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कोडीन सिरप तस्करी केस:विभोर राणा और विशाल सिंह की जमानत अर्जी खारिज, लखनऊ कोर्ट ने माना-‘देशव्यापी रैकेट, सबूतों से छेड़छाड़ का खतरा’

लखनऊ की विशेष अदालत ने कोडीन कफ सिरप की अवैध तस्करी के बड़े नेटवर्क में पकड़े गए सहारनपुर के भाइयों विभोर राणा और विशाल सिंह को राहत देने से साफ इनकार कर दिया। रविवार को कोर्ट के ऑर्डर में माना कि ये मामला सिर्फ कफ सिरप की बरामदगी का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के नशा तस्करी रैकेट से जुड़ा है। बाहर आने पर दोनों आरोपियों द्वारा सबूत मिटाने, नेटवर्क को प्रभावित करने और फरार होने की आशंका को देखते हुए अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोडीन तस्करी केस में अदालत का सख्त रुख फरवरी 2024 में सुशांत गोल्फ सिटी थाने में दर्ज इस केस में प्रतिबंधित कोडीन कफ सिरप की भारी मात्रा मिली थी। जांच आगे बढ़ने पर शुभम जायसवाल के नेटवर्क का खुलासा हुआ, जिसके बाद STF ने सहारनपुर निवासी विभोर राणा और उसके भाई विशाल सिंह को गिरफ्तार किया। शनिवार को हुई बहस के बाद विशेष अदालत ने कहा नशे के रूप में इस्तेमाल होने वाला कोडीन सिरप अंतरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय तस्करी से जुड़ा है। आरोपियों की रिहाई न्यायिक प्रक्रिया के लिए खतरा बनेगी। STF ने अदालत में रखे बड़े खुलासे STF के अनुसार फर्जी कागजात, नकली ई-वे बिल और शेल कंपनियों के जरिए कोडीन सिरप को बांग्लादेश तक भेजा जाता था।पर्चा संख्या 57 और 60 में उन कर्मचारियों के नाम और विवरण हैं, जिनके खातों से संदिग्ध लेन-देन हुए। इलेक्ट्रॉनिक चैट, वित्तीय ट्रांजैक्शन, मोबाइल डेटा और गिरफ्तार को-आरोपियों की बयानबाजी ने दोनों भाइयों की संलिप्तता की पुष्टि की है। STF ने यह भी बताया कि गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में विभोर और विशाल की प्रत्यक्ष भूमिका स्वीकार की है। लखनऊ विशेष अदालत के अनुसार रिहाई पर आरोपी फरार हो सकते हैं और साक्ष्यों को प्रभावित करने की आशंका है, इसलिए जमानत अर्जी निरस्त की जाती है। “यह सामान्य कफ सिरप का मामला नहीं”: कोर्ट न्यायाधीश ने फैसले में कहा यह मामला नशे के अवैध कारोबार और अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चैन से जुड़ा है। बचाव पक्ष द्वारा दिखाए गए पुराने फैसले इस केस पर लागू नहीं होते। आरोपियों की भूमिका खरीद-फरोख्त, अवैध सप्लाई और फर्जी दस्तावेज तैयार करने में अहम रही है। कोर्ट की चिंताएं: क्यों नहीं मिली जमानत? जमानत खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि बाहर आकर आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं, गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, देश छोड़कर फरार हो सकते हैं, पूरे नेटवर्क की जांच को बाधित कर सकते हैं। अदालत ने इसे “गंभीर मामला” बताकर जमानत को अनुचित माना। यह है केस का पूरा मामला STF ने 12 नवंबर 2024 को सहारनपुर के भाई विभोर राणा और विशाल सिंह को गिरफ्तार किया था।जांच में सामने आया कि ये दोनों शुभम जायसवाल के उस नेटवर्क से जुड़े थे, जो उत्तर प्रदेश, पश्चिमी यूपी, बिहार और बांग्लादेश तक फैले लगभग 200 करोड़ रुपये के कोडीन सिरप रैकेट को संचालित करता था। फर्जी कंपनियाँ, कागजी ट्रेडिंग और अवैध सप्लाई चैन इसी नेटवर्क का मुख्य आधार था, जिसमें इन दोनों की सक्रिय भूमिका के पर्याप्त इलेक्ट्रॉनिक और दस्तावेजी सबूत मिले हैं।


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