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डीएम ने समाज कल्याण योजनाओं की समीक्षा की:मातृ वंदना योजना में लापरवाही पर जताई चिंता, पोषण ट्रैकर पर सही काम करने के निर्देश

नवादा में शनिवार को जिला पदाधिकारी रवि प्रकाश की अध्यक्षता में समाज कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा बैठक हुई। बैठक में योजनाओं की अद्यतन स्थिति पर विस्तृत चर्चा की गई। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (आईसीडीएस) निरुपमा शंकर ने पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से आईसीडीएस की योजनाओं की वर्तमान स्थिति प्रस्तुत की। जिलाधिकारी ने प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना में रोह और वारसलीगंज प्रखंडों की अत्यंत कम उपलब्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त की। लक्ष्य पूरा करने के निर्देश उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में केवल तीन माह शेष हैं, किंतु लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी प्राप्त नहीं हो सका है, जो चिंताजनक है। इस पर उन्होंने सभी सीडीपीओ को शिविर आयोजित कर योजना की प्रगति में तेजी लाने का निर्देश दिया। साथ ही जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को सभी योजनाओं की साप्ताहिक समीक्षा अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने का आदेश दिया। आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश आंगनबाड़ी केंद्रों पर पेयजल उपलब्धता की खराब स्थिति पर भी जिलाधिकारी ने निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन केंद्रों में चापाकल कार्यरत नहीं हैं, जहाँ नल-जल कनेक्शन सक्रिय नहीं है और जहाँ दोनों ही सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, उन सभी केंद्रों की सूची तैयार कर आगामी शनिवार तक उपलब्ध कराई जाए। पोषण ट्रैकर पर असंतोष व्यक्त किया पोषण ट्रैकर पर आंगनबाड़ी केंद्रों की कम ओपनिंग पर भी जिला पदाधिकारी ने असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शत-प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्र पोषण ट्रैकर पर खुलने चाहिए और केंद्र तभी ‘ओपन’ माना जाएगा जब उसे जियो-फेंस्ड एरिया से संचालित किया जाए। वर्तमान में पोषण ट्रैकर पर FRS की स्थिति 75% है, जिसे शत-प्रतिशत करने का निर्देश दिया गया। इसी क्रम में उन्होंने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को निर्देशित किया कि डाक अधीक्षक से समन्वय स्थापित कर सभी लाभुकों का ई-केवाईसी त्वरित रूप से पूर्ण कराया जाए, ताकि THR (टेक होम राशन) वितरण समय पर एवं सुचारू रूप से सुनिश्चित किया जा सके। नवादा जिले में कुल 2670 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं, जिनमें से 1067 अपने भवनों में संचालित हैं। लगभग 326 केंद्र स्कूल एवं अन्य सरकारी भवनों में तथा लगभग 1300 केंद्र किराए के भवनों में संचालित हैं। अब तक 430 केंद्रों की भूमि चिन्हित की जा चुकी है, जिनमें से 60 केंद्रों पर RIDF एवं 50 केंद्रों पर मनरेगा से भवन निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है।


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