गोगरी प्रखंड के कई पंचायतों में विश्व मृदा दिवस के अवसर पर खेतों की मिट्टी जांच अभियान चलाया गया। बोरना पंचायत में सहायक अनुसंधान अधिकारी वीरेंद्र पासवान ने किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने लेकर जांच की। जांच के दौरान मिट्टी में पोषक तत्वों विशेषकर जिंक, फास्फोरस और सल्फर की गंभीर कमी सामने आई है। 12 मानकों पर की जाती मिट्टी जांच अधिकारियों के अनुसार, मिट्टी जांच 12 मानकों पर की जाती है, जिसके लिए कम से कम तीन से चार अनुसंधान कर्मियों की आवश्यकता होती है। हालांकि, केंद्रीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला में फिलहाल केवल एक ही सहायक अनुसंधान अधिकारी तैनात हैं, जिसके कारण कार्य कृषि समन्वयकों के सहारे चलता है। ऑर्गेनिक कार्बन महज 9% और जिंक की मात्रा 8%
मिट्टी जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि जिले की मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा घटकर महज 9% और जिंक की मात्रा 8% रह गई है। जिंक की कमी से कुपोषण जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं, जबकि ऑर्गेनिक कार्बन पौधों के लिए भोजन तैयार करता है। सल्फर की कमी के चलते फसलों में प्रोटीन की मात्रा और तिलहन में तेल का प्रतिशत घटने की आशंका जताई गई है। साथ ही, जिले के दो-तिहाई क्षेत्रों में बोरान की कमी भी पाई गई है, जिससे परागण की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है और उत्पादन पर असर पड़ रहा है। तीन लाख किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य कृषि विभाग ने इस वर्ष तीन लाख किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अधिकारियों ने किसानों को चेताया कि खेतों में अंधाधुंध रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार कमजोर हो रही है।उन्होंने जिंक की कमी को पूरा करने के लिए जिंक कोटेड यूरिया का उपयोग करने की सलाह दी है। मिट्टी जांच अभियान के दौरान कई किसान उपस्थित रहे, जिनमें मोहम्मद शहाबुद्दीन, हाजी गुफरान, मीर मिनाज, मोहम्मद अताबुल, दीना यादव, रासो यादव और रविंद्र शाह शामिल थे।
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