार से जुड़ा है। स्पेशल स्टोरी में पढ़िए बिहार को इन विभागों की जरूरत क्यों थी? इनके शुरू होने का क्या असर होगा? इनका क्या काम होगा? चुनाव के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव जहां यूरोप की यात्रा पर निकल गए हैं। वहीं, सीएम नीतीश कुमार 2030 में भी NDA सरकार के मिशन पर जुट गए हैं। इन तीन नए विभाग की स्थापना होगी एक-एक निदेशालय और निगम बनेंगे युवा, रोजगार एवं कौशल विभाग से युवाओं को स्किल्ड बनाने पर ध्यान अभी तक ये विभाग सीधा श्रम संसाधन विभाग से जुड़ा हुआ था। अब इसे पूरी तरीके से इंडिपेंडेंट किया जा रहा है। इस विभाग का सीधा संबंध रोजगार से जुड़ा है। इससे पहले 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी तो उन्होंने सबसे पहले कौशल विकास के एक अलग विभाग की शुरुआत की थी। उस समय बिहार में कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना होनी थी, लेकिन अभी तक नहीं हो पाई। विभाग बनने के बाद इस काम में तेजी आ सकती है। बिहार में कौशल विकास को लेकर नई-नई योजनाएं शुरू हो सकती हैं। पूर्व मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा कहते हैं, अभी तक इस पर किसी का अटेंशन नहीं था। विभाग के अलग हो जाने से इस पर फोकस्ड वर्किंग होगी। बिहार को अब तक मजदूरों का प्रदेश कहा जाता रहा है। बिहार से लगभग 50 लाख लोग काम की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। ऐसे में अगर उनके स्किल्ड को बेहतर किया जाएगा तो न केवल वे अपने राज्य में ही बेहतर काम कर सकते हैं, बल्कि उनके मेहनत का उचित मेहनताना भी मिल सकता है। उच्च शिक्षा विभाग- रिसर्च के साथ प्रोफेशनल कोर्सेज बढ़ेंगे अभी तक बिहार में एजुकेशन का सारा काम केवल शिक्षा विभाग के माध्यम से ही किया जा रहा है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी का काम शिक्षा विभाग के माध्यम से हो रहा था। जबकि अन्य राज्यों में यहां तक कि बिहार से अलग हुए झारखंड में भी उच्च शिक्षा का अलग विभाग है। एक्सपर्ट बोले- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, पलायन रुकेगा मगध यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एसपी शाही कहते हैं, ’उच्च शिक्षा विभाग बनने का सीधा लाभ यूनिवर्सिटीज को मिलेगा। रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रिसर्च यूनिवर्सिटी का जरूरी हिस्सा है। बिहार इसमें लगातार पिछड़ रहा है। यह निर्णय प्रोफेशनल एजुकेशन में मील का पत्थर साबित होगा।’ एसपी शाही ने कहा, ‘अभी एक ही विभाग से सभी की मॉनिटरिंग होने के कारण विभाग पर काम का दबाव अधिक है। कई फैसले नहीं हो पाते हैं या इसमें काफी देर हो जाती है। उच्च शिक्षा में निजी निवेश होगा तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बिहार में ही मिलेगी, युवा बाहर नहीं जाएंगे।’ एयरपोर्ट बनाने की रफ्तार तेज होगी, कनेक्टिविटी बेहतर होगी सरकार इस बात को अच्छे से समझ रही है कि उद्योग के लिए जरूरी है बेहतर कनेक्टिविटी। राज्य में रोड कनेक्टिविटी की स्थिति पहले ही बेहतर हो चुकी है। राज्य के किसी भी हिस्से से 6 घंटे में पटना पहुंचने के लक्ष्य को सरकार ने हासिल किया है। अब रोड कनेक्टिविटी के साथ-साथ सरकार एयर कनेक्टिविटी को भी बेहतर बनाने पर तेजी से काम कर रही है। फिलहाल राज्य में 4 एयरपोर्ट (पटना, गया, दरभंगा और पूर्णिया) काम कर रहे हैं। इसके अलावा भागलपुर के सुल्तानगंज, मुजफ्फरपुर, सहरसा, बीरपुर और वाल्मीकिनगर जैसे छोटे शहरों में एयरपोर्ट बनाने का काम शुरू हुआ है। सुल्तानगंज एयरपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इसके लिए डेडिकेटेड विभाग होने से इस काम में तेजी आ सकती है। एक्सपर्ट बोले- एयरपोर्ट निर्माण कार्य में तेजी आएगी बिहार में एयरपोर्ट विकसित बनाने की दिशा में कई अहम काम करने वाले पूर्व डेवलपमेंट कमिश्नर एस सिद्धार्थ ने बताया, ‘पहले सिविल एविएशन परिवहन विभाग का हिस्सा हुआ करता था। इसे वहां से अलग किया गया। अब ये पूरी तरह इंडिपेंडेंट होगा। इसके अलग होने से एयरपोर्ट निर्माण के काम में तेजी आएगी।’ घोषणा के राजनीतिक मायने समझिए सरकार का मैसेज, हम अपने वादे पूरा करेंगे पॉलिटिकल एनालिस्ट अरुण कुमार पांडेय बताते हैं, ’सरकार के इस फैसला का सीधा मैसेज है कि सरकार अपने रोजगार के वादों को पूरा करने के लिए तत्पर है। चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हर घर में सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया था, लेकिन जब इसका ब्लू प्रिंट मांगा गया था तब वे नहीं दे सके।’ अरुण पांडेय ने कहा, ‘नीतीश कुमार युवाओं और महिलाओं के सहारे प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता में आए हैं। उनका पूरा फोकस इनसे जुड़ी घोषणाओं को पूरा करने कि दिशा में तत्पर दिखने का है। यही कारण है कि सरकार अपनी हर एक्शन में इस बात को बता रही है कि नौकरी और रोजगार ही उनके एजेंडे में है।’ विभाग की संख्या बढ़ेगी, मंत्री की नहीं नए विभागों का गठन, पुराने विभागों को बंद करना या विभागों का विलय सामान्य प्रक्रिया है। अगर सरकार को लगता है कि किसी खास क्षेत्र पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है तो विभागों का गठन या मंत्रालयों का विलय किया जा सकता है। सरकार जरूरत के हिसाब से इनकी संरचना में बदलाव कर सकती है, लेकिन मंत्रियों की संख्या तय है। नियमों के मुताबिक, मंत्रिमंडल में विधानसभा सदस्यों के 15 प्रतिशत से अधिक सदस्य नहीं हो सकते। फिलहाल बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं। इस हिसाब से मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 सदस्य ही हो सकते हैं।


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