मैनपुरी में शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में आयोजित परिवार परामर्श केंद्र में 42 मामलों की सुनवाई हुई। इस दौरान पांच दंपतियों के बीच समझौता कराकर उन्हें एक साथ विदा किया गया। केंद्र पर पहुंचे अधिकतर मामले गंभीर और वर्षों पुराने थे। परामर्श केंद्र की टीम ने लगातार काउंसलिंग के माध्यम से दंपतियों के बीच सुलह कराई और उन्हें नए सिरे से रिश्ते की शुरुआत करने का अवसर दिया। पहला मामला कोतवाली क्षेत्र का था, जहां एक महिला ने अपने पति पर अन्य महिलाओं से संबंध होने का आरोप लगाया था। दंपती के दो बेटे हैं, लेकिन महिला पिछले पांच साल से अपने मायके में रह रही थी। कई दौर की काउंसलिंग के बाद दोनों ने साथ रहने का निर्णय लिया। दूसरा मामला गाजियाबाद निवासी दंपती का था, जिनके बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर लगातार मनमुटाव चल रहा था। कई तारीखों में अलग-अलग सुनवाई के बाद, दोनों ने अपनी गलतफहमियों को दूर कर एक नया अध्याय शुरू करने पर सहमति जताई। बेवर क्षेत्र की एक महिला ने शिकायत की थी कि उसका पति शराब पीकर मारपीट करता है और घर खर्च नहीं देता। महिला ने यह भी बताया कि बच्चे के जन्म के समय भी पति उसके साथ नहीं था। कई तारीखों में हुई सुनवाई के बाद, दंपती ने साथ रहने पर सहमति व्यक्त की। एटा निवासी एक अन्य मामले में पत्नी अपने बेटे के साथ तीन महीने से मायके में रह रही थी। पति कई बार उसे लेने गया, लेकिन वह वापस नहीं लौटी। सात काउंसलिंग सत्रों के बाद, दोनों पति-पत्नी साथ रहने के लिए राजी हो गए। पांचवां मामला फिरोजाबाद निवासी दंपती का था। पत्नी ने पति पर स्त्रीधन छीनने और मारपीट करने का आरोप लगाया था। दो तारीखों में हुई सुनवाई के बाद यह जोड़ा भी आपसी सहमति से साथ रहने को राजी हो गया। इन सभी मामलों में परिवार परामर्श केंद्र की टीम की भूमिका सराहनीय रही। टीम में हेमलता सिंह, रामकिशन यादव, मुजम्मिल मिर्जा, आराधना गुप्ता, मनोरमा सिंह, ममता चौहान, हेड कांस्टेबल कल्याण सिंह और महिला कांस्टेबल रिशु देवी शामिल थीं।
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