उत्तर प्रदेश में आधार कार्ड को जन्मतिथि/जन्म प्रमाण के रूप में अमान्य किए जाने के निर्णय के खिलाफ आवाज़ उठी है। सामाजिक कार्यकर्ता मो. हन्जला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस विषय में एक विस्तृत पत्र लिखकर देशवासियों की पीड़ा से अवगत कराया है। वकील हन्जला द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया आदेश, जिसमें आधार कार्ड को जन्मतिथि अथवा जन्म प्रमाण के रूप में मान्यता न देने की बात कही गई है, से करोड़ों आम नागरिक गंभीर संकट में पड़ गए हैं। पत्र में विशेष रूप से उन नागरिकों की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है। कहा गया है कि बुज़ुर्ग, मज़दूर वर्ग, किसान, रिक्शा चालक, विधवा महिलाए, अशिक्षित एवं वंचित समुदाय जिनके पास जन्म प्रमाणपत्र या शैक्षिक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि उनके जन्म के समय पंजीकरण की व्यवस्था या जानकारी का अभाव था। हन्जला ने अपने पत्र में कहा है कि जिस आधार कार्ड को वर्षों तक देश में सबसे सुरक्षित और सर्वमान्य पहचान दस्तावेज़ बताया गया, आज वही आधार न जन्मतिथि का प्रमाण रह गया है और न ही पहचान का पूर्ण आधार बचा है। कई योजनाएं होंगी प्रभावित पत्र में कहा है कि इससे कई योजनाएं प्रभावित होंगी। निर्वाचन आयोग की SIR प्रक्रिया, वृद्धावस्था पेंशन, राशन कार्ड, बैंक खाते, स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर सीधा असर पड़ेगा। जिससे आम नागरिक मानसिक तनाव और असहायता की स्थिति में है। प्रधानमंत्री से दो अहम मांगें 1. आधार कार्ड को जन्मतिथि के वैकल्पिक प्रमाण के रूप में पुनः मान्यता दी जाए। 2. जिन नागरिकों के पास जन्म प्रमाणपत्र या शैक्षिक दस्तावेज़ नहीं हैं, उनके लिए सरल, मानवीय और सम्मानजनक प्रक्रिया बनाई जाए।
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