गोरखपुर में पांच साल का मासूम ओरियन मॉल की तीसरी मंजिल से नीचे गिर गया। करीब 35 फिट ऊंचाई से गिरने से उसके हाथ-पैर टूट गए। बच्चे को नजदीक के प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां से प्राथमिक इलाज के बाद परिजन बच्चे को लेकर मेडिकल कॉलेज रोड स्थित सिटी हॉस्पिटल लेकर गए। डॉक्टर ने बच्चे की कई जांच कराई है। जिसमे बच्चे के बांया हाथ और दांया पैर की हड्डी टूटी मिली है। वहीं अभी तक की जांच में सिर में कोई घाव नहीं मिला है। मासूम अपनी मां और मौसी के साथ कैंट थाना क्षेत्र के मोहद्दीपुर स्थित ओरियन मॉल आया थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मॉल की तीसरी मंजिल पर मां-मौसी सेल्फी और रील बना रही थीं। इस दौरान बच्चा अपनी छोटी बहन के साथ खेलते-खेलते तीसरे मंजिल पर लगे एक्सीलेटर के पास से नीचे गिर गया। मूवी देखने गया था परिवार, एक घंटे पहले मॉल पहुंचा
कैंट थाना प्रभारी संजय सिंह ने बताया कि खोराबार थानाक्षेत्र के दिव्यनगर निवासी अनिकेत पांडेय बृद्ध रेवेन्यू होटल में फाइनेंस मैनेजर हैं। अनिकेत पांडेय ने बताया कि मंगलवार की रात उनकी पत्नी साक्षी अपने 5 साल के बेटे आद्वीक, 3 साल बेटी अदिति, अपनी बहनें स्मिता मिश्रा व जया मिश्रा के साथ ओरियन मॉल में फिल्म देखने गए थे। रात 10:55 बजे का टिकट बुक कराया था। मगर परिवार के लोग करीब 9:15 बजे मॉल पहुंच गए। सभी लोग तीसरी मंजिल पर स्थित ओपन फूड कोर्ट में बैठे हुए थे। इसी दौरान आद्वीक चौथी मंजिल पर जाने वाले एक्सीलेटर के पास पहुंच गया। घरवालों ने ध्यान नहीं दिया। वह खेलते-खेलते नीचे गिर गया। इसके बाद चिल्लाते हुए मां साक्षी नीचे की तरफ दौड़कर गईं। जहां पर बच्चा मम्मी-मम्मी चिल्ला रहा था। परिजन उसे तुरंत टीमोनियर हॉस्पिटल फिर शकुंतला अस्पताल लेकर गए। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर देखते हुए उसे सिटी हॉस्पिटल रेफर कर दिया। जहां इलाज चल रहा है। घटना के बाद से ही आद्वीक की मां साक्षी का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार खुद को कोस रही हैं। साक्षी का कहना है कि मैंने अगर ध्यान दिया होता तो आज मेरे बच्चे का यह हाल नहीं होता। पुलिस के मुताबिक, बच्चे के पिता अनिकेत पांडेय ने बताया कि गलती हम लोगों की है। परिवार के लोग ध्यान देते तो ये दिन नहीं देखना पड़ता। मॉल की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
मोहद्दीपुर स्थित ओरियन मॉल में 5 साल के बच्चे की गिरने की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद लोगों ने साफ तौर पर कहा कि ऊपरी मंजिलों पर रेलिंग की ऊंचाई और संरचना बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। कई स्थानों पर रेलिंग अपेक्षाकृत नीची दिखाई देती है, जिससे छोटे बच्चों के लिए खतरा बढ़ जाता है। कहीं भी जाली नहीं लगाई गई है। बड़े मॉल में ऊंचाई वाले स्थानों पर जाली लगाई जाती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, मॉल जैसी बहुमंजिला इमारतों में रेलिंग की न्यूनतम ऊंचाई, गैप और सुरक्षा मानकों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश होते हैं। बुधवार को मॉल घूमने आने वाले लोग अपने बच्चे का खास ख्याल रखते दिखे। मॉल के अंदर बच्चों का हाथ पकड़कर साथ जा रहे थे। साथ जहां से बच्चा गिरा था, वो जगह भी लोग देख रहे थे। कैंट थाना प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि मॉल में बच्चे के गिरने की सूचना मिली थी। बच्चे के पिता से भी बातचीत की गई है। अगर कोई कंपलेन करते हैं तो इस हादसे की जांच की जाएगी। मॉल के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे भी देखे जाएंगे। रील बनाने के चक्कर में पहले भी हो चुके हैं हादसे जून 2025: गीडा इलाके के पिपरौली निवासी राज वर्मा (17) का शव राप्ती नदी में जून 2025 में पिपरौली बाजार घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर मिला था। वह कालेसर जीरो पॉइट के पास राप्ती नदी के घाट पर रील बनाते समय डूब गया था। एसडीआरएफ ने रेस्क्यू अभियान चलाकर राप्ती नदी में बरहुआ गांव के किनारे से शव बरामद किया था। अप्रैल-2023: केंट इलाके के बेतियाहाता में युवती से मोबाइल फोन लूटने के आरोपियों पुलिस ने 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार किया था। पूछताछ में आरोपियों ने बताया था कि तीनों दोस्त हैं व रील बनाने के लिए अच्छी जगहों पर जाने का खर्च पूरा करने के लिए लूट करने लगे। पकड़े गए आरोपियों की उम्र महज 19 से 20 साल के बीच में थी। सभी इंस्टाग्राम पर रील बनाते थे। एक्सपर्ट बोले-रील एक बड़ी सामाजिक समस्या गोरखपुर यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मनीष पांडेय ने कहा कि रील बनाने व देखने की लत अब एक बड़ी सामाजिक समस्या के रूप में सामने आ रही है। हालांकि रील और शॉर्ट्स आज की प्रमुख तकनीकी सांस्कृतिक धाराएं हैं, जिनका बहिष्कार नहीं किया जा सकता लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग हमारे मानसिक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। लोग दूसरों की ट्रेंड हुई रील से अपनी वास्तविकता की तुलना करते हैं, जिससे असंतोष, हीनभावना और अवास्तविक अपेक्षाएं उत्पन्न होती हैं। यह सामाजिक सहनशीलता को कम करके सोशल आइसोलेशन को बढ़ा रही है। यह समस्या वर्चुअल दुनिया की एक सामाजिक संरचनात्मक चुनौती है। जिसका समाधान बहु-स्तरीय सहभागिता से ही संभव है। रील के चक्कर में कई बार लोगों का ध्यान भी भटक जाता है, जिससे कोई दुर्घटना हो सकती है।
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