इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए पुलिस उप निरीक्षक शैलेंद्र प्रताप की जमानत मंजूर कर ली है। कोर्ट ने कहा कि ट्रैप कार्रवाई संदिग्ध प्रतीत होती है क्योंकि मौके पर न हाथ धुले गए और न बरामद रुपये जब्त किए गए। यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने दिया है। सुल्तानपुर के करौंदी कला थाने में याची की तैनाती के दौरान शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसकी रिहाई की अर्जी पर रिपोर्ट के लिए याची ने 10 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी। अयोध्या की ट्रैप टीम ने याची को रंगे हाथ पकड़ा और रिश्वत की राशि भी बरामद हुई।
जमानत अर्जी में कहा गया कि सभी आरोप झूठे हैं और ट्रैप की प्रक्रिया में गंभीर कमियां है। जहां पर रिश्वत लेने का दावा किया गया था, वहां याची और शिकायतकर्ता के हाथ नहीं धोए गए थे। बरामद रकम न तो मौके पर सीलबंद की गई और न ही बरामदगी मेमो घटनास्थल पर तैयार किया गया। सभी जरूरी औपचारिकताएं ट्रैप के बाद याची और शिकायतकर्ता के साथ थाने में और रास्ते में पूरी की गईं। इससे ट्रैप कार्रवाई की संदेहास्पद हो गई। अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया।
कोर्ट ने माना कि हाथ धोने, पैसे सील करने और मेमो बनाने जैसी औपचारिकताएं मौके पर नहीं बल्कि रास्ते में थाने जाते समय पूरी की गईं। इससे ट्रैप कार्यवाही पर संदेह पैदा होता है। कोर्ट ने पाया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है। याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। साथ ही वह गत 11 अगस्त से जेल में है। ऐसे में याची की जमानत अर्जी शर्तों के साथ मंजूर कर ली।
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