लखनऊ में गुडवर्क दिखाने के चक्कर में बंथरा पुलिस ने जो खेल किया था, तीन साल बाद एंटी करप्शन की जांच ने उसकी पूरी परतें खोल दी हैं। सरिया व्यापारी को चोरी–जालसाजी के फर्जी केस में फंसाने का मामला सामने आने के बाद तत्कालीन इंस्पेक्टर समेत 5 पुलिसकर्मियों पर गंभीर धाराओं में FIR दर्ज हुई है। एंटी करप्शन के निरीक्षक नुरूल हुदा खान ने PGI थाने में यह रिपोर्ट दर्ज कराई थी। दिसंबर 2020 में बंथरा पुलिस ने व्यापारी विकास गुप्ता, डाला चालक दर्शन लाल और छह साथियों पर चोरी और जालसाजी का केस दर्ज किया था। 2022 में केस संदिग्ध लगा तो जांच एंटी करप्शन लखनऊ इकाई को दी गई। तीन साल की जांच में यह बातें सामने आई है कि पुलिस ने गुडवर्क दिखाने के लिए जानबूझकर झूठे साक्ष्य जुटाए, मनगढ़ंत कहानी तैयार की और कोर्ट में फर्जी दस्तावेज पेश किए। असली साक्ष्य छुपाए या गायब कर दिए जांच पूरी होने के बाद तत्कालीन इंस्पेक्टर प्रहलाद सिंह, एसएसआई दिनेश कुमार, एसआई संतोष कुमार, आलोक कुमार श्रीवास्तव और राजेश कुमार पर FIR कर दी गई है। आरोपित पुलिसकर्मी फिलहाल लखनऊ रिजर्व लाइन और बहराइच में तैनात हैं। अब पूरा घटनाक्रम पढ़िए… चोरी की सरिया बेचने का आरोप लगाया 31 दिसंबर 2020 की रात दरोगा संतोष कुमार ने दावा किया था कि जनाबगंज बाबा ढाबा के पास एक हाते में चोरी की सरिया का सौदा हो रहा है। इसी गुडवर्क के नाम पर व्यापारी विकास गुप्ता और डाला चालक दर्शन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। छह अन्य लोगों को फरार दिखा दिया गया। पुलिस का आरोप था कि हाफ-डाला में चोरी की सरिया मिली और विकास दर्शन ने कबूल किया कि उन्होंने यह सरिया फरार साथियों से खरीदी थी। जब विकास की जेब से विशाल आयरन स्टोर की रसीद मिली तो पुलिस ने कहानी गढ़ दी कि वह चोरी की सरिया सस्ते में खरीदकर अपनी दुकान पर महंगे दामों में बेचता है। इसी आधार पर छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। अगले दिन पुलिस ने इसे बड़ा गुडवर्क बताकर अधिकारियों से शाबाशी भी बटोरी। अब खुला सच, पूरा गुडवर्क था फर्जी एंटी करप्शन की जांच ने साबित कर दिया कि पूरा मामला पुलिस की बनाई कहानी थी। व्यापारी को झूठे केस में फंसाया गया और जो गुडवर्क बताया गया था, वह पूरी तरह फर्जी निकला।
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