समस्तीपुर में सहायक जेल अधीक्षक आदित्य कुमार की कथित पत्नी अमृता कुमारी ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बरामदे पर अपनी नस काटकर आत्महत्या का प्रयास किया। दो बच्चों की मां अमृता न्याय की गुहार लगाने के लिए लगातार तीन दिनों से एसपी के जनता दरबार में पहुंच रही थीं। घटना की जानकारी मिलते ही महिला थाना अध्यक्ष प्रीति कुमारी और जन शिकायत कोषांग में कार्यरत महिला पुलिस पदाधिकारी मौके पर पहुंचीं। उन्होंने घायल अमृता कुमारी को तुरंत इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया। सदर अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में डॉक्टर उत्सव कुमार की देखरेख में अमृता का इलाज चल रहा है। उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। पत्नी मानने से इनकार कर रहे आदित्य कुमार अमृता कुमारी ने बताया कि उनके पति आदित्य कुमार पहले ठीक थे, लेकिन ससुर के जिला पुलिस कप्तान से मिलने के बाद उनका व्यवहार बदल गया। आदित्य कुमार अब उन्हें अपनी पत्नी मानने से इनकार कर रहे हैं। नवादा की रहने वाली अमृता पिछले तीन दिनों से न्याय के लिए एसपी कार्यालय आ रही थीं। उन्हें रात में वन स्टेप गृह में रखा जा रहा था। आज वह अपने दोनों बच्चों के साथ जिला पुलिस कप्तान अरविंद प्रताप सिंह के जनता दरबार पहुंचीं, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। इसके बाद उन्होंने ब्लेड से अपनी बाईं कलाई की नस काट ली। अमृता कुमारी ने बताया कि अब मैं कहां जाऊंगी मेरा कोई सहारा नहीं है- पहले पति से भी मेरा रिश्ता टूट गया। अब दो बच्चे को लेकर कहां जाऊंगी, दो साल तक उप जेलर आदित्य कुमार ने हमसे गया स्थित विष्णु पर मंदिर में 2022 में शादी की थी और पति-पत्नी के साथ रह रहे थे । मौत के अलावा कुछ नहीं दिख रहा महिला ने बताया कि आदित्य का गया से समस्तीपुर ट्रांसफर होकर आने के बाद अब हमें सड़कों पर छोड़ दिया । अब मुझे मौत के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है । दलसिंहसराय थानाध्यक्ष इरशाद अहमद ने बताया अमृता कुमारी के दिए गए आवेदन के आधार पर दलसिंहसराय थाने में मामला दर्ज कराया गया है। डॉक्टर उत्सव कुमार के देखरेख में महिला का इलाज हो रहा है। डॉक्टर ने बताया कि महिला के बाएं हाथ में एक टांका लगाया गया है। घायल महिला अमृता कुमारी ने बताया कि वे अपने पति के पास दो बच्चों को लेकर उनके सरकारी आवास पर पहुंची और दो दिनों से रह रही थी । एक दिसंबर को ससुर दिलीप सिंह ने पुलिस बुलवाकर अपने बेटे आदित्य कुमार के सरकारी आवास से मारपीट कर भगा दिया था। उसके बाद से लगातार जिला पुलिस कप्तान के कार्यालय में गुहार लगाने पहुंच रही थी।
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