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लखनऊ ADM पर 25 हजार का जुर्माना:मौलाना जव्वाद बोले- DM ऑफिस कर रहा है गुमराह, उम्मीद पोर्टल की कमियां गिनाई

लखनऊ में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने प्रेसवार्ता करके डीएम और सरकार पर निशाना साधा। मौलाना ने बताया कि हुसैनाबाद ट्रस्ट वक्फ प्रॉपर्टी के संबंध में सही जानकारी न देने पर डीएम कार्यालय पर 25000 का जुर्माना लगा। इसके अलावा मौलाना ने उम्मीद पोर्टल के सर्वर ठप होने को लेकर नाराजगी जताई। ADM पर 25000 का जुर्माना मौलाना जव्वाद ने लखनऊ डीएम पर कोर्ट द्वारा लगाए गए जुर्माने पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि आरटीआई के माध्यम से वक्फ प्रॉपर्टियों की आय का विवरण मांगा था। लेकिन डीएम कार्यालय ने यह कहकर जानकारी देने से मना कर दिया कि यह ‘प्राइवेट प्रॉपर्टी’ है। इस पर कोर्ट ने डीएम पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है और चेतावनी दी है कि आदेश का पालन न होने पर उनकी तनख्वाह भी रोकी जा सकती है। मौलाना जव्वाद ने कहा कि सरकारी अधिकारी यदि वक्फ की आय तक को सार्वजनिक नहीं करना चाहते, तो पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित होगी। यह जुर्माना के पैसे की बात नहीं बल्कि अधिकारियों के लिए सबक है जिसके करियर पर दाग लग गया। ‘उम्मीद पोर्टल ठप’ मौलाना ने उम्मीद पोर्टल की खराब व्यवस्था पर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि पोर्टल का सर्वर बार-बार डाउन रहता है, जिससे वक्फ से संबंधित जानकारियां अपलोड करना नामुमकिन हो जाता है। पोर्टल में तकनीकी खामियां भी हैं, जिसकी वजह से उपयोगकर्ता अपनी पूरी जानकारी दर्ज नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि इतनी भारी संख्या में वक्फ प्रॉपर्टियों के रजिस्ट्रेशन के लिए यह पोर्टल पर्याप्त नहीं है। 5 दिसंबर अंतिम तिथि में इसे पूरा करना असंभव नहीं है। रजिस्ट्रेशन की समय-सीमा को कम से कम छह महीने और बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि SIR का समय बढ़ सकता है तो उम्मीद पोर्टल का क्यों नहीं। ‘SIR के कारण BLO की मौत हो रही’ मौलाना ने SIR के समय-सीमा बढ़ाए जाने पर भी बात की। उन्होंने कहा कि समय बढ़ाया गया है लेकिन यह अभी भी पर्याप्त नहीं है। कई BLO भारी दबाव में हैं और SIR पूरा नहीं कर पा रहे। बड़ी संख्या में BLO की मौतें हुई, इसके बाद उनके परिवार के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई। SIR करने और करने वाले दोनों ही लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं। जिस कानून की वजह से लोगों की जान जा रही हो ऐसे कानून को तुरंत वापस ले लिया जाना चाहिए। मगर सरकार का रवैया ये दर्शाता है कि यहां इंसानों की जान की कोई कीमत नहीं समझी जाती।


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