काशी भ्रमण के बाद काशी तमिल संगमम् का पहला दल गुरुवार सुबह विशेष बस से वाराणसी से प्रयागराज पहुंचा। दल में तमिलनाडु से आए अध्यापकों सहित बड़ी संख्या में प्रतिनिधि शामिल थे। संगम तट पर पहुंचते ही मेहमानों का टीका लगाकर, पुष्प वर्षा और पारंपरिक लोकगीत,लोकनृत्य के साथ हर हर महादेव तथा वणक्कम प्रयागराज के उद्घोष से भव्य स्वागत किया गया। जैसे ही बस संगम तट पहुंची, स्थानीय प्रशासन और सांस्कृतिक टीमों ने मेहमानों का पारंपरिक टीका लगाकर और भव्य पुष्पवर्षा के साथ औपचारिक स्वागत किया। स्वागत स्थल पर लोक कलाकारों ने बुंदेलखंडी, अवधी एवं पूर्वांचली लोकगीतों की प्रस्तुति दी, जबकि लोकनृत्य दलों ने मनमोहक नृत्यों से माहौल को उत्सवमय बना दिया। तमिल मेहमानों ने पहली बार गंगा–यमुना–सरस्वती के त्रिवेणी संगम की पवित्रता और पारंपरिक स्वागत से खुद को विशेष सम्मानित महसूस किया। संगम स्नान किया स्वागत के बाद प्रतिनिधियों को नौकाओं के माध्यम से संगम क्षेत्र का विस्तृत भ्रमण कराया गया।मेहमानों ने पवित्र संगम स्नान कर आध्यात्मिक ऊर्जा और विशेष अनुभव का आनंद लिया। बड़े हनुमान मंदिर और शंकर विमान मंडपम् का भ्रमण स्नान और भ्रमण के बाद सभी अतिथियों को श्री बड़े हनुमान मंदिर ले जाया गया, जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन किए। इसके बाद प्रतिनिधियों ने शंकर विमान मंडपम मंदिर का भी अवलोकन किया, जो दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला का अनोखा उदाहरण है। इस मंदिर के दर्शन ने तमिल प्रतिनिधियों को अपने सांस्कृतिक परिवेश की झलक प्रयागराज में ही देखने का अवसर दिया। मेयर गणेश चन्द्र केसरवानी ने किया सम्मान कार्यक्रम के दौरान प्रयागराज के मेयर गणेश चन्द्र केसरवानी ने स्वयं उपस्थित होकर सभी मेहमानों का स्वागत व सम्मान किया।उन्होंने कहा- “काशी तमिल संगमम् भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो देश की विविध संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य कर रही है। यह तमिल और काशी की सांस्कृतिक विरासत को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम बन रही है। प्रयागराज आकर प्रतिनिधि यहां की आध्यात्मिकता, लोक संस्कृति और परंपराओं को नजदीक से महसूस कर रहे हैं।”
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