अयोध्या में शनिवार को रामनगरी में शुक्ल यजुर्वेद की ऋचाएं गूंजी। मौका था काशी से आए वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे के स्वागत समारोह का। उनका स्वागत महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी की अगवाई में अयोध्या के संतों ने किया। पिछले शनिवार को शुक्ल यजुर्वेद का पारायण कर वेदमूर्ति की उपाधि से विभूषित हुए देवव्रत महेश रेखे अपने पिता और गुरु पं. महेश चंद्रकांत रेखे तथा अन्य विद्वानों के साथ रामनगरी पहुंचे। यहां तुलसी उद्यान में आयोजित समारोह में महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने गुलाब व गेंदा की विशेष माला से स्वागत किया। उन्होंने रामचरित मानस, स्वलिखित हृदय में राम पुस्तक के साथ भगवान राम की प्रतिमा भेंट की। इससे पूर्व कारसेवकपुरम के वेदपाठी बटुकों ने स्वस्तिवाचन किया। वेद मूर्ति देवव्रत ने भी वेद मित्रों का सस्वर पाठ कर अयोध्या वासियों को अविभूत कर दिया। इस मौके पर महापौर ने कहा कि दो सौ वर्षों बाद काशी के 19 वर्षीय बटुक ने वेद मूर्ति की उपाधि धारण कर वैदिक संस्कृति के पुनर्जागरण का शंखनाद किया है। उन्होंने कहा कि वृंदावन प्रेम की नगरी है। अयोध्या वैराग्य की और काशी विद्वता की धरती है। देवव्रत महेश रेखे ने इसे एक बार फिर सिद्ध कर दिया है। उन्होंने सनातन संस्कृति का गौरव विश्व मंच पर बढ़ाने के लिए शुभकामनाएं दी। देवव्रत के पिता पं. महेश चंद्रकांत रेखे ने सम्मान देने के लिए महापौर और अयोध्या के संतों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि वेद शब्द राशि है, जिसके पारायण करने की परंपरा श्रुति परंपरा से जुड़ी है। बिना पुस्तक के अध्ययन कर इसे आत्मसात किया जाता है। उन्होंने कहा कि विधर्मियों ने पुस्तक नष्ट कर दी, लेकिन ज्ञान की वैदिक परंपरा को नष्ट नहीं कर सके। कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित रघुनाथ दास शास्त्री ने किया। इस मौके पर महंत शशिकांत दास, मिथिलाबिहारी दास, आचार्य रामानंद शुक्ल, महंत लल्लन तिवारी, भाजपा नेता रवि तिवारी, अशोक वैदिक, नारायण शास्त्री, आचार्य दुर्गा प्रसाद, पार्षद अनुज दास, महेंद्र शुक्ल, रमाशंकर निषाद, पं. राधारमण त्रिपाठी, विजय पांडे, सचिंद्र सिंह, राधेश्याम शुक्ल, साकेत महाविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व प्रवक्ता सुनील अवस्थी, शिक्षक राहुल सिंह, श्रीनिवास शास्त्री, रोमोज शास्त्री, महंत राम नंदन दास आदि मौजूद थे।
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