हमीरपुर के बीजेपी नेता प्रीतम सिंह किसान 48 दिनों से लापता हैं। परिवार और पुलिस दोनों को अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिला। परिवार कहता है कि उन्हें पुलिस ने गायब किया। तभी हम लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाई। कहा- लगता है आपने प्रीतम सिंह का मर्डर कर दिया। कोर्ट ने 8 दिसंबर को जिले की एसपी को पेश होने का आदेश दिया है। प्रीतम सिंह का विवाद धनतेरस की रात से जुड़ा है। पुलिस उन्हें थाने ले गई। सुबह समझौता हुआ। पुलिस बता रही कि हमने उन्हें सुपुर्द कर दिया। परिवार कह रहा कि प्रीतम घर ही नहीं आए। पुलिस ने घर में छापेमारी की, लेकिन वह नहीं मिले। जिससे विवाद हुआ था, उसके जरिए प्रीतम के खिलाफ 1 महीने बाद केस दर्ज कराया गया। वहीं, केस करवाने वाले व्यक्ति का कहना है कि हमने शिकायत नहीं की, पुलिस ने जबरन केस लिखवाया। अब वह खुद ही पुलिस पर कार्रवाई की अपील कर रहा। पुलिस दूसरे राज्यों तक प्रीतम को खोज रही। उस दिन प्रीतम का क्या विवाद हुआ, समझौते के बाद केस क्यों दर्ज हुआ? प्रीतम सिंह के गायब होने के पीछे क्या तर्क हैं? पढ़िए रिपोर्ट… 3 बार लोकसभा और 1 बार विधायकी का चुनाव लड़ा हमीरपुर जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर राठ कस्बा है। यहां की सियासत में प्रीतम सिंह किसान का नाम जाना-पहचाना है। लोधी बिरादरी में प्रीतम सिंह बुंदेलखंड के बड़े नेता माने जाते हैं। बीजेपी से अपनी राजनीति की शुरुआत की। 2007 में राठ विधानसभा से पहली बार चुनाव लड़ा। 15 हजार वोट से हार गए। 2009 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा लड़ा। लेकिन फिर हार गए। साल 2014 में जब बीजेपी की लहर चली तब प्रीतम सिंह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गए। 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन जीत नहीं पाए। 2022 में वह फिर से बीजेपी में आ गए। इसके बाद से पार्टी में ही बने रहे। राठ में हमीरपुर रोड पर प्रीतम सिंह का पेट्रोल पंप है। इसी के बगल ही उनका घर भी है। 18 अक्टूबर को धनतेरस थी। रात करीब 12 बजे महोबा जिले का नरेश अहिरवार अपने चार साथियों के साथ पेट्रोल पंप पर पहुंचा। यहां इन लोगों ने कार में 3400 रुपए का पेट्रोल भरवाया। नरेश के साथी रविकुमार ने पेमेंट के लिए पेट्रोल पंप पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन किया। इंटरनेट नहीं होने के चलते पेमेंट नहीं हुआ। इसी बीच विवाद हो गया। देखते-देखते मारपीट शुरू हो गई। नरेश की तरफ से उसके अलावा रविकुमार, मनोज, वीरेंद्र और अजय थे। वहीं, दूसरी तरफ पेट्रोल पंप पर तुरंत ही तमाम कर्मचारी आ गए। पेट्रोल पंप पर विवाद की सूचना प्रीतम सिंह को हुई तो वह भी पहुंचे। मारपीट बढ़ती देख प्रीतम ने हवाई फायर झोंक दिया। घटना की जानकारी पर इंस्पेक्टर अमित सिंह राठ थाने और कोतवाली पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। एम्बुलेंस भी बुलाई गई। नरेश की तरफ से तीन लोग घायल थे, उन्हें एम्बुलेंस के जरिए सीएचसी ले जाया गया। वहां इलाज के बाद सभी को राठ थाने ले जाया गया। पुलिस ने मौके से सीसीटीवी का डीवीआर, प्रीतम सिंह की लाइसेंसी राइफल, जिससे फायर किया गया और रिवॉल्वर को कब्जे में लिया। प्रीतम सिंह को भी राठ थाने ले गई। सुबह समझौता हुआ, प्रीतम को उनका बेटा लेकर गया थाने के अंदर रातभर गहमागहमी चलती रही। विवाद को खत्म करने की कोशिश हुई। सुबह जाकर दोनों पक्षों के बीच आपसी सुलह-समझौता हो गया। प्रीतम सिंह के बेटे राघवेंद्र सिंह भी थाने गए थे। पुलिस ने सुपुर्दगी के लिए राघवेंद्र से कागज पर सिग्नेचर करवाया और इसके बाद प्रीतम सिंह बेटे के साथ थाने से निकल गए। बस इसी के बाद से कहानी में नया मोड़ आ गया। पुलिस के मुताबिक, प्रीतम सिंह को सौंप दिया। परिवार की मानें तो प्रीतम सिंह घर ही नहीं आए। हमीरपुर जिले के