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EC का मतदाता सूची संशोधन: संधू की मानवीय अपील, पर नागरिकता अधिनियम पर यू-टर्न!

24 जून को जिस दिन चुनाव आयोग ने पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी किया, उसी दिन इस आदेश के मसौदे में चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू ने कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ दर्ज करवाई थीं। मौजूद जानकारी के अनुसार, संधू ने यह स्पष्ट किया था कि प्रक्रिया के दौरान पुराने, बीमार, दिव्यांग (PwD), गरीब और अन्य संवेदनशील समूहों के मतदाताओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े और उन्हें हर संभव सहायता मिले।
बता दें कि इस विशेष पुनरीक्षण में सभी वर्तमान मतदाताओं को पुनः एन्यूमरेशन फॉर्म भरना था और कुछ श्रेणियों के लोगों को अपनी पात्रता साबित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज देने थे। संधू की यह टिप्पणी इसी संदर्भ में थी। मसौदे पर बाद में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने अपनी सहमति दी और गौरतलब है कि आदेश को उसी दिन व्हाट्सऐप के माध्यम से मंजूरी दे दी गई, जिससे इस प्रक्रिया की तत्परता साफ दिखाई देती है।
दिलचस्प बात यह रही कि मसौदे में जिन प्रावधानों का उल्लेख था, वे अंतिम आदेश में दिखाई नहीं दिए। ड्राफ्ट में SIR को नागरिकता अधिनियम से सीधे जोड़ते हुए कहा गया था कि 2004 में कानून में बड़े बदलाव के बाद देश में कोई व्यापक पुनरीक्षण नहीं हुआ। हालांकि, अंतिम आदेश जारी करते समय नागरिकता अधिनियम और 2003-04 के संशोधन से जुड़े सभी संदर्भ हटा दिए गए। इसके स्थान पर केवल यह उल्लेख रह गया कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार मतदाता बनने के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है। अंतिम आदेश के पैरा 8 में यह बात अधूरी पंक्ति के साथ दर्ज है, जिस पर चुनाव आयोग ने अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है।
28 नवंबर को आयोग से इस बदलाव पर आधिकारिक प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसी तरह संधू से भी उनके नोट और उसकी स्वीकृति पर पूछताछ की गई, पर वे उपलब्ध नहीं थे। हालांकि, अंतिम आदेश का अध्ययन बताता है कि संधू की चिंता को आंशिक रूप से शामिल किया गया है।
 
पैरा 13 में यह स्पष्ट किया गया कि जिन लोगों द्वारा 25 जुलाई 2025 तक एन्यूमरेशन फॉर्म जमा नहीं किया जाएगा, उनके नाम ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं किए जा सकेंगे, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा गया कि पुराने, बीमार, दिव्यांग और कमजोर तबकों के वास्तविक मतदाताओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो और आवश्यकतानुसार स्वयंसेवकों की सहायता भी उपलब्ध कराई जाए। उल्लेखनीय है कि संधू द्वारा इस्तेमाल किए गए “citizens” शब्द को अंतिम संस्करण में हटा दिया गया है।


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