तारीख- 25 नवंबर, 2025 जगह- कुशीनगर का त्रिलोकपुर गांव। मोदीलाल की इकलौती बेटी की बारात आने वाली थी। 1500 लोगों के लिए खाने में वेज और नॉनवेज बना था। रात आठ बजे तक बारात नहीं आई तो दूल्हे और उसके परिवार को फोन किया गया, लेकिन फोन नहीं उठा। शादी आठ महीने पहले बनकटा परवरपार के नागेंद्र साहनी से 5 लाख नकद, पल्सर बाइक और सामान की मांग पर तय थी। लड़के वाले पहले ही 3 लाख रुपए ले चुके थे। दूल्हे पक्ष को और दहेज चाहिए था, बात नहीं बनी तो बारात नहीं लाए। तारीख- 1 दिसंबर, 2025 जगह- मुजफ्फरनगर के भोपा का कसोली गांव। यहां 28 साल की हिना की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि, ससुराल वालों को 21 लाख रुपए चाहिए थे। हिना की शादी 21 मई 2023 को खुशनसीब से हुई थी। इसके बाद से उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। ये इकलौता मामला नहीं। यूपी में शादी से पहले दहेज की लिस्ट तैयार की जाती है, कई बार ऐन वक्त पर डिमांड बढ़ जाती है। अगर लड़की वाले इसे पूरा नहीं करते तो शादी टूट जाती है। लड़की को प्रताड़ित किया जाता है। दहेज की डिमांड पूरी न होने पर हत्या तक कर दी जाती है। यूपी में दहेज को लेकर झकझोर देने वाली एक सर्वे रिपोर्ट सामने आई। यह सर्वे सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन ने किया। इसके फाउंडर सुनील जागलान और उनकी टीम ने ‘सेल्फी अगेन्स्ट दहेज’ अभियान के तहत सभी जिलों में सर्वे कराया। इसमें 14 हजार 200 लोग ऑफलाइन और 3 हजार 900 लोग ऑनलाइन शामिल हुए। दहेज को लेकर चौंकाने वाली बातें सामने आईं, पढ़िए रिपोर्ट… यूपी में दहेज की सोच कितनी गहरी? ‘सेल्फी अगेन्स्ट दहेज’ अभियान में किए गए सर्वे में यूपी से जुड़े कई चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। आंकड़े बताते हैं कि दहेज प्रथा न केवल जारी है, बल्कि समाज के हर स्तर पर गहराई तक जड़ें जमा चुकी है। 95% लोग आज भी दहेज को सामाजिक मानते हैं सर्वे में शामिल 95% लोगों ने दहेज को सामाजिक रूप से स्वीकार्य माना। यानी वो दहेज लेना और देना गलत नहीं मानते। यहीं नहीं, 92% परिवारों में, जिनके यहां पहले से 2-3 बेटियां हैं। वहां शादी के बाद दहेज की मांग और बढ़ जाती है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि सर्वे में शामिल 99 प्रतिशत लोगों को दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की जानकारी ही नहीं है। फर्स्ट क्लास 98% अफसरों को भी दहेज चाहिए फाउंडर सुनील जागलान बताते हैं कि सर्वे में एक और रोचक चीज सामने आई। जो जितना संपन्न है, उसे उतना ही दहेज चाहिए। सर्वे में एक बात निकलकर आई कि यूपी में फर्स्ट क्लास के 98% अफसर दहेज लेकर ही शादी करते हैं। दहेज न देने पर लड़कियों की नहीं हो रही शादी सेल्फी अगेंस्ट दहेज सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, दहेज न देने से पढ़ी-लिखी लड़कियों की शादी नहीं हो रही। दहेज न देने की वजह से यूपी में 32 साल से अधिक उम्र की 25000 लड़कियां अविवाहित हैं। ‘सेल्फी अगेंस्ट दहेज’ अभियान की चार प्रमुख श्रेणियां सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के संस्थापक और हरियाणा के पूर्व सरपंच बीबीपुर के सुनील जागलान बताते हैं कि दहेज के लिए कानून तो मौजूद है, लेकिन न्याय की राह में तीन बड़ी बाधाएं हैं। अपर्याप्त जांच, पुलिस की धीमी प्रतिक्रिया, न्यायिक अड़चनें और सबसे बड़ी सामाजिक जागरूकता का अभाव। दहेज प्रथा के खिलाफ देशभर में जागरूकता फैलाने के लिए सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन ने ‘सेल्फी अगेन्स्ट दहेज’ अभियान को चार श्रेणियों में बांटा। 