उन्नाव के गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र में मिश्रा घाट के पास गंगा नदी में हो रही कटान से स्थानीय लोग कई दिनों से चिंतित थे। नदी के तेज बहाव के कारण घाट की जमीन लगातार टूट रही थी, जिससे आसपास के घरों, दुकानों और धार्मिक स्थलों पर खतरा मंडरा रहा था। क्षेत्रवासियों की परेशानी और बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रशासन ने अब कटान रोकने के लिए कदम उठाए हैं। उपजिलाधिकारी और नगर पालिका की टीम ने संयुक्त निरीक्षण के बाद नदी किनारे प्रभावित स्थानों पर बड़े पैमाने पर बल्लियां गाड़ने का कार्य शुरू कराया है। मजदूरों और मशीनों की सहायता से नदी किनारे लकड़ी की बल्लियां मजबूती से गाड़कर मिट्टी का कटाव रोकने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि यह एक अस्थायी उपाय है, जिससे कटान की रफ्तार कम होगी। भविष्य में स्थायी सुरक्षा कार्य भी करवाए जाएंगे। इन त्वरित कार्यों से स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि हर साल वर्षा और बाढ़ के दौरान गंगा किनारे रहने वाले लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसी बीच, मिश्रा घाट क्षेत्र के पंडा समाज और घाट से जुड़े लोगों ने प्रशासन से एक महत्वपूर्ण मांग की है। उनका कहना है कि यह घाट लगभग 200 साल पुराना है और इसका ऐतिहासिक तथा धार्मिक महत्व है। पहले यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते थे, लेकिन कटान और उपेक्षा के कारण घाट की संरचना कमजोर हो गई है। पंडा समाज ने मांग की है कि मिश्रा घाट को आनंद घाट की तर्ज पर एक पक्के घाट के रूप में विकसित किया जाए। उनका तर्क है कि एक मजबूत पक्का घाट बनने से श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्नान और पूजा करने में सुविधा होगी, साथ ही घाट का सांस्कृतिक महत्व भी सुरक्षित रहेगा।
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