DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

क्या से क्या हो गया…ट्रंप की पाक नीति पर कांग्रेस का हमला, 2017 से 2025 तक यू-टर्न

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने शनिवार को भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ संबंधों पर कटाक्ष किया। यह कटाक्ष अमेरिका की 2025 राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) के जारी होने के बाद किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद मई में बढ़े तनाव के बाद ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं। यह पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में किया गया था जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी।

इसे भी पढ़ें: अमेरिकी खेल खेल रहे हैं…पुतिन के भारत दौरे के बीच जेलेंस्की-जर्मनी के चांसलर का कॉल हुआ लीक

एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस नेता ने कहा कि व्हाइट हाउस द्वारा गुरुवार को जारी 33-पृष्ठ के दस्तावेज़ में इसके परिचय में और फिर पृष्ठ 8 पर दोहराया गया है कि ट्रंप ने आठ उग्र संघर्षों को सुलझाया जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुआ तनाव भी शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान जारी किए गए 2017 के रणनीति दस्तावेज़ की तुलना में पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण में बदलाव आया है। 2025 की रणनीति में अमेरिका द्वारा अपने सहयोगियों को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना, कड़े आतंकवाद-रोधी उपायों का आह्वान और इस्लामाबाद से अपने परमाणु शस्त्रागार का ज़िम्मेदाराना प्रबंधन करने का आग्रह करने का कोई ज़िक्र नहीं है।

इसे भी पढ़ें: सामने बैठे थे मोदी, तभी सस्ते तेल पर ऐसा क्या बोल गए पुतिन? ट्रंप के पैरों के नीचे से खिसक जाएगी जमीन

व्हाइट हाउस द्वारा अमेरिका की 33-पृष्ठ की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति अभी-अभी जारी की गई है। दस्तावेज़ की प्रस्तावना में राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने इस दावे को दोहराया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष को सुलझा लिया है। पृष्ठ 8 पर भी यही दावा दोहराया गया है। 2025 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण में एक उल्लेखनीय बदलाव का भी प्रतीक है। 2017 के ट्रंप-कालीन रणनीति दस्तावेज़ की स्पष्ट आलोचना से बचती है, जिसमें पाकिस्तान पर अमेरिकी सहयोगियों को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों का समर्थन करने का खुला आरोप लगाया गया था और कड़े आतंकवाद-रोधी कदम उठाने की माँग की गई थी, और इस्लामाबाद पर अपने परमाणु शस्त्रागार का ज़िम्मेदार प्रबंधन करने का दबाव डाला गया था।


https://ift.tt/CRgnmMZ

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *