Homebound Movie Review: दोस्ती, दर्द और समाज की बेड़ियों में जिंदा बची उम्मीद; एक कहानी जो आपको रुला देगी

कभी कभी कुछ फिल्मे हमारे साथ चलती हैं, हमें सवाल देती हैं और हमें भीतर से झकझोर जाती हैं। ‘होमबाउंड’ ऐसी ही फिल्म है। नीरज घेवान की 2015 की ‘मसान’ ने हमें गंगा किनारे के दर्द से मिलवाया था, जहां सपने और हकीकत टकराते हैं।

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