बलरामपुर में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की नहर बालागंज शाखा में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। अयोध्या और लखनऊ मंडल कार्यालयों से आई जांच टीम ने शाखा में करीब 74.88 लाख रुपये की गड़बड़ियों की पुष्टि की है। इस खुलासे के बाद, वरिष्ठ शाखा प्रबंधक रत्नेश कुमार की शिकायत पर नगर कोतवाली पुलिस ने चार अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की हैं। आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों, अवैध ओवरड्राफ्ट खातों और मिलीभगत के जरिए बैंक के सार्वजनिक धन का गबन करने का प्रयास किया गया। शाखा प्रबंधक ने पुलिस को दी गई अपनी तहरीर में बताया कि जनवरी से जून 2024 के दौरान, एक विशेष योजना के तहत खातों में असामान्य रूप से लेनदेन में वृद्धि देखी गई। जांच में पता चला कि कई ऋण खाते सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना खोले गए थे। इन खातों को खोलने के लिए जाली एलआईपी (जीवन बीमा पॉलिसी), केवीपी (किसान विकास पत्र) और एनएससी (राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र) जैसे दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था। जांच में सामने आया कि चार संदिग्ध खातों में क्रमशः 15 लाख, 20 लाख, 19.88 लाख और 20 लाख रुपये तक की ओवरड्राफ्ट राशि जारी की गई थी। इन राशियों में से एक बड़ी रकम नकद निकाल ली गई, जबकि शेष धनराशि को संदिग्ध रूप से मेसर्स पीएसपी कंस्ट्रक्शंस, उसकी संबद्ध फर्मों और संबंधित परिवारों के खातों में स्थानांतरित किया गया। बैंक के अनुसार, धोखाधड़ी के बाद कुछ राशि वसूल कर ली गई है, लेकिन धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा, बैंक खातों में हेरफेर और विश्वासघात जैसे अपराध पहले ही हो चुके थे। पुलिस जांच में इस मामले में कई लोगों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इनमें तत्कालीन शाखा प्रबंधक महेश त्रिपाठी, बैंक कर्मी विनय कुमार शर्मा, संतोष गुप्ता और यशवंत कुमार शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मेसर्स पीएसपी कंस्ट्रक्शंस के साझेदार पूनम सिंह, वैभव सिंह और समरजीत सिंह के साथ-साथ ग्राहक जुहैब अहमद, मोहम्मद राशिद और अमिता सिंह भी जांच के दायरे में हैं। वरिष्ठ शाखा प्रबंधक की लिखित शिकायत के आधार पर कुल आठ आरोपियों के खिलाफ विभिन्न गंभीर धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं। प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इनमें से कुछ आरोपियों के खिलाफ पहले भी मामले दर्ज हो चुके हैं। पुलिस इस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच कर रही है।
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