विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-रूस संबंधों को दुनिया के सबसे स्थिर और मजबूत बड़े रिश्तों में से एक बताया। HT लीडरशिप समिट 2025 में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा का मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच के असंतुलन को दूर करना था। पुतिन की यात्रा ने पिछड़े क्षेत्रों, विशेष रूप से आर्थिक सहयोग में नए आयाम बनाकर साझेदारी को नए तरीके से पेश किया है। जयशंकर ने कहा कि रूस का चीन, अमेरिका और यूरोप के साथ रिश्ता कई बार ऊपर-नीचे हुआ, लेकिन भारत के साथ यह रिश्ता हमेशा स्थिर और विश्वसनीय रहा। जयशंकर बोले- रक्षा, ऊर्जा के क्षेत्र में भारत-रूस संबंध मजबूत रहे जयशंकर ने कहा कि किसी भी लंबे रिश्ते में कुछ क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ते हैं और कुछ पीछे रह जाते हैं। भारत-रूस संबंध में रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्र हमेशा से बहुत मजबूत रहे, लेकिन व्यापार और आर्थिक सहयोग उतना नहीं बढ़ पाया था। उन्होंने कहा कि इसके उलट, अमेरिका और यूरोप के साथ भारत का आर्थिक रिश्ता 80, 90 और 2000 के दशक में तेजी से बढ़ा, पर रक्षा और सुरक्षा सहयोग में उतनी प्रगति नहीं हुई। जयशंकर बोले- मित्र चुनने की आजादी ही विदेश नीति है विदेश मंत्री ने भारत की विदेश नीति पर भी बात की। उन्होंने कहा- “हमारे जैसे बड़े और उभरते देश के लिए, जिससे और बेहतर करने की अपेक्षा की जाती है। उन्होंने आगे कहा, ‘यह जरूरी है कि हमारे खास रिश्ते अच्छी स्थिति में हो। हम महत्वपूर्ण देशों के साथ सहयोग बनाए रख सकें और हमें अपने हित के अनुसार मित्र चुनने की आजादी हो। यहीं हमारी विदेश नीति है।’ पुतिन की यात्रा का मकसद पश्चिमी देशों को मैसेज भेजना नहीं रूसी राष्ट्रपति की यात्रा का मकसद पश्चिमी देशों को मैसेज भेजना था। इस सवाल पर जयशंकर ने कहा कि “मुझे नहीं लगता कि सवाल यह है कि आप उन देशों से क्या कहते हैं। सवाल यह है कि आप भारत और रूस के लिए क्या करते हैं। विदेश मंत्री ने साफ किया कि पुतिन की यात्रा पश्चिमी देशों को संदेश देने के लिए नहीं था।
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