पूर्व जिला उपाध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता कहते हैं, मैं सुबह जब थाने पहुंचा तो दोनों पक्षों का समझौता हो गया था। प्रीतम हमारी गाड़ी में बैठे। हमने उन्हें उनके घर छोड़ा था। इसके बाद वह कहां गए, हमें जानकारी नहीं। बीजेपी नेता महेंद्र शुक्ला कहते हैं, जिस दिन विवाद हुआ उस रात करीब डेढ़ बजे प्रीतम सिंह ने मुझे फोन किया। कहा कि थाने आ जाओ। हम थाने पहुंच गए। रातभर मामला चला, इसके बाद सुबह दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया। प्रीतम सिंह बेटे के साथ थाने से चले गए। प्रीतम सिंह रात भर थाने में रहे तो लोग इसे उनकी प्रतिष्ठा पर चोट बताने लगे। रातभर थाने में बैठाए जाने की बात ने तूल पकड़ लिया। समर्थक सोशल मीडिया पर प्रीतम सिंह की तस्वीर लगाकर उनके पक्ष में लिखने लगे। पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ता ये मांग करने लगे कि थानेदार को सस्पेंड किया जाए। न सिर्फ राठ इलाके में बल्कि हमीरपुर, महोबा और बांदा में सियासी पारा हाई हो गया। इन चर्चाओं पर प्रीतम सिंह का कोई बयान नहीं आया। इसके बाद वह लापता हो गए। मतलब वह कहां हैं, किसी को कुछ नहीं पता। पुलिस का दावा- 31 अक्टूबर तक प्रीतम का फोन ऑन रहा परिवार ने प्रीतम सिंह के लापता होने को लेकर पुलिस पर आरोप लगाया। 27 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए। 28 अक्तूबर को पहली सुनवाई हुई। कोर्ट ने हमीरपुर पुलिस को आदेश दिया कि किसी भी हालत में प्रीतम सिंह को 2 अक्टूबर तक कोर्ट में हाजिर करिए। पुलिस पर प्रेशर बढ़ा तो जगह-जगह छापेमारी शुरू हुई। प्रीतम की तलाश में जुटी पुलिस 31 अक्टूबर को उनके ही घर पर उन्हें खोजने पहुंच गई। प्रीतम सिंह के कमरे में ताला लगा था। पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने उस ताले को कटवाया। हालांकि, कमरे में प्रीतम सिंह नहीं मिले। प्रीतम के बड़े भाई वीर सिंह पेशे से वकील हैं। वह कहते हैं कि मेरे भाई की समाज में प्रतिष्ठा है। वह 4 चुनाव लड़ चुका है। एक मामूली से विवाद में इंस्पेक्टर कोतवाली उठा ले गए। 19 अक्टूबर की सुबह तक तो वह कोतवाली में था लेकिन इसके बाद पुलिस ने भाई को कहां रखा, इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। हमने कोर्ट वाद दायर किया है। कोर्ट ने भी आदेश दिया है कि प्रीतम सिंह को हाजिर करें। मामले में जांच कर रहे पुलिस के ही एक अधिकारी कहते हैं, 26 अक्टूबर तक प्रीतम सिंह अपने फोन के जरिए परिचितों से बात करते रहे। उसके बाद भी उनका फोन ऑन था। 31 अक्टूबर को जब उनके फोन की लोकेशन उनके ही घर में मिली। तभी पुलिस मौके पर पहुंची थी। हालांकि, वह नहीं मिले। इसके बाद प्रीतम सिंह का फोन भी बंद हो गया। पुलिस उन्हें खोज रही है। कोर्ट में सुनवाई के बाद पुलिस पर बढ़ा प्रेशर इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रीतम सिंह किसान का मामला जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की डबल बेंच में चल रहा है। 13, 14 और 15 नवंबर को कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई। हमीरपुर पुलिस को फटकार लगी। प्रीतम सिंह के परिवार की ओर से कोर्ट में पक्ष रख रहे वकील आलोक दुबे कहते हैं, ‘जज साहब ने तो पुलिस की जांच पर सवाल खड़ा किया। यहां तक टिप्पणी कर दी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि पुलिस ने मर्डर कर दिया!’ 