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सरकारी स्कूल के बच्चों को मिलेगा भारत देखने का मौका:अंतिम चरण में भारत दर्शन योजना, ताजमहल से चारमीनार तक नजदीक से समझेंगे देश की संस्कृति

बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के लिए एक ऐतिहासिक पहल की घोषणा की है। अब तक बच्चे किताबों और पाठ्यपुस्तकों के जरिए भारत की विविध संस्कृति, इतिहास और सभ्यता के बारे में पढ़ते रहे है। लेकिन जल्द ही इन्हें देश के प्रमुख धरोहर स्थलों को अपनी आंखों से देखने और समझने का अवसर मिलेगा। राज्य सरकार की नई ‘भारत दर्शन योजना’ के तहत बच्चों को आगरा का ताजमहल, हैदराबाद का चारमीनार, दिल्ली के ऐतिहासिक किले, वाराणसी के घाट, जयपुर के महल, कोलकाता के सांस्कृतिक स्थल, केरल के बैकवाटर्स, गोवा के समुद्र तट और देशभर की अन्य प्रमुख विरासतों का दौरा कराया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों को भारत की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता से सीधे परिचित कराना है। अपने अंतिम चरण में योजना जानकारी के अनुसार योजना की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। अगले शैक्षणिक सत्र से इसका क्रियान्वयन शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल राज्य में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के लिए मुख्यमंत्री शैक्षणिक परिभ्रमण योजना संचालित है, जो बिहार के अंदर महत्वपूर्ण स्थलों के भ्रमण तक सीमित है। लेकिन भारत दर्शन योजना इसे राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देती है। विद्यार्थियों में उत्साह—“किताबों में पढ़ा, अब आंखों से देखेंगे” योजना की घोषणा के बाद छात्र-छात्राओं में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। छात्र मनीष कुमार ने बताया कि, ‘सरकारी स्कूल के बच्चों को पहली बार देशभर के पर्यटन स्थलों को देखने का मौका मिलने वाला है। निजी स्कूलों के बच्चे अक्सर बाहर घूम आते हैं, लेकिन हमारे लिए यह मौका बहुत खास है।’ पहले बिहार दर्शन योजना के तहत राजगीर, ककोलत, मुंगेर जैसे स्थलों को देखते थे। लेकिन अब देशभर की ऐतिहासिक जगहों तक जाने का मौका मिलना गर्व की बात है। – शिवांक राज, ​छात्र बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने वाली योजना शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह योजना बच्चों के बौद्धिक, मनोवैज्ञानिक और अनुभवात्मक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। विभाग का मानना है कि वास्तविक जीवन में स्थलों को देखने से छात्रों में सीखने की क्षमता, जिज्ञासा और समझ का दायरा काफी बढ़ता है। अधिकारी बताते हैं कि इस भ्रमण से छात्र देश की सांस्कृतिक परंपराओं, ऐतिहासिक धरोहरों और सामाजिक विविधता को प्रत्यक्ष रूप से समझ पाएंगे। इससे उनकी कक्षागत शिक्षा और अधिक सजीव और प्रभावशाली बनेगी। शिक्षकों ने पहल को सराहा—“ज्ञान-संचार का नया माध्यम” राजधानी पटना के मिलर हाई स्कूल की प्राचार्या किरण कुमारी ने योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। इतिहास हो या संस्कृति—इन्हें किताबों से बेहतर अनुभव स्थल पर जाकर ही किया जा सकता है। प्राचीन काल में भी विद्वान और शासक राज्य-दर्शन कर ज्ञान अर्जित करते थे। इस योजना से बच्चों को भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक बारीकियों को समझने में मदद मिलेगी।


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