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कारी इसहाक गोरा बोले–मां और औलाद की कसमें सब झूठ:सहारनपुर में कहा-मुस्लिम समाज में खतरनाक आदत पड़ रही, रोक लगनी चाहिए

मुसलमान मां, बहन और औलाद की कसम जैसी बातें इतनी आसानी से बोल देते हैं, मानो यह कोई मजाक हो। कसम इबादत का हिस्सा है और इबादत सिर्फ अल्लाह के लिए होती है, लेकिन लोग आज किसी भी रिश्ते, व्यक्ति या पीर–फकीर के नाम पर कसम खाने लगे हैं। कारोबार के भी झूठ बोल रहे हैं। ये ठीक बात नहीं है। ऐसा करने गुनाह है। अल्लाह ऐसे लोगों को कभी भी माफ नहीं करेगा। ये इस्लाम के भी खिलाफ है। ये बातें जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक और उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कही। उन्होंने शनिवार को एक वीडियो जारी किया है। जिसमें मुसलमानों को इस्लाम के नियमों का पालन करने की अपील की है। आइए आपको बताते हैं कारी इसहाक गोरा ने और क्या कुछ कहा है। सिर्फ अल्लाह के लिए कसम खाए दूसरे के लिए नहीं मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा- झूठ बोलकर हम लोगों का भरोसा खोने का काम कर रहे हैं। इससे इमानदारी भी खत्म होती जा रही है। लोग कसम को इतना हल्का ले चुके हैं कि बच्चे तक हर बात पर कसम खा रहे हैं, जबकि इस्लाम में बताया गया है कि जिसे कसम खानी हो, वह सिर्फ अल्लाह की कसम खाए, वरना चुप रहे। झूठ बोलने पर रोक लगनी चाहिए जब इंसान अल्लाह को भूला देता है, तभी वह किसी और के नाम पर कसम खाकर अपनी जुबान को नापाक करता है। मुस्लिम समाज से अपील है की कि वे अपने घरों में लोगों को इस्लाम की सही जानकारी दे। मुस्लिम समाज के लोगों में झूठ बोलने की खतरनाक आदत पड़ रही है। इस पर रोक लगनी चाहिए। बच्चे के रोने या जिद करने पर मोबाइल देना खतरनाक इससे पहले 3 दिसंबर को उन्होंने एक वीडियो सामने आया था। जिसमें उन्होंने कहा – आजकल माता-पिता बच्चे के रोने या जिद करने पर उसे चुप कराने के लिए मोबाइल फोन दे देते हैं। यह तरीका तात्कालिक रूप से आसान लग सकता है, लेकिन लंबे समय में यह बच्चे के मानसिक विकास और आदतों के लिए हानिकारक साबित होता है। बच्चे मोबाइल पर क्या देख रहे इसका पता लगाना जरूरी ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते कि बच्चा मोबाइल पर क्या देख रहा है। किस तरह के दृश्य या शब्द उसके मन पर प्रभाव डाल रहे हैं।जो बच्चा आंखों से देखता है, वही दिल पर उतर जाता है और दिल पर बैठी चीज को मिटाना आसान नहीं होता। मां की गोद बच्चे का पहला मदरसा होती है मां की गोद बच्चे का पहला मदरसा होती है। बच्चे की पहली सीख, संस्कार और सोच वहीं से विकसित होती है। अगर यह माहौल मोबाइल, कार्टून और अनुचित सामग्री से भर दिया जाए, तो बच्चे से अच्छा चरित्र और अच्छे संस्कारों की उम्मीद करना व्यर्थ है। अल्लाह का नाम डराने के लिए न लें कई माताएं बच्चे को चुप कराने के लिए कहती हैं, चुप हो जा,अल्लाह की रहमत पकड़ लेगी। ये सोच गलत है। अल्लाह की रहमत डराने के लिए नहीं, बल्कि सहारा देने के लिए है। रहमत से डर पैदा करने से बच्चे के मन में धर्म के प्रति नफरत भी पैदा हो सकती है। बच्चों की परवरिश डर या मोबाइल से नहीं होनी चाहिए उन्होंने पैरेंट्स से पूछा कि क्या वे बच्चों की धार्मिक, नैतिक और आध्यात्मिक जरूरतों को उतनी अहमियत दे रहे हैं, जितनी देनी चाहिए? क्या अपनी सुविधा के लिए वे बच्चों के भविष्य से समझौता तो नहीं कर रहे हैं? बच्चों की परवरिश डर या मोबाइल से नहीं, प्यार और सही मार्गदर्शन से की जानी चाहिए, बल्कि मोहब्बत, दुआ, सही इस्लामी समझ और हौसला-अफजाई से की जाए। यही रास्ता बच्चों को बेहतर इंसान और सच्चा मुसलमान बनाने का है। घटना से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… आंखों में मिर्च डालकर ज्वेलर को मार डाला, VIDEO, गाजियाबाद में दिनदहाड़े चापड़ लेकर दुकान में घुसा, 12 वार किए; बेटे ने पकड़ा गाजियाबाद में दिनदहाड़े सर्राफा कारोबारी की हत्या कर दी गई। गुरुवार सुबह 9.15 बजे बाजार में गिरधारी लाल वर्मा (75) अपनी दुकान खोलकर अंदर बैठे थे, तभी लूट के इरादे से नकाबपोश हत्यारा अंकित गुप्ता (30) आया। मिर्ची पाउडर डालने की कोशिश की, तभी कारोबारी उससे भिड़ गए। पढ़िए पूरी खबर…


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