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मेरठ जेल में कारतूस ले जाने की साजिश नाकाम:परमिंदर और सुदेश नाम के दो युवकों को तलाशी के दौरान पकड़ा गया, मुकदमा दर्ज

मेरठ जेल के सुरक्षाकर्मियों ने जेल के भीतर कारतूस ले जाने की एक साजिश को नाकाम किया है। करीब पांच कारतूस पकड़े गए हैं जो सामान के बीच छुपा कर ले जाए जा रहे थे। यह कारतूस जेल के भीतर बंद भदौरा गैंग के शूटर मीनू के द्वारा मांगे गए थे ऐसी जानकारी मिल रही है। फिलहाल पकड़े गए आरोपियों से पुलिस पूछताछ कर रही है। पहले जानते हैं पूरा घटनाक्रम घटना मंगलवार की है। हर रोज की तरह मिलाई कराई जा रही थी। गेट पर सामान की चेकिंग के दौरान एक युवक के सामान के बीच 315 बोर के 5 कारतूस देख सुरक्षाकर्मी दंग रह गए। उन्होंने युवक को पकड़ लिया और अफसरों को जानकारी दी। दोनों ने पूछताछ में अपने नाम परमेंद्र जाट और सुदेश यादव बताएं जो किसी मीनू से मिलाई करने आए थे। कुख्यात भदौड़ा गैंग का शूटर है मीनू जेल प्रशासन की तरफ से तुरंत पुलिस को सूचित किया गया। CO सिविल लाइन अभिषेक तिवारी भी जेल पहुंच गए। पूछताछ में पता चला कि परमेंद्र और सुदेश जिस मीनू से मिलने आए थे, उसका पूरा नाम नवनीत उर्फ मीनू टिमकिया है। वह कुख्यात भदौड़ा गैंग का शूटर है और 24 नवंबर को गैर जमानती वारंट में जेल भेजा गया है। पहले से बैग में रखे हुए थे कारतूस पांच कारतूस पकड़े गए हैं जो फलों के बीच में छुपा कर लाये गए थे। अब सवाल यह है कि क्या तमंचा जेल में पहुंच चुका है या किसी अन्य को अंदर पहुंचने का काम दिया गया था। इस मामले में मेडिकल थाने में एफआईआर दर्ज कर दी गई है। पुलिस पकड़े गए परमिंदर और सुदेश से पूछताछ कर रही है। शुरुआती पूछताछ में बताया गया है कि जिस बाग में सामान लाया गया था वह मीनू के घर से मिला था। संभवत: पहले से कारतूस इसमें मौजूद थे। सामान रखने वक्त उनका ध्यान नहीं किया गया। जेल के भीतर बढ़ाई गई मीनू की निगरानी इस घटना के खुलासे के बाद जेल के भीतर बंद शार्प शूटर मीनू की निगरानी बढ़ाई गई है। जेल प्रशासन ने मीनू की बैरक बदल दी है। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि क्या वास्तव में मीनू के द्वारा कारतूस मंगाई गए थे या यह घटना भी किसी साजिश का हिस्सा है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि मीनू की जेल में किसी से कोई रंजिश तो नहीं है। या फिर उसका कोई प्रतिद्वंदी जेल में बंद तो नहीं है। जेल में चलाया गया सघन चेकिंग अभियान परमेंद्र और सुदेश के पकड़े जाने के बाद पुलिस जेल पहुंची और जेल प्रशासन के साथ मिलकर अंदर बैरकों को खंगाला। कई घंटे तक तलाशी अभियान चला लेकिन कहीं कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। जेल प्रशासन जेल के बाहर भी छानबीन में जुटा है। जेल रोड पर लगे कैमरे की मदद से पकड़े जाने से पहले की परमेंद्र और सुदेश की गतिविधियों को देखा जा रहा है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ वीरेश राज शर्मा का कहना है कि जेल में निगरानी बढ़ाई गई है।


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