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19 साल के युवक ने दंडक्रम पारायण 50-दिनों में किया:काशी में बोले- 10 साल का अध्ययन डेढ़ साल में किया, मां-बहन का मिला सपोर्ट

काशी में 19 साल के देवव्रत महेश रेखे ने इतिहास रच दिया है। महाराष्ट्र के इस युवा विद्वान ने शुक्ल यजुर्वेद के करीब 2 हजार मंत्रों का दंडक्रम पारायण 50 दिनों में पूरा किया, जो बिना किसी के रुकावट के चला। महेश को वेदमूर्ति की उपाधि मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका वीडियो शेयर करते हुए बधाई दी। वहीं काशी तमिल संगमम-4 के मंच पर पिता-पुत्र को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने सम्मानित किया। दैनिक भास्कर की टीम ने 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेके से खास बातचीत की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…. सवाल – सबसे पहले यह बताइए कि आपने शुक्ल यजुर्वेद की अष्ट विकृतियों का अध्ययन कैसे किया?
जवाब – सबसे पहले तो श्री गुरुभ्यो नमः। हमारे यहां संहिता, पदक्रम मूल माने जाते हैं, लेकिन अष्ट विकृतियां सबसे कठिन मानी जाती हैं। शुक्ल यजुर्वेद में भी दंडक्रम अत्यंत कठिन होता है। भगवत कृपा और गुरुजी के आशीर्वाद से यह साध्य हुआ। सवाल – यह पूरा अध्ययन कितने दिनों में हुआ और कितने मंत्रों का पाठ किया गया?
जवाब – यह 50 दिनों का कार्यक्रम था। इसमें लगभग 2000 मंत्रों का पठन हमने किया। 200 साल पूर्व नासिक में नारायण देवजी घनपाठी ने इसे पूरा किया था। उनके बाद किसी ने इसे नहीं किया था। उन्होंने 100 दिनों में किया था और भगवान की कृपा से हमने 50 दिनों में पूरा किया। सवाल – आप अभी 19 वर्ष के हैं। इतनी छोटी उम्र में इतनी कठिन विद्या कैसे संभाली और शिक्षा कैसे आगे बढ़ाई?
जवाब – जब मैं आठ साल का था, तब मेरा जनेऊ संस्कार हुआ। उसके बाद पढ़ाई शुरू हुई। मैंने 12वीं कक्षा पास की है—आर्ट्स बोर्ड से। फिर गुरुजनों के पास अध्ययन किया। सामान्यतः यह विषय 10 साल में पूरा होता है, लेकिन भगवत कृपा से हमने इसे डेढ़ साल में पूरा किया। रोज़ 15–15 घंटे अध्ययन किया। सवाल – परिवार से कितना सहयोग मिला?
जवाब – बहुत सहयोग मिला। मेरी माता जी नहीं हैं, लेकिन पिताजी और मेरी बहन ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। उनके कारण ही मैं आज यहां खड़ा हूं। सवाल – काशी में गुरुजनों से कैसा अनुभव रहा?
जवाब – बहुत अच्छा लगा। उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ। यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। सवाल – क्या मुख्यमंत्री ने आपसे कुछ कहा?
जवाब – हां, उन्होंने मुझे बहुत बधाइयाँ दीं और कहा कि ऐसे ही आगे बढ़ते रहो। उन्होंने यह भी कहा कि हम राज्य सरकार के तरफ से आप का सम्मान करेंगे। सवाल – प्रधानमंत्री ने भी आपको सम्मान दिया और ट्वीट किया। इसके बारे में आप क्या कहेंगे?
