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गोरखपुर में कोटेदारों ने विकास भवन पर किया प्रदर्शन:बढ़ती जिम्मेदारियों और कम कमीशन दरों पर नाराजगी, बड़े आंदोलन की चेतावनी

गोरखपुर में ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर एसोसिएशन के सैकड़ों कोटेदार विकास भवन पहुंचे। सभी संचालकों ने अपने दैनिक कार्यों में बढ़ती जिम्मेदारियों और आर्थिक दबाव को मुद्दा बनाते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के नाम विस्तृत ज्ञापन सौंपा और कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बेहतर बनाए रखने के लिए कोटेदारों की समस्याओं पर तत्काल ध्यान दिया जाना आवश्यक है। अतिरिक्त कार्यों से कामकाज प्रभावित
जिला महासचिव संतोष कुमार गुप्ता ने कहा कि कोटेदारों पर हर वर्ष नए-नए कार्यों का बोझ डाला जा रहा है, लेकिन आयोग में बढ़ोतरी नहीं की गई। आधार सत्यापन, पोर्टेबिलिटी, डीबीटी सत्यापन, लाभार्थियों का डेटा अपडेट, पोस मशीन चलाना और मशीन मेंटेनेंस जैसे कार्यों में हर महीने अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि “प्रदेश में आयोग मात्र 90 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि कई राज्यों में यह 200 रुपये तक है। ऐसे में लागत बढ़ने के बावजूद हमें पुरानी दरों पर काम करना पड़ रहा है।” समस्याओं को नजरअंदाज करना उचित नहीं
जिलाध्यक्ष भगवत मिश्रा ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुचारू रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कोटेदारों पर है, लेकिन शासन उनकी वास्तविक समस्याओं को अनदेखा कर रहा है। उन्होंने बताया कि कई जिलों में महीनों से भुगतान लंबित है, जिससे कोटेदार आर्थिक संकट में फंसते जा रहे हैं। ढुलाई भाड़ा भी मौजूदा बाजार दरों की तुलना में बेहद कम है, जबकि परिवहन से जुड़े खर्च लगातार बढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि समय पर भुगतान और संसाधनों में सुधार किए बिना व्यवस्था को मजबूत नहीं किया जा सकता। यूपी के कोटेदारों को सबसे कम आयोग
प्रदेश उपाध्यक्ष राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि यूपी के कोटेदार सबसे अधिक काम करते हैं, लेकिन उन्हें पूरे देश में सबसे कम आयोग मिलता है। हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में आयोग 200 रुपये या उससे अधिक है, जबकि यूपी में अभी भी 90 रुपये प्रति क्विंटल ही दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “जिस स्तर का डेटा अपडेट, प्रमाणीकरण और तकनीकी कार्य यूपी के कोटेदारों से लिया जा रहा है, वह किसी अन्य राज्य में नहीं लिया जाता। फिर भी हमें उचित भुगतान नहीं मिलता।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समस्याओं का समाधान तत्काल नहीं हुआ, तो संगठन बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएगा। समाधान की उम्मीद, लेकिन तैयारी आंदोलन की भी
प्रदर्शनकारी कोटेदारों ने आयोग वृद्धि, तकनीकी कार्यों के लिए अलग मानदेय, लंबित भुगतान जारी करने और ढुलाई भाड़ा संशोधित करने की प्रमुख मांगें उठाईं। जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने ज्ञापन प्राप्त कर इसे शासन को भेजने का आश्वासन दिया। पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार की प्रतिक्रिया के आधार पर अगला कदम तय किया जाएगा, लेकिन अगर समाधान में देरी हुई, तो आंदोलन को और तीव्र किया जाएगा।


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