गोंडा जिले के कर्नलगंज तहसील में तैनात व रिश्वतखोरी के मामले में जेल भेजे गए राजस्व निरीक्षक संजय शुक्ला को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज जमानत दे दी है। उन्हें बीते 12 सितंबर को एंटी करप्शन टीम देवीपाटन मंडल ने एक किसान से 10,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। गोरखपुर जेल में बंद संजय शुक्ला की एंटी करप्शन कोर्ट गोरखपुर ने पहले जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद संजय शुक्ला ने अधिवक्ता अनिल कुमार और अमरेश बहादुर तिवारी के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट खंडपीठ में जमानत याचिका दायर की थी। जहां आज जस्टिस समीर जैन ने तीसरी सुनवाई पर उन्हें जमानत दी कोर्ट ने पाया कि रिश्वत लेते हुए गिरफ्तारी के दौरान एंटी करप्शन टीम देवीपाटन मंडल ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। अधिवक्ता अमरेश बहादुर तिवारी ने कोर्ट को बताया कि टीम ने संजय शुक्ला को नजदीकी पुलिस स्टेशन ले जाने के बजाय 32 किलोमीटर दूर देहात कोतवाली ले जाकर एसिड टेस्ट और अन्य प्रक्रियाएं पूरी कीं है। नियमानुसार यह प्रक्रिया नजदीकी पुलिस स्टेशन में होनी चाहिए थी। इन तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। अधिवक्ता अमरेश बहादुर तिवारी ने यह भी बताया कि संजय शुक्ला ने रिश्वत के 10,000 रुपए सीधे हाथ में नहीं लिए थे, बल्कि उन्हें बिजली के बोर्ड पर रखा था। टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर करनैलगंज कोतवाली के बजाय सीधे 32 किलोमीटर दूर देहात कोतवाली ले जाकर प्रक्रिया पूरी की, जो नियमों के विरुद्ध था। कोर्ट ने संजय शुक्ला को जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया है। पैमाइश के नाम पर पैसे लेने का आरोप दरअसल शाहपुर निवासी किसान रामकुमार ने अपनी जमीन की पैमाइश कराने के लिए धारा-24 के तहत न्यायालय में वाद दायर किया था। अदालत ने राजस्व निरीक्षक संजय शुक्ला को पैमाइश कर रिपोर्ट लगाने के आदेश दिए थे। लेकिन संजय शुक्ला रिपोर्ट लगाने के नाम पर लगातार रिश्वत की मांग कर रहे थे और 12 सितंबर को ₹10000 रिश्वत लेते ही इन्हें एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तार करके जेल भेजा था।
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