कोंच प्रखंड क्षेत्र के मध्य विद्यालय बाली, सिंघड़ा मध्य विद्यालय और चतुरीविघा मध्य विद्यालय में बुधवार को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने उन्हें याद किया और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान प्रधानाध्यापक देवदत्त तिवारी ने विश्व दिव्यांगता दिवस के अवसर पर कहा कि दिव्यांगजन समाज का अभिन्न अंग हैं और उनके प्रति सहानुभूति रखते हुए मदद के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय शिक्षक नागेंद्र कुमार राही ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जीवन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के जीरादेई में हुआ था। बचपन और शिक्षा डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पिता महादेव सहाय संस्कृत और फारसी के विद्वान थे, जबकि माता कमलेश्वरी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने छपरा जिला स्कूल में प्रवेश लिया। जून 1896 में, मात्र 12 वर्ष की आयु में उनका विवाह राजवंशी देवी से हुआ। कार्यक्रम में मौजूद लोग इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक ब्रजेश कुमार, नागेंद्र कुमार राही, नितेश रंजन, मोहम्मद राशिद खान, मनोज कुमार सिंह, अमित कुमार, दीपक कुमार, रामाश्रय यादव, कलावती कुमारी, रश्मि कुमारी, बेनजीर रौशनी इमरोज़ और नंदिनी यादव उपस्थित थे। बाल संसद के प्रधानमंत्री मुस्कान कुमारी, उप प्रधानमंत्री आदित्य कुमार और शिक्षा मंत्री विक्रम कुमार ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। यह कार्यक्रम डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदर्शों को याद करने और दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।
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