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जगद्गुरु रामभद्राचार्य बोले- सनातन धर्म को कोई मिटा नहीं सका:संभल में कहा– मुगलों, अंग्रेजों और तुष्टिकरण की नीतियों से भी नहीं हुई हानि

संभल के थाना ऐंचोड़ा कंबोह गांव स्थित श्रीकल्कि धाम में विश्व की पहली *कल्कि पुराण कथा* के चौथे दिन गुरुवार को विशाल श्रद्धालु समुदाय के बीच जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने विस्तृत कथा वाचन किया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म पर जितने भी दुष्प्रयास हुए, इतिहास गवाह है कि कोई भी उसे समाप्त नहीं कर पाया। जगद्गुरु ने नालंदा विश्वविद्यालय के उस भयंकर अग्निकांड का जिक्र किया, जो छह महीने तक नहीं बुझा था और जिसमें अनगिनत दुर्लभ धर्मग्रंथ जलकर नष्ट हो गए थे। उन्होंने कहा- कल्कि पुराण के जो श्लोक ब्राह्मणों को याद थे, उन्हीं पर आधारित 35 अध्याय आज उपलब्ध हैं। ब्राह्मणों ने कंठस्थ कर पुराण को संरक्षित रखा। कल्कि धाम के लोकार्पण पर मैं इसका शुद्ध स्वरूप प्रस्तुत करूंगा। अब पढ़िए जगदगुरु रामभद्राचार्य के 7 बड़े बयान… विधर्मियों के इरादे असफल रहेंगे: सनातन कभी नहीं झुकेगा
जगद्गुरु ने कहा कि राक्षसों और आक्रांताओं ने भारतीय संस्कृति को जितना नुकसान पहुंचा सकते थे, पहुंचाया। कई पुराणों में छेड़छाड़ भी की गई। लेकिन उनका स्पष्ट बयान था- विधर्मियों के मनोरथ कभी सफल नहीं होंगे। सनातन धर्म कभी नहीं झुका और न ही आगे झुकेगा। अब सनातन को कोई हानि भी नहीं होगी। उन्होंने तर्क दिया कि मोहम्मद गौरी, महमूद गजनवी, चंगेज खान, मुगलों की कूटनीति, अंग्रेजों का कुचक्र और 2014 से पहले की सरकारों की तुष्टिकरण नीति भी सनातन को मिटा नहीं सकी। वंश, संस्कृति और तुष्टीकरण पर बोले जगद्गुरु
उन्होंने कहा कि वे अपने वंश और वशिष्ठ गोत्र पर गर्व करते हैं और जीवन में कभी तुष्टीकरण में विश्वास नहीं किया। व्यक्ति को अपने वंश, देश और परिवेश पर गर्व होना चाहिए। जगद्गुरु ने कहा कि सनातन धर्म कभी जातिवादी नहीं रहा। उन्होंने कहा- यदि जाति प्रथा समाप्त होनी चाहिए तो मैं सबसे पहले तैयार हूं। सरकार आरक्षण जाति के आधार पर नहीं, आर्थिक आधार पर लागू करे—मैं पूर्णतः सहमत हूं। कल्कि जन्मस्थल और कंबोज क्षेत्र का शास्त्रीय उल्लेख
उन्होंने आगे शास्त्रों का उल्लेख करते हुए कहा- पंजाब से दक्षिण-पूर्व दिशा में कंबोज पड़ता है, जो पांचाल से सटा है। दो गंगाओं के बीच बसा यही कंबोज कल्कि भगवान का ननिहाल है। उन्होंने उस भ्रांति का खंडन किया कि कल्कि का जन्म *कुंवारी कन्या से होगा। जगद्गुरु ने कहा- यह हमारी संस्कृति नहीं है। कल्कि की माता सधवा हैं, अविवाहित नहीं। उनके पति का नाम विष्णुयश है। जब माता विष्णुयश की पत्नी हैं, तो वे कन्या कैसे हो सकती हैं? यह पढ़कर मुझे रातभर नींद नहीं आई। मरियम-ईसा संदर्भ और कल्कि अवतार की प्रक्रिया पर टिप्पणी
जगद्गुरु ने कहा- मरियम कुंवारी के पेट से ईसा का जन्म हो सकता है, पर हमारे भगवान का जन्म कुंवारी कन्या के माध्यम से नहीं होगा। कल्कि भगवान अवतरित होंगे तो माता को प्रसव पीड़ा नहीं होगी, वे सीधे प्रकट होंगे। कलियुग के पापों पर कठोर टिप्पणी
उन्होंने कहा कि ब्रह्मा जी ने भगवान से प्रार्थना की थी- अब अनाचार सीमा पार कर गया है। कलियुग में बाप बेटी पर भी बुरी निगाह रख रहा है, भाई बहन से विवाह कर रहा है। यह कौन सी सीमा शेष रह गई? वैदिक धर्म कराह रहा है।उन्होंने कहा- भगवान के नाम को किसी काल में नहीं बांधा जा सकता—वे थे, हैं और रहेंगे। पत्नी–वाइफ और हस्बैंड–पति पर भी कही बात
जगद्गुरु ने कहा- वाइफ पत्नी नहीं हो सकती, पत्नी वाइफ नहीं हो सकती। हस्बैंड पति नहीं हो सकता और पति हस्बैंड नहीं हो सकता। जो पतन से बचाए वही पत्नी है। अवतार लेने का आह्वान करते हुए समापन
अपने आशीर्वचन के अंतिम चरण में उन्होंने भक्ति और सामाजिक चेतना से ओत-प्रोत चौपाई गाई- आओ जगत उद्धार को अवतार लो, देखो यह गैया कट रही, गुंडों से धरती पट रही। आओ भारत का भाग्य संवार लो, अवतार लो अवतार लो। जय जय कल्कि, जय संभल धाम, जय जय सीताराम, जय जय राधेश्याम।


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