27 नवंबर को फिर से इस मामले पर सुनवाई हुई। प्रीतम सिंह को नहीं खोज पाने पर कोर्ट ने फिर से पुलिस की जांच पर सवाल उठाए। कोर्ट ने आदेश दिया कि 8 दिसंबर को जब इस मामले की अगली सुनवाई होगी तब कोर्ट में जिले की एसपी डॉ. दीक्षा शर्मा व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हों और इस मामले पर अपनी बात रखें। प्रीतम पर केस करने वाला बोला- पुलिस ने प्रेशर डाला इस पूरे मामले पर एक नया मोड़ तब आ गया जब 20 अक्टूबर को पुलिस ने प्रीतम सिंह, उनके बेटे और दो अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया। असल में जिस व्यक्ति नरेश अहिरवार से धनतेरस की रात विवाद हुआ था, उसकी शिकायत को पुलिस ने कोर्ट में रखा और कोर्ट ने प्रीतम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इस शिकायत में कहा गया कि प्रीतम सिंह ने अपने लोगों के साथ मारपीट की, जाति सूचक गालियां दी। इसी के चलते एससी-एसटी एक्ट भी लगा। नरेश अहिरवार को जैसे ही मुकदमे की जानकारी मिली, उसने हाथ खड़े कर दिए। नरेश ने जो कुछ बताया, वह हैरान करता है। उसने कहा- ‘मैं एक शराब की दुकान में सेल्समैन हूं। 9 नवंबर को दुकान पर काम कर रहा था, तभी दो पुलिस की गाड़ियों में कुछ पुलिसकर्मी सादी वर्दी में आए। कहा कि तुम्हारे खिलाफ प्रीतम सिंह के परिवार ने मुकदमा करवाया है। कोर्ट ने सजा दे दी है। अगर खाली पन्ने पर साइन करके हमारे साथ चलोगे तो तुम्हें जेल जाने से बचा लेंगे, नहीं तो तुम्हारा एनकाउंटर करना होगा।’ नरेश ने कहा, 11 नवंबर को पुलिस वाले एससी-एसटी कोर्ट हमीरपुर ले गए। कचहरी के बाहर खड़ा किया। जज साहब ने मेरा सिर्फ नाम और काम पूछा, इसके बाद कुछ नहीं पूछा। इसके बाद पुलिस मुझे अपने साथ ले गई। 22 नवंबर तक इन लोगों ने मुझे अज्ञात जगह पर बंद रखा। अब मैंने कोर्ट में याचिका दायर करके पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अपील की है। भाई बोले- पुलिस के पास है प्रीतम इस पूरे मामले पर हमने प्रीतम सिंह के बड़े भाई वकील वीर सिंह से बात की। वह कहते हैं, जबसे भाई गायब हुआ है, पूरे परिवार में मानसिक तनाव है। बच्चों को संभालना मुश्किल हो रहा। अंदर से डर और घबराहट है। ऐसा लगता है कि मेरा भाई पुलिस के ही पास है, और कहीं नहीं। अभी तो ईश्वर से बस यही प्रार्थना है कि वह बस जिंदा वापस आ जाएं। वीर सिंह कहते हैं, इस मामले में पुलिस, एसटीएफ, एसओजी सब लगे हैं। लेकिन वे लोग प्रीतम को खोज नहीं पा रहे। उल्टा हम लोगों से पूछताछ करते हैं। घर के बच्चे प्रयागराज में पढ़ाई कर रहे हैं। हम लोग अक्सर वहां जाकर रुक जाते हैं। मोबाइल के आधार पर उन्हें उठाया जा रहा। उनसे भी पूछताछ की जा रही है। हमने अपने वकील आलोक द्विवेदी से कहा है कि वह कोर्ट में राठ के इंस्पेक्टर, एसएचओ और एसपी के पर्सनल नंबर का सीडीआर निकलवाने के लिए कोर्ट से आदेश करवाएं। क्योंकि, ये सीयूजी नंबर तो उठाते नहीं। सब पर्सनल नंबर से ही बातचीत होती है। अगर इनके नंबर की सीडीआर सामने आए तो पता चलेगा कि किससे क्या बातचीत हुई और मेरा भाई कहां है। बाकी मुझे कुछ नहीं कहना है। करीब डेढ़ महीना बीत गया, परिवार पूरी तरह से हताश है। पुलिस दूसरे राज्यों की पुलिस से मदद ले रही हमीरपुर पुलिस के साथ इस मामले में एसटीएफ, एसओजी समेत कई अन्य टीमें भी प्रीतम सिंह को खोजने में लगी हैं। प्रीतम से जुड़े लोगों की कॉल डिटेल निकाली जा रही। इलाके के सारे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गई है। दूसरे जिले और दूसरे राज्यों की पुलिस से भी मदद ली जा रही है। इन सबके बावजूद अब तक प्रीतम सिंह का कुछ भी पता नहीं चल सका है। —————- ये खबर भी पढ़ें… आजम ने जेल में पत्नी से मुलाकात नहीं की:जेल में एक घंटे तक पर्ची लेकर बैठी रहीं; बेटे ने भी मिलने से मना किया यूपी की रामपुर जेल में बंद सपा नेता आजम खान और बेटा अब्दुल्ला ने परिवार से मुलाकात करने से इनकार कर दिया। पत्नी तंजीम फातिमा, बड़े बेटे अदीब और बहन निखहत अखलाक बुधवार को आजम और अब्दुल्ला से मिलने पहुंचे थे। लेकिन, उन्हें बिना मिले ही वापस लौटना पड़ा। तीनों करीब एक घंटे तक मुलाकात वाली पर्ची लेकर बैठे रहे। पता चला कि बेटे अब्दुल्ला ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया है। पढ़ें पूरी खबर
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