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सोनभद्र में खनन हादसा का मामला:डाला-बिल्ली क्षेत्र की 37 खदानें बंद, हजारों की आजीविका प्रभावित

सोनभद्र जनपद में 15 नवंबर को हुए एक खनन हादसे में सात मजदूरों की मौत के बाद डाला-बिल्ली खनन क्षेत्र में संकट गहरा गया है। इस घटना के बाद खनिज सुरक्षा निदेशालय ने क्षेत्र की 37 पत्थर खदानों को मानकों का पालन न करने के आरोप में बंद करने का आदेश दिया है। इस आदेश से खनन क्षेत्र के व्यवसायी और हजारों मजदूर प्रभावित हुए हैं, जिनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। यह जनपद सूबे को सर्वाधिक खनिज राजस्व देता है, और पत्थर खनन यहां का प्रमुख उद्योग है। इस गंभीर स्थिति पर विचार करने के लिए शुक्रवार की देर शाम को डाला-बिल्ली क्रेशर संगठन ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई। संगठन के अध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने बैठक में पत्थर खनन से जुड़े सभी वर्गों की समस्याओं को उठाया। उन्होंने बताया कि वाराणसी क्षेत्र के डायरेक्टर खनिज सुरक्षा ने बिल्ली-मरकुंडी स्थित 37 खदानों को बंद कर दिया है, जिससे हजारों स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है। अजय कुमार सिंह ने कहा कि इन 37 पट्टा धारकों की खदानें बंद होने से क्षेत्र में आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई है। उन्होंने जिलाधिकारी से तत्काल इस संबंध में वार्ता की और समाधान की मांग की। सिंह ने कहा कि जिलाधिकारी ने सभी प्रभावित पट्टा धारकों को शनिवार को सुबह 11 बजे अपने कार्यालय में एक विशेष बैठक के लिए बुलाया है। इस बैठक का उद्देश्य समस्या का सामूहिक समाधान निकालना है। संगठन के अध्यक्ष ने आशा व्यक्त की है कि जिलाधिकारी की बैठक में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे और बंद खदानों को फिर से खोलने या वैकल्पिक रोजगार के उपायों पर सहमति बन सकेगी। खनन व्यवसायी रमेश सिंह ने कहा कि वे सरकार और प्रशासन के साथ मिलकर इस संकट का समाधान निकालेंगे ताकि क्षेत्र के लोगों को दोबारा स्थिर आय मिल सके। बैठक में प्रमुख पदाधिकारियों के साथ कई अनुभवी सदस्य उपस्थित रहे। इनमें अजय सिंह, अभिषेक सिंह, उस्मान अली, रमेश सिंह, मिंटू राय, चंद्रभूषण गुप्ता, उमाशंकर अग्रहरि, सुरेश केसरी, संतोष राय, अखिलेश राय, नीरज भाटिया, अजय ओझा,आनंद मौर्य, दीपक केसरी और सफीक आदि शामिल रहे।


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