व्यवहार न्यायालय, अररिया के अधिवक्ताओं ने एक दिवसीय बहिष्कार किया। बहिष्कार न्यायायिक पदाधिकारी आशीष आनंद के कोर्ट को लेकर की गई थी। इसके लिए एक दिसम्बर को व्यवहार न्यायालय के दोनों संघों की बैठक आयोजित की गई और उनके कोर्ट के कामकाज को लेकर अधिवक्ताओं ने रोष जताया था। अधिवक्ता उनके न्याययिक कार्यो के संपादन को लेकर दुःखी थे । अधिवक्ता किसी भी सूरत में उनके कोर्ट में काम करने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे । विरोध का स्वर इतना अधिक था कि इसको लेकर दोनों ही संघों की आपात बैठक बुलानी पड़ी। बैठक में सभी अधिवक्तागण विरोध कर रहे थे। दोनों ही संघों के बैठक में अधिवक्ताओं की नाराजगी साफ जाहिर हो रही थी । उसके बाद दोनों ही संघो के पदाधिकारियों न एकदिवसीय बहिष्कार प्रस्ताव पारित किया। प्रथम श्रेणी के न्यायायिक पदाधिकारी के व्यवहार से क्षुब्ध होकर वकीलों ने कोर्ट का एक दिवसीय बहिष्कार कर उनके कोर्ट के कामकाज से अपने आप को अलग रखा । आकिस्मक बैठक अधिवक्ता सरोज झा के द्वारा दिए गए आवेदन पत्र को लेकर बुलाई गई, जिसमे दोनों संघो के अधिवक्ताओं का हस्ताक्षर किया गया था । जानकारी के मुताबिक दहेज उत्पीड़न के केस में पति – पत्नी1बीच मेल जोल होने के बाबजूद भी अभियुक्त को जेल भेजा गया था और इसी को लेकर अधिवक्ताओं में खासी नाराजगी है । अधिवक्ताओं का कहना था कि अगर मेल जोल हो कर सुलह समझौता से परिवार टूटने से बचता है तो जमानत याचिका स्वीकार की जानी चाहिए ।
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