दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठ के उत्तराधिकारी जगद्गुरु शंकराचार्य विधुशेखर भारती महाराज श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन एवं दो दिवसीय प्रवास के लिए श्री कृष्ण जन्मस्थान पहुंचे। जन्मस्थान आगमन पर शंकराचार्य का रजत मंगल कलश, पुष्प गुच्छ एवं मंगल आरती के साथ संस्थान के सचिव कपिल शर्मा एवं सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने श्रद्धा एवं भाव से स्वागत किया। युगल सरकार की आरती की श्री कृष्ण जन्मस्थान पहुंचे शंकराचार्य ने भागवत भवन में विराजमान श्रीराधा कृष्ण युगल सरकार की शृंगार आरती के दर्शन किये। इस अवसर पर पीठ की परंपराओं के अनुसार पूज्य शंकराचार्य जी का पादुका पूजन संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने विधि विधान से संपन्न किया। पादुका पूजन के उपरान्त शंकराचार्य महाराज द्वारा भगवान चंद्रमौलीश्वर का पूजन, अभिषेक किया। विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्री, भोग एवं विशिष्ट मंत्रों के द्वारा भगवान चंद्रमौलीश्वर की पूजा एक अलग ही आनन्द प्राप्ति की अनुभूति करा रही थी। गर्भगृह के किये दर्शन घण्टे, घड़ियाल, मृदंग, ढोल एवं मजीरे की मंगल ध्वनि के मध्य शंकराचार्य जी ने भगवान श्री केशवदेव जी का पुष्पार्चन किया। तदोपरान्त भगवती माँ योगमाया का पूजन एवं आरती वैदिक परंपराओं के अनुसार की। गर्भ गृह जी के दर्शन पूजन एवं तुलसी अर्पित करने के बाद शंकराचार्य जी ने श्रीराधा कृष्ण युगल सरकार को वृहद पुष्पांजलि अर्पित की। जगद्गुरू शंकराचार्य ने श्रद्धालुओं को दिया आशीर्वचन पूजन के बाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पवित्र लीला मंच पर श्रद्धालुओं को आशीर्वचन प्रदान करते हुऐ जगद्गुरू शंकराचार्य जी ने कहा कि कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर जिस प्रकार वासुदेव जी एवं देवकी जी को बन्धन मुक्त किया उसी प्रकार भगवान हमारे जीवन के अज्ञान और अहंकार रूपी बंधनों को नष्ट करें। जिससे हम मानव जीवन के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। इस अवसर पर बोलते हुऐ शंकराचार्य जी ने बताया कि आदि शंकराचार्य जी का जन्म केरल के काल्लाड़ी (कलाड़ी) में हुआ था। आदि शंकराचार्य के जन्मस्थान से लगा हुआ अति दिव्य भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है। आदि शंकराचार्य जी के पूर्वज, माता-पिता एवं स्वयं शंकराचार्य जी ने उस दिव्य कृष्ण मंदिर में भगवान की सेवा-पूजा की एवं स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर अपने जन्मस्थान पर ही एक ऊँचे टीले पर भगवान के दिव्य मंदिर का निर्माण कराकर भगवान की वही प्रतिमा स्थापित की थी।
आशीष उद्बोधन में शंकराचार्य ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के विकास, विस्तार एवं प्राचीन स्वरूप की पुनर्स्थापना के लिए भी कामना की। इसके बाद श्रृंगेरी पीठ से लाये गये विशिष्ट प्रसाद को हजारों श्रद्धालुओं में वितरत किया गया। शंकराचार्य जी के द्वारा प्रसाद प्राप्त करने से श्रद्धालु भाव -विभोर हो गये। यमुना जी की आरती की दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती के मथुरा आगमन पर भगवान परशुराम शोभा यात्रा समिति एवं श्री वामन भगवान महोत्सव समिति के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी घाट स्थित यमुना महारानी मंदिर परिसर में भव्य आरती का आयोजन किया गया। सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति में सम्पन्न इस दिव्य अनुष्ठान में जगद्गुरु श्री श्री विधुशेखर भारती जी ने विधिपूर्वक आरती कर उपस्थित श्रद्धालुओं को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। आरती के दौरान मंदिर परिसर जय यमुना महारानी एवं वैदिक स्तोत्र की ध्वनियों से गूंज उठा। आयोजकों ने बताया कि जगद्गुरु के आगमन से मथुरा के आध्यात्मिक वातावरण में दिव्यता और भी अधिक बढ़ गई है। आरती करने के पश्चात जगत्गुरु महाराज ने धर्म, सेवा और समाज कल्याण के महत्व पर प्रेरक संबोधन दिया। उन्होंने अपने उपदेशों से उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक चेतना एवं कर्तव्यबोध का संदेश दिया। भगवान परशुराम शोभा यात्रा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित रामगोपाल शर्मा ने अपने संबोधन में जगद्गुरु के आगमन को मथुरा के लिए सौभाग्य बताते हुए कहा कि ऐसे दिव्य सत्संग से समाज में संस्कार और सद्भाव की ऊर्जा प्रवाहित होती है। हिंदूवादी नेता संजय हरियाणा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मथुरा धरा पर जगद्गुरु श्री श्री विधुशेखर भारती महास्वामीजी का आगमन सम्पूर्ण ब्रजभूमि के लिए आध्यात्मिक सौभाग्य का अवसर है। संजय हरियाणा ने कहा कि सनातन संस्कृति के संरक्षण और प्रसार का संकल्प तभी सफल होता है जब समाज अपने आचार–विचार में धर्म, अनुशासन और त्याग की भावना को अपनाए। हा कि धर्मकार्य तभी सफल होते हैं जब समाज एकजुट होकर सेवा, समर्पण और संगठन की भावना के साथ आगे बढ़े। उन्होंने जगद्गुरु के आगमन को मथुरा की आध्यात्मिक धरोहर के लिए ऐतिहासिक अवसर बताया।
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