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नई विधि से लहसुन की खेती कर रहे किसान:गढ़वा में मल्चिंग पेपर और वर्मी कम्पोस्ट का कर रहे उपयोग, बढ़ रही पैदावार

शिवहर जिले के पुरनहिया के बसंत जगजीवन पंचायत के वार्ड नंबर 8 निवासी अशोक कुमार नई तकनीकी विधि से लहसुन की खेती कर रहे हैं। वह लगभग पांच कट्ठा जमीन पर लहसुन उगा रहे हैं, जिससे उन्हें बेहतर पैदावार की उम्मीद है। खेती की तैयारी और खाद का इस्तेमाल किसान अशोक कुमार ने अपनी विधि के बारे में बताया कि सबसे पहले खेतों की अच्छी तरह जुताई की जाती है। इसके बाद मिट्टी में कंपोस्ट और वर्मी कम्पोस्ट खाद मिलाई जाती है। इस प्रक्रिया के बाद मिट्टी की सतह पर मल्चिंग पेपर बिछाया जाता है, जिसके नीचे वर्मी कम्पोस्ट और गोबर का इस्तेमाल किया जाता है। मल्चिंग पेपर की भूमिका मल्चिंग पेपर में पहले से ही छिद्र बने होते हैं। इन छिद्रों के माध्यम से लहसुन की कलियों को आधे से एक इंच की गहराई पर मिट्टी में रोपा जाता है। रोपाई के दौरान प्रत्येक कली के बीच लगभग तीन से चार इंच का अंतर रखा जाता है। लहसुन की रोपाई की विधि लहसुन के अंकुरण और जर्मिनेशन के बाद, मल्चिंग पेपर के दोनों किनारों से मिट्टी को गहरा खोदकर हटा दिया जाता है, जिससे नालीनुमा संरचना बन जाती है। सिंचाई के लिए इन खोदी हुई नालियों में पानी डाला जाता है। चार फीट चौड़े मल्चिंग पेपर के दोनों ओर से पानी रिसकर लहसुन के पौधों तक पहुंचता है। मल्चिंग पेपर के फायदे अशोक कुमार के अनुसार, इस विधि का सबसे बड़ा फायदा यह है कि मल्चिंग पेपर खरपतवारों को उगने नहीं देता। उनका मानना है कि खरपतवार ही फसल की पैदावार को नष्ट कर देते हैं। इस तकनीक से उनकी लहसुन की फसल का विकास और पैदावार दोनों ही बेहतर होते हैं।


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