उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) में संविदा ड्राइवरों की भर्ती अभियान का दूसरा दिन भी पहले दिन की तरह ठंडा रहा। लखनऊ में चल रही भर्ती प्रक्रिया के तहत शनिवार को सुबह से दोपहर तक सिर्फ 18 अभ्यर्थियों ने ही ड्राइवर पद के लिए आवेदन किया, जिससे यह साफ हो गया है कि निगम को ड्राइवरों की भारी कमी पूरी करने में अभी और संघर्ष करना पड़ेगा। दूसरे दिन भी निराशाजनक स्थिति, अभ्यर्थियों की संख्या बेहद कम अवध बस स्टेशन (कैंपस) में चल रही चयन प्रक्रिया में उम्मीद थी कि दूसरे दिन संख्या बढ़ेगी, लेकिन स्थिति पहले दिन से भी कमजोर नजर आई। निगम को सिर्फ लखनऊ क्षेत्र में करीब 200 ड्राइवरों की जरूरत है, जबकि दो दिनों में पहुंचे कुल अभ्यर्थियों की संख्या इस आवश्यकता के मुकाबले बेहद कम है। शादियों का सीजन बड़ी वजह, ड्राइवर निजी कामों में लगे अवध डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (ARM) ने बताया कि इस समय शादियों का सीजन चल रहा है। ऐसे में अधिकांश ड्राइवर निजी आयोजनों में काम पर लगे रहते हैं क्योंकि वहां उन्हें अधिक मेहनताना मिल जाता है। ARM अवध बस अड्डे की माने तो “शादी-ब्याह के दिनों में निजी काम ज्यादा मिलते हैं, इसलिए ड्राइवर रोडवेज की संविदा नौकरी में आने से बचते हैं। यही वजह है कि इस समय आवेदकों की संख्या बहुत कम रहती है।” निगम की सफाई: सुविधाएं दी जा रहीं, फिर भी अभ्यर्थी नहीं निगम का कहना है कि संविदा ड्राइवरों को कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। इनमें शामिल हैं जिसमें प्रति किलोमीटर ₹2.06 का भुगतान, नाइट ड्यूटी का अतिरिक्त चार्ज, बीमा कवर, एक्सीडेंटल केस में ₹7.5 लाख का मुआवजा इसके बावजूद उम्मीदवारों का कम आना यह बताता है कि या तो सुविधाएं अपेक्षित नहीं हैं, या फिर निजी क्षेत्र में इससे ज्यादा कमाई के अवसर उपलब्ध हैं। ड्राइवरों की कमी से बस सेवाएं प्रभावित लखनऊ परिक्षेत्र में पिछले कई महीनों से ड्राइवरों की भारी कमी के कारण संचालन प्रभावित हो रहा है। कई रूटों पर बसें या तो समय से नहीं चल पा रही हैं या संख्या कम करनी पड़ रही है। निगम को उम्मीद थी कि भर्ती अभियान से स्थिति सुधरेगी, लेकिन शुरुआती दो दिनों ने तस्वीर और धुंधली कर दी है। निगम की कोशिशें जारी, लेकिन समाधान दूर अधिकारियों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया अगले कुछ दिनों तक चलेगी और उम्मीद है कि संख्या धीरे-धीरे बढ़ेगी। हालांकि, मौजूदा हालात को देखते हुए निगम को यह भी स्वीकार करना पड़ रहा है कि निजी क्षेत्र की तेज प्रतिस्पर्धा और मौसमी मांग ने ड्राइवरों को आकर्षित करना और कठिन बना दिया है। कमाई कम, जिम्मेदारी ज्यादा… इसलिए लोग नहीं आ रहे रोजगार मेले में पहुंचे कुछ अभ्यर्थियों ने साफ कहा कि रोडवेज की संविदा व्यवस्था में काम का दबाव बहुत अधिक है, जबकि आय उतनी नहीं कि परिवार आसानी से चल सके। एक उम्मीदवार ने कहा, “हम लोग काम तो कर लेंगे, लेकिन किलोमीटर के हिसाब से मिलने वाली कमाई बहुत कम है। प्राइवेट गाड़ियों में या ट्रांसपोर्ट लाइन में इससