भास्कर न्यूज |पिपराही मेसौढ़ा गांव के पश्चिम क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में एग्रीकल्चर मोटर कनेक्शन नहीं लगने से किसान परेशानी का सामना कर रहे हैं। समय पर मोटर नहीं लगने के कारण गांवों में सिंचाई व्यवस्था बाधित रही है। जिससे गेहूं फसल में पटवन अधूरा रह जाने का खतरा बढ़ गया है। लगातार बढ़ रही परेशानी को लेकर किसान विभागीय अधिकारियों और बिजली निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। जहां पर सबसे ज्यादा खेती की जाती है, वहीं पर मोटर नहीं लगाया गया है। जबकि मोटर के लिए दो व्यक्ति ने कनेक्शन लिया है। इसके बाद भी अभी तक ना पोल गिराया गया और न ही एग्रीकल्चर ट्रांसफार्मर की सुविधा दी गई। जबकि सरकार लगातार हर खेतों तक पानी पहुंचाने की सुविधा देने की बात कर रही है। मगर, स्थल पर यह फेल नजर आ रहा है। किसानों ने कहा कि कई बार आवेदन दिया, फिर भी नहीं हो रही कार्रवाई। गांव के किसान आमिर, मो. हैदर, अमानुल्लाह का कहना है कि उन्होंने महीनों पहले एग्रीकल्चर मोटर के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक न तो मोटर लगाई गई और न ही किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराई गई। कई किसानों ने बताया कि विभाग का चक्कर लगाने के बावजूद सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। जबकि फसल को निरंतर सिंचाई की जरूरत होती है। वैसे एक महीने पहले पोल एवं ट्रांसफार्मर लगाने वाली एक कंपनी का कर्मी स्थल पर पहुंचकर कागज पर नक्शा बनाकर ले गया था। उसके बाद कोई आदमी स्थल पर नहीं पहुंचा। किसान अमानुल्लाह ने बताया कि गेहूं सिंचाई को लेकर महत्वपूर्ण समय आने वाला है। अगर पानी समय पर नहीं पहुंचा, तो खेत सूख जाएगा और उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा। वहीं किसान आमिर ने कहा कि उन्हें डीज़ल पंप चलाकर सिंचाई करनी पड़ती रही है, जिससे लागत कई गुना बढ़ जाती है। हम लोग कर्ज लेकर पटवन करते आ रहे हैं। एग्रीकल्चर मोटर कनेक्शन न मिलने के कारण कई किसानों को मजबूरी में डीज़ल से चलने वाले पंपों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे एक ओर जहां खर्च बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर सिंचाई की गति भी प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि लगातार बढ़ रहे डीज़ल दामों ने उनकी कमर तोड़ दी है। किसानों ने जिला प्रशासन और बिजली विभाग से जल्द कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि समय पर सिंचाई नहीं हुई तो फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा, जिससे पूरे सीजन की मेहनत और लागत पर पानी फिर सकता है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समस्या का शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे सामूहिक रूप से धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
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