इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चल रही जांच में छात्रों के डिग्री तथा अन्य रिकॉर्ड का निरीक्षण किया जा रहा है। जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कई नवप्रवेशी छात्र एनटीए द्वारा आयोजित सीयूईटी परीक्षा के माध्यम से दूसरी बार बीए में प्रवेश ले बैठे हैं। जबकि वे पहले ही इसी विश्वविद्यालय से स्नातक (बीए) और परास्नातक (एमए) की पढ़ाई पूरी कर चुके थे। हैरानी की बात यह है कि दोबारा प्रवेश लेने के लिए जो दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए, उनमें उनके पुराने स्कूल से प्राप्त स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) की दूसरी प्रति उपलब्ध करायी जिससे वे वर्षों पहले बीए में प्रथम बार दाखिल हुए थे। इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति की अध्यक्षता में प्रयागराज मंडल की कमिश्नर सौम्या अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर जोगेंद्र कुमार, जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा, ADM सिटी सत्यम मिश्रा, जिला प्रशासन के अन्य शीर्ष अधिकारी तथा विश्वविद्यालय के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों के बीच एक महत्त्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रवेश फर्जीवाड़े के प्रत्येक पहलू की गहन समीक्षा की गई। ‘कहीं बड़ी साजिश की तैयारी तो नहीं’ बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई कि यह मामला किसी संगठित समूह, बाहरी एजेंसी, दस्तावेज़ उपलब्ध कराने वाले गिरोह, या किसी बड़ी साजिश से जुड़ा हो सकता है। प्रशासन ने इस चिंता को भी गंभीरता से उठाया कि प्रवेश प्रक्रिया में इस तरह की सेंध सुरक्षा के व्यापक ढांचे पर खतरा उत्पन्न कर सकती है। चर्चा के दौरान इस संपूर्ण प्रकरण को भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा कुछ माह पूर्व जारी किए गए उस महत्वपूर्ण चेतावनी-पत्र से भी जोड़ा गया, जिसमें देश के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को “गंभीर सुरक्षा संकट की संभावना” को लेकर सतर्क किया गया था। उस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि विश्वविद्यालयों को अपने प्रवेश, पहचान सत्यापन और सुरक्षा तंत्र को और अधिक सुदृढ़ बनाना चाहिए, क्योंकि कुछ तत्व संस्थानों में घुसपैठ कर शैक्षणिक व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की बैठक में इस स्पष्ट चेतावनी को वर्तमान प्रवेश फर्जीवाड़े के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक माना गया। ऐसे सभी लोग जिन्होंने इस प्रकार से प्रवेश लिया है, उनके प्रवेश निरस्त करने के साथ ही अन्य वैधानिक कार्यवाही होगी। आखिर दोबारा एडमिशन की जरूरत क्या
प्रवेश प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जिसने पहले ही स्नातक और परास्नातक जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त कर ली हो, उसका दोबारा प्रवेश लेकर खर्च, सीट और सुविधाओं को घेरना न केवल अवसरों की असमानता पैदा करता है, बल्कि यह अन्य योग्य छात्रों के अधिकारों का हनन भी है। कानूनी पहलू से देखें तो यह मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत कई गंभीर अपराधों की श्रेणी में आ सकता है। फर्जी दस्तावेज़ प्रस्तुत करना, शैक्षणिक योग्यता को छिपाकर लाभ प्राप्त करना, मिथ्या प्रस्तुति द्वारा सीट हड़पना, तथा सार्वजनिक प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग, ये सभी कृत्य भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय अपराध हैं। विश्वविद्यालय ने यह स्पष्ट कर दियाक है कि ऐसे किसी भी कृत्य के प्रति चाहे वह छात्र द्वारा किया गया हो या किसी बाहरी तत्व द्वारा पूर्ण कठोरता से कार्रवाई की जाएगी, ताकि परिसर की शुचिता, अनुशासन और शांतिपूर्ण वातावरण सुरक्षित रह सके।कमिटी ऐसे सभी केस का अवलोकन भी कारवाही है जिनमें किसी व्यक्ति के द्वारा किसी औरवकों परीक्षा में बैठाया गया और ऐसे सभी केस में नियत कार्यवाही होगी।
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