1- दहेज नहीं लेंगे- सेल्फी पोस्ट करें 2- दहेज मुक्त शादी करने वालों की कहानियां 3-दहेज लौटाने वाले परिवार- सुधार की मिसाल 4- कानूनी लड़ाई लड़ रहीं पीड़ित महिलाएं एक सेल्फी, एक संकल्प सुनील जागलान कहते हैं कि मैंने दहेज के खिलाफ लड़ाई शुरू की। अब समाज को स्वीकार करना होगा कि दहेज लेने वाले कभी भी हत्यारे बन सकते हैं। दहेज रिश्ते का मर्डर है। हमें सीधे शब्दों में बोलना होगा।मेरी सभी से अपील है कि सेल्फी लें, संकल्प लें और #SelfieAgainstDowry के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट करें। दहेज से जुड़े अपराध 14% बढ़े दहेज से जुड़े अपराधों में 2023 में 14% की बढ़ोतरी हुई है। 2023 में 15,489 दहेज से जुड़े मामले दर्ज हुए। 6,100 से ज्यादा महिलाओं की मौत हुई। 2022 में 13,479 और 2021 में 13,568 मामले दर्ज हुए। दहेज के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर रहा, जहां 7,151 मामले दर्ज हुए। इसके बाद बिहार 3,665 और कर्नाटक 2,322 का स्थान रहा। वहीं, 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2023 में एक भी दहेज का केस दर्ज नहीं हुआ। 6,156 महिलाओं की मौत दहेज विवाद में हुई। अकेले उत्तर प्रदेश में 2,122 और बिहार में 1,143 मौतें दर्ज की गईं। दहेज निषेध कानून के तहत 2023 में 83,327 मामले ट्रायल के लिए कोर्ट में पेंडिंग रहे। इनमें से 69,434 पुराने मामले थे। इस कानून के तहत पुलिस ने 27,154 लोगों को गिरफ्तार किया। जिनमें 22,316 पुरुष और 4,838 महिलाएं शामिल थीं। दहेज के खिलाफ कानून दहेज के खिलाफ दहेज निषेध अधिनियम 1961, IPC की धारा 304B और 498A और प्रोटेक्शन ऑफ वुमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 जैसे कानून मौजूद हैं। कब बना दहेज प्रथा पर कानून? भारत में शादी के लिए लेनदेन को लेकर दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 बना था, जो 1 जुलाई 1961 को लागू किया गया था। यह अधिनियम बताता है कि दहेज लेना या देना कानूनन दंडनीय अपराध है। इसे रोकना या खत्म करना बहुत जरुरी है। दहेज विरोधी कानूनों को मजबूत करने और किसी महिला के पति या उसके परिवार द्वारा की जाने वाली क्रूरता से निपटने के लिए 1983 में नए प्रावधान जोड़े गए। जैसे- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 198A। ………….. ये खबर भी पढ़ें… योगी पैटर्न पर अब बिहार में क्राइम कंट्रोल:15 हजार से ज्यादा एनकाउंटर; वो तरीके जिससे यूपी में अपराधियों की कमर टूटी बिहार में करीब 20 सालों बाद सीएम नीतीश कुमार ने गृह विभाग छोड़ दिया। यह जिम्मेदारी भाजपा ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को सौंपी। इनके कार्यभार संभालने के 24 घंटे में ताबड़तोड़ 2 एनकाउंटर हुए। इस पर चर्चा चल रही कि बिहार में भी अब योगी का यूपी पैटर्न लागू होगा। ऐसे में सवाल है कि अपराधियों पर भाजपा (योगी) का ‘यूपी पैटर्न’ क्या है? यूपी मॉडल की क्या खूबियां मानी जाती हैं? क्या छोटे-मोटे अपराध भी कम हुए? क्या इस मॉडल से लॉ एंड ऑर्डर लंबे समय तक सुधर सकता है? पढ़िए पूरी खबर…
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