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बाबरी विध्वंस- रात 1.30 बजे आडवाणी को जगाया, कहा-आप गिरफ्तार:लालू ने रोकी थी पहली राम रथयात्रा; मुस्लिम अफसर ने अरेस्ट करने के इनकार कर दिया था

तारीख- 23 अक्टूबर 1990, समय- रात 1.30 बजे..समस्तीपुर सर्किट हाउस के कमरा नंबर 7 का दरवाजा नॉक होता है। गहरी नींद में सो रहे लालकृष्ण आडवाणी अचानक उठ जाते हैं। वह दरवाजा खोलते हैं, सामने खड़े दो अफसर बोलते हैं- आप गिरफ्तार हाे गए हैं। आडवाणी हंसकर कहते हैं- ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ और अफसरों के साथ चल देते हैं। उनकी गिरफ्तारी के समय नरेंद्र मोदी भी साथ थे। हालांकि, सिर्फ आडवाणी को गिरफ्तार करके दुमका के मसानजोर डैम स्थित गेस्ट हाउस ले जाया गया था। यह सामान्य घटना नहीं, बल्कि राम मंदिर के लिए निकली पहली राम रथ यात्रा को रोकने वाली बड़ी घटना थी। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने समर्थन वापस लेकर केंद्र की वीपी सिंह वाली सरकार गिरा दी थी। इस घटना ने लालू यादव को रातों-रात हीरो बना दिया। गिरफ्तार करने वाले ऑफिसर भी केंद्र में मंत्री भी रहे। बाबरी विध्वंस के 33 साल पर पढ़िए बिहार में राम रथ यात्रा रोकने और आडवाणी की गिरफ्तारी की पूरी कहानी..। पहले यह मैप देखिए… बिहार में लालू ने दी थी आडवाणी को चुनौती 500 साल के लंबे संघर्ष के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनकर उद्घाटन के लिए तैयार है। बात जब भी राम मंदिर के संघर्षों की होगी तो लालकृष्ण आडवाणी की चर्चा होगी। जब इस पर बात होगी तो बिहार के समस्तीपुर का नाम आएगा, क्योंकि राम मंदिर आंदोलन की पहली रथ यात्रा को समस्तीपुर में रोका गया था। लालू यादव ने यहीं से लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कराया था। लालू और मुलायम के बीच गिरफ्तारी की होड़ आडवाणी की रथ यात्रा को कवर करने वाले सीनियर जर्नलिस्ट लव कुमार मिश्रा बताते हैं, ‘मैंने आडवाणी की राम रथ यात्रा को सोमनाथ से कवर किया था। 25 सितंबर 1990 की सुबह 9 बजे सोमनाथ से राम रथ निकली थी। राम रथ यात्रा के लिए बैकग्राउंड तो अशोक सिंघल ने पहले ही तैयार कर लिया था। मौजूदा समय में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जिस तरह से घर-घर अक्षत भेजा जा रहा है, ऐसे ही रथ यात्रा से पहले घर-घर राम शिला पूजन कराया गया था। राम शिला को अयोध्या भेजा जाना था, इसको लेकर देश में अलग ही तरह का माहौल बन गया था। मुलायम सिंह यादव और लालू यादव में लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी को लेकर होड़ लग गई। लालू यादव मुलायम को हीरो बनने का मौका नहीं देना चाहते थे। वह बिहार में ही आडवाणी को गिरफ्तार करने का मौका तलाश रहे थे। लालू यादव बिहार में गिरफ्तारी कराकर रातों-रात हीरो हो गए। हालांकि, आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद राम मंदिर आंदोलन को नई धार मिल गई थी। मुस्लिम अफसर ने गिरफ्तारी से इनकार किया जर्नलिस्ट लव कुमार मिश्रा बताते हैं, आडवाणी जब राम रथ लेकर धनबाद पहुंचे तो उनको गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी वहां के तत्कालीन डीसी अफजल अमानुल्लाह (आईएएस) को दी गई। लेकिन, उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था। अगर कोई मुस्लिम अफसर गिरफ्तार करता तो पॉलिटिक्स बड़ी हो जाती। इसका फायदा पॉलिटिकली लालू यादव को तो मिल जाता, लेकिन सांप्रदायिक तनाव को कंट्रोल कर पाना बड़ी चुनौती होती। दरअसल, मुस्लिम अफसर अफजल अमानुल्लाह 1990 में बाबरी मस्जिद आंदोलन संयोजन समिति के संयोजक रहे सैयद शहाबुद्दीन के दामाद थे। मुस्लिम आईएएस अफसर गिरफ्तारी के बाद होने वाले बवाल को पहले ही भांप गए थे, इसलिए उन्होंने धनबाद में ऐसी किसी कार्रवाई को करने से पहले ही मना कर दिया था। गिरफ्तारी नहीं होने से आडवाणी की राम रथ यात्रा धनबाद के बाद पटना होते हुए समस्तीपुर पहुंच गई। आडवाणी के रथ की चाल पर थी लालू की नजर 1990 में समस्तीपुर में विश्व हिंदू परिषद के नगर मंत्री रहे भाजपा नेता हरेराम चौधरी बताते हैं, तब झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था। रथ यात्रा लेकर आडवाणी जी धनबाद, गया, पटना, समस्तीपुर से गोरखपुर होते हुए अयोध्या तक जाने वाले थे। समस्तीपुर के पटेल मैदान में रथ यात्रा के साथ आडवाणी की बड़ी सभा होनी थी। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई थी। 22 अक्टूबर को लालकृष्ण आडवाणी पटना से समस्तीपुर लगभग 3 घंटे लेट पहुंचे। समस्तीपुर के पटेल मैदान से लेकर सर्किट हाउस तक कार्यकर्ताओं का पूरा हुजूम था। देर रात सर्किट हाउस में राम रथ प्रवेश कराया गया। स्वागत समारोह के बाद आडवाणी सर्किट हाउस के कमरा नंबर 7 में आराम करने के लिए गए। सीएम लालू यादव की नजर राम रथ पर टिकी थी। वह आडवाणी को लेकर हर अपडेट ले रहे थे। वारंट लेकर विशेष विमान से पहुंच गए अफसर राम रथ यात्रा को कवर करने वाले पत्रकार लव कुमार मिश्रा बताते हैं, जब लालकृष्ण आडवाणी समस्तीपुर के सर्किट हाउस में आराम कर रहे थे, तब सीएम लालू यादव अपने आवास में तीन चार घनिष्ठ मित्रों के साथ बैठे हुए थे। इस दौरान लालू के एक पत्रकार मित्र ने आइडिया दिया कि आडवाणी उत्तर प्रदेश निकल गए तो मुलायम सिंह यादव उनकी गिरफ्तारी कर हीरो बन जाएंगे। यह बात लालू को स्ट्राइक कर गई। लालू यादव ने प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को फोन लगा दिया। पूरी घटना बताई और रातों-रात रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव आरके सिंह (आईएएस) और आईपीएस रामेश्वर उरांव को पटना से आडवाणी को गिरफ्तार करने के लिए समस्तीपुर भेज दिया। दोनों ऑफिसर हेलिकॉप्टर से समस्तीपुर के पटेल मैदान पहुंचे। इसके बाद रात डेढ़ बजे सर्किट हाउस पहुंचकर आडवाणी को गिरफ्तार किया। फिर उन्हें हेलिकॉप्टर से दुमका के मसानजोर डैम ले जाकर गेस्ट हाउस पहुंचा दिया गया। गेस्ट हाउस काे आडवाणी के लिए अस्थाई जेल बना दिया गया था। आडवाणी को गिरफ्तार करने वाला अफसर केंद्र में मंत्री बना लव कुमार मिश्रा बताते हैं, अब आरके सिंह मोदी सरकार में मंत्री रहे। वहीं, पूर्व आईपीएस रामेश्वर उरांव झारखंड में वित्त मंत्री हैं। लालू ने पत्रकार बनकर किया था फोन जर्नलिस्ट लव कुमार मिश्रा बताते हैं, लालू यादव ने आडवाणी की गिरफ्तारी की प्लानिंग को पूरी तरह से गोपनीय रखा था। इसकी भनक समस्तीपुर के डीएम और एसपी तक को नहीं लगने दिया था। लालू ने गिरफ्तारी से पहले खुद समस्तीपुर के सर्किट हाउस के मैनेजर को फोन किया था और आडवाणी के बारे में पूरी जानकारी ली थी। लालू यादव जब आश्वस्त हो गए कि आडवाणी अकेले हैं, कोई भीड़ भाड़ नहीं है, तब अफसरों को गिरफ्तारी के लिए हरी झंडी दे दी थी। आडवाणी के साथ काफी समर्थक भी थे, ऐसे में उस दौरान गिरफ्तारी के बाद बवाल होने की आशंका को लेकर भी लालू काफी अलर्ट थे। यही कारण है कि लालू यादव ने गिरफ्तारी के बाद आडवाणी की हर डिमांड को पूरी किया था। लालू यादव की इस चालाकी से राम रथ यात्रा भी रोक दी गई और मुस्लिम वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी की गई थी। पत्रकार प्रवीण बागी भी इसे मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित करने वाली लालू की बड़ी राजनीतिक चाल बताते हैं। समस्तीपुर से गिरफ्तारी, देश की राजनीति में भूचाल आडवाणी की गिरफ्तारी बिहार के समस्तीपुर से हुई, लेकिन देश की राजनीति में भूचाल आ गया। बीजेपी ने केंद्र में सत्तासीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार गिर गई थी। इसमें लालू प्रसाद यादव भी साझीदार थे। भाजपा के प्रदेश कार्य समिति के श्रीकांत आनंद बताते हैं, मैं 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का प्रदेश मंत्री था। हम लोग आडवाणी की रथ यात्रा की सुरक्षा और स्वागत में लगाए गए थे। गिरफ्तारी के बाद ही आक्रोश फूटा था। कार्यकर्ताओं ने हेलिकॉप्टर पर पत्थर भी फेंका था। समस्तीपुर में तो हालात संभालना मुश्किल हो गया। हमारे एक कार्यकर्ता हरिशंकर सिंह ने तो एक रेल के इंजन को ही चालू हालत में छोड़ दिया था। बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया। समस्तीपुर पूरा दिन अस्त-व्यस्त रहा। इस घटना से पूरे देश में बवाल मच गया। बिहार में भी हजारों गिरफ्तारियां दी गईं। समस्तीपुर में हुई घटना को कवर करने वाले स्थानीय पत्रकार शिव चंद्र झा बताते हैं, आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद आक्रोश की आग लग गई थी। कार्यकर्ताओं ने डीएम आवास घेर लिया था। शहर में जमकर तोड़फोड़ भी की गई थी। आक्रोश बढ़ने का कारण यह था कि आडवाणी की राम रथ यात्रा को लेकर समस्तीपुर की जनता में काफी उत्साह था। जिस शहर में उनका इतना स्वागत हुआ, वहां से उनकी गिरफ्तारी पर आक्रोश स्वाभाविक था। लालकृष्ण आडवाणी ने गिरफ्तारी के बाद कहा था कि विनाश काले विपरीत बुद्धि, इस शब्द का असर भी दिल्ली से लेकर बिहार तक दिखा। इस घटना के बाद बिहार में मंत्रियों का रिकॉर्ड बना था पत्रकार लव कुमार मिश्रा बताते हैं, आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिससे केंद्र की बीपी सिंह सरकार गिर गई थी। बिहार में भी इसका बड़ा असर दिखा। बिहार में भी सरकार में भाजपा का समर्थन था, लेकिन लालू के साथ अन्य पार्टियां मिल गईं। इस कारण सरकार तो नहीं गिरी, लेकिन लालू ने मंत्रियों को पूरा रिकॉर्ड बना दिया। लालू ने लेफ्ट को साथ में रखा और 96 मंत्रियों वाली रिकॉर्ड मंत्रिमंडल वाली सरकार थी। इसी के बाद केंद्र ने संशोधन किया कि असेंबली की संख्या से 50% से अधिक मंत्री नहीं रह सकता है। आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद लालू ने अपनी सरकार बचाने के लिए मंत्रिमंडल का जो रिकॉर्ड बनाया, उसमें भी बड़ा फैसला केंद्र से आ गया। असेंबली में मंत्रियों की भीड़ को लेकर यह एक अच्छा परिणाम रहा। 30 अक्टूबर 1990 से मंदिर निर्माण की थी तैयारी अयोध्या में राम मंदिर को लेकर कार सेवा और आडवाणी की रथ यात्रा को कवर करने वाले पटना के सीनियर जर्नलिस्ट लव कुमार मिश्रा बताते हैं, सीबीआई ने रिपोर्ट के आधार पर उन्हें भी गवाह बना दिया था। कई बार सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में उन्हें गवाही भी देनी पड़ी। वह बताते हैं, आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से राम रथ यात्रा लेकर अयोध्या के लिए निकले थे। रथ यात्रा का पहला चरण 14 अक्टूबर को पूरा हुआ। आडवाणी केंद्र सरकार के लाख दबाव के बाद भी राम रथ यात्रा बीच में रोकने को तैयार नहीं थे। रथ यात्रा 19 अक्टूबर को धनबाद के लिए रवाना हुई। आडवाणी चाहते थे, 30 अक्टूबर तक अयोध्या पहुंचकर श्रीराम जन्म भूमि मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाए। इसी मंशा को भांप कर लालू यादव और मुलायम सिंह यादव आडवाणी की गिरफ्तारी को लेकर तैयारी कर रहे थे। भाजपा को अंदेशा था कि आडवाणी को गिरफ्तार किया जा सकता है, इसलिए केंद्र को समर्थन देने वाली भाजपा ने पहले ही चेतावनी दे दी थी। 86 सदस्यों वाली बीजेपी ने 17 अक्टूबर 1990 को धमकी दी थी कि अगर आडवाणी की गिरफ्तारी हुई तो पार्टी केंद्र की वीपी सरकार से समर्थन वापस ले लेगी। आडवाणी की गिरफ्तारी और लालू की पॉलिटिक्स श्रीराम जन्म भूमि मंदिर से लालू और मुलायम सिंह यादव की पॉलिटिक्स में मोड़ आ गया था। पत्रकार के के उपाध्याय बताते हैं, राम मंदिर आंदोलन में आडवाणी की रथ यात्रा का अहम रोल रहा है। देश में लोगों को राम मंदिर के प्रति जगाया और कार सेवा के लिए जन सैलाब रथ यात्रा से ही तैयार किया था। इससे बिहार में लालू और यूपी में मुलायम को पॉलिटिक्स चमकाने का बड़ा मौका मिल गया। लालू आडवाणी को गिरफ्तार कर अल्पसंख्यकों के चहेता बन गए थे। इसके पहले, 21 अक्टूबर 1990 को लालू यादव ने पटना में एक सांप्रदायिकता विरोधी रैली की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कृष्ण के इतिहास को दबाने के लिए ही आडवाणी राम को सामने ला रहे हैं। ऐसे लालू ने अपना दांव खेलकर भाजपा और मुलायम को चौंका दिया था। इस तरह लालू यादव अल्पसंख्यकों के चहेते नेता बन गए और कृष्ण के बहाने यादव वोटर्स को भी साध लिया। लालू ने की थी दोहरी पॉलिटिक्स 1990 में सक्रिय रहे पत्रकारों का मानना है कि लालू यादव ने आडवाणी को गिरफ्तार कर दोहरी पॉलिटिक्स की थी। एक तरफ राम रथ यात्रा को रोककर अल्पसंख्यकों के चहेते बन गए थे तो दूसरी तरफ आडवाणी को अस्थाई जेल में भी सुविधाएं देकर और उनसे मुलाकात कर बड़ा गेम खेला था। आडवाणी ने लालू से अस्थाई जेल में टेलीफोन मांगा था, जिससे वह अपनी पत्नी से बात कर सकें। अफसरों के मना करने के बाद भी लालू यादव ने आडवाणी के लिए टेलीफोन की व्यवस्था कराई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने खुद मुलाकात भी की और जब आडवाणी की बेटी-दामाद मिलने आए तो उनके लिए भी विशेष व्यवस्था की थी। लालू यादव ने लोकसभा में आडवाणी के सामने इस बात को कहा था। लोकसभा में लालू ने यह भी कहा कि सांप्रदायिक तनाव की वजह से उनको गिरफ्तार कराया था, लेकिन उनके सम्मान में कोई कमी नहीं आने दी थी। हालांकि, उस दौरान बिहार भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री रहे राजाराम पांडेय इसे मदद नहीं बताते हैं, उनका कहना है कि लालकृष्ण आडवाणी एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष थे, वह कैदी नहीं थे। बस हाउस अरेस्ट किए गए थे, इसलिए उन्हें उतनी सुविधा देनी ही थी। एक ऑफिसर नियुक्त था, जिसकी इजाजत से ही आडवाणी किसी से बात कर पाते थे।


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