भास्कर न्यूज| सहरसा मॉडल अस्पताल सहरसा में गुरुवार को अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई। अस्पताल में दो लोगों की मौत हो जाने के बाद शवों को पोस्टमार्टम रूम पहुंचाने के लिए सरकारी एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराई गई। जिस कारण परिजन मजबूरी में दोनों शव को खुद ही स्ट्रेचर और कंधे पर रखकर पोस्टमार्टम तक ले गए। एक शव को परिजनों द्वारा कंधे पर उठाकर करीब 600 मीटर तक पैदल चलकर पोस्टमार्टम रूम तक पहुंचे। वहीं दूसरे शव को भी परिजन स्ट्रेचर पर रखकर पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाने को विवश हुए। परिजनों ने अस्पताल की गंभीर लापरवाही को बताते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध होना अस्पताल की प्राथमिक जिम्मेदारी है। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक एसएस मेहता ने स्वीकार किया कि अस्पताल में सिर्फ दो एंबुलेंस है। डायल 102 पर काल किए जाने के बाद एंबुलेंस उपलब्ध करवाया जाता है। दूसरा मामला: मधेपुरा में हवलदार पद पर कार्यरत था एक मृतक भोजपुर जिले के बद्री टोला निवासी 53 वर्षीय राजेंद्र प्रसाद सिंह का है, जो बिहार पुलिस में हवलदार पद पर कार्यरत थे। उनकी पोस्टिंग मधेपुरा जिले में थी। बीते दिनों मोतिहारी कोर्ट में गवाही के लिए वे गए हुए थे। 3 दिसंबर को सहरसा जंक्शन पर वे प्लेटफॉर्म नंबर 3 और 4 के बीच लावारिस अवस्था में मिला। राजकीय रेल थाना की सहायता से उन्हें सदर अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने प्रारंभिक कारण हार्ट अटैक बताया।मृतक के परिजन सुजीत कुमार सुमन ने बताया, “हमें अचानक फोन आया कि भाई सहरसा स्टेशन पर बेहोश मिला है। हम रात करीब 11:30 बजे अस्पताल पहुंचे तो देखा कि शव स्ट्रेचर पर बाहर रखा है। पोस्टमार्टम रूम तक जाने के लिए जब एंबुलेंस मांगा गया तो कहा गया कि ड्राइवर नहीं है। इसलिए एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होगा। मजबूरन स्ट्रेचर पर ही शव को लगभग 600 मीटर खींचकर पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाना पड़ा। परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते कहा कि यह साफ तौर पर लापरवाही है। जिस कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है। गुरुवार को शव को कंधे और स्ट्रेचर पर रखकर पोस्टमार्टम रूम तक ले जाते परिजन।
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