जवाब – मैं प्रधानमंत्री जी का बहुत आभारी हूं। मां भारती की सेवा के लिए ही हमने यह पारायण किया। हम प्रार्थना करते हैं कि मां भारती प्रधानमंत्री जी से भी ऐसे ही सेवा कराती रहे। सवाल – आगे आपका लक्ष्य क्या है और युवाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब – अभी तो और अध्ययन करना बाकी है। युवाओं से मैं यही कहूंगा कि अध्ययन में लगातार लगे रहें, गुरु की सेवा करें और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें। लगातार 50 दिनों तक की सिद्धि दक्षिण भारत के प्रसिद्ध श्री श्रृंगेरी शारदा पीठम के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री विद्याशंकर भारती जी महाराज ने बताया- काशी के रामघाट स्थित वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में देवव्रत ने 2 अक्टूबर से 30 नवंबर तक लगातार 50 दिन तक यह सिद्धि की। देवव्रत महेश रेखे ने रोज सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक शुक्ल यजुर्वेद के करीब 2000 मंत्रों का दंडक्रम पारायण किया। दंडक्रम मतलब हर मंत्र को 11-11 अलग-अलग क्रमों में दोहराना होता है। उन्होंने बताया कि यह बेहद कठिन होता है। इसे आखिरी बार 200 साल पहले नासिक के वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने किया था। विश्व में दूसरी बार और भारत में 200 साल बाद ऐसा हुआ है। सोने के आभूषणों से सम्मानित
देवव्रत महेश रेखे के सफल पारायण के बाद वाराणसी में शोभायात्रा निकाली गई। यह रथयात्रा चौराहे से महमूरगंज तक गई। इसमें 500 से ज्यादा बटुक शामिल रहे। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री विद्याशंकर भारती जी महाराज ने देवव्रत को स्वर्ण आभूषण और 1 लाख 11 हजार 116 रुपए की सम्मान राशि से सम्मानित किया। दंडक्रम पारायण की 2 तस्वीर देखिए… वेदमूर्ति उपाधि के बारे में जानिए
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री विद्याशंकर भारती जी महाराज ने बताया- वेदमूर्ति वे होते हैं, जिनको वेदों का ज्ञान होता है। यह उपाधि उन विद्वानों और संन्यासियों को दी जाती है। जिन्होंने वेदों और हिंदू धर्मग्रंथों का लंबे समय तक अध्ययन किया हो। उन्हें याद कर लिया हो। इसके अलावा ऐसे लोग जिन्होंने वेदों का गहराई से अध्ययन किया हो। जिनका जीवन वैदिक परंपराओं के संरक्षण और प्रचार में समर्पित हो, उन्हें भी वेदमूर्ति कहा जाता है। पीएम मोदी ने बधाई दी, लिखा- मन प्रफुल्लित हो गया पीएम मोदी ने वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे को बधाई दी। उन्होंने X पर लिखा, 19 वर्ष के देवव्रत महेश रेखे जी ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो जानकर मन प्रफुल्लित हो गया है। उनकी ये सफलता हमारी आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने वाली है। भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर एक व्यक्ति को ये जानकर अच्छा लगेगा कि श्री देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के 2000 मंत्रों वाले ‘दण्डकर्म पारायणम्’ को 50 दिनों तक बिना किसी अवरोध के पूर्ण किया है। इसमें अनेक वैदिक ऋचाएं और पवित्रतम शब्द उल्लेखित हैं, जिन्हें उन्होंने पूर्ण शुद्धता के साथ उच्चारित किया। ये उपलब्धि हमारी गुरु परंपरा का सबसे उत्तम रूप है। काशी से सांसद के रूप में, मुझे इस बात का गर्व है कि उनकी यह अद्भुत साधना इसी पवित्र धरती पर संपन्न हुई। उनके परिवार, संतों, मुनियों, विद्वानों और देशभर की उन सभी संस्थाओं को मेरा प्रणाम, जिन्होंने इस तपस्या में उन्हें सहयोग दिया। कौन हैं देवव्रत महेश रेखे
देवव्रत महेश रेखे (19) महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए। देवव्रत महेश रेखे के पिता महेश चंद्रकांत रेखे भी बड़े विद्वान हैं। वह अपने बेटे के पहले गुरु भी हैं। 5 साल की उम्र से देवव्रत ने वेद मंत्र बोलना शुरू कर दिया था। ———————- ये खबर भी पढ़िए- CM योगी की ओर दौड़ा युवक, कमांडो ने पकड़ा:झपट्टा मारकर घसीटा, नमोघाट पर काशी-तमिल संगमम का शुभारंभ वाराणसी में मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा में बड़ी चूक हो गई। एक शराबी युवक सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए योगी के मंच के पास पहुंच गया। युवक सीएम तक पहुंचता, इससे पहले कमांडोज ने झपट्टा मारकर उसे पकड़ लिया। पढे़ं पूरी खबर…


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