दरभंगा मेडिकल कॉलेज के सभागार में मिथिलांचल ईएनटी एसोसिएशन की ओर से बिहार–झारखंड वार्षिक ईएनटी कॉन्फ्रेंस हुई। इसके दूसरे दिन शनिवार को साइंटिफिक सेशन में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने ध्वनि प्रदूषण, कान संबंधी बीमारियों, उन्नत सर्जिकल तकनीकों और तंबाकूजनित रोगों पर विस्तृत चर्चा की। विशेषज्ञों ने कहा कि तेज आवाज वाले डीजे, पटाखे और वाहनों के तेज हॉर्न ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं, जिससे कई लोगों के कान का पर्दा फटने तक की नौबत आ रही है। चिकित्सकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण कान को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।डीजे की कान-फाड़ू आवाज और लगातार तेज हॉर्न eardrum rupture (कान का पर्दा फटना) का बड़ा कारण बन रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि कान में दर्द, बजना या सुनाई कम देना जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। कान में सरसों तेल या अन्य घरेलू पदार्थ डालना खतरनाक हो सकता है, इससे कान के पर्दे को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने सलाह दी कि किसी भी परेशानी की स्थिति में सीधे ईएनटी विशेषज्ञ से मिलें। लगभग 90 प्रतिशत ऑपरेशन सफल हो रहे हैं। तंबाकू सेवन से बढ़ रहा कैंसर का खतरा तंबाकू जनित बीमारियों पर चर्चा करते हुए ईएनटी विशेषज्ञों ने कहा कि मुंह में सूजन, सफेद दाने/छाले, आवाज बदलना—ये कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। ऐसी समस्या होने पर तुरंत जांच करानी चाहिए, लापरवाही घातक साबित हो सकती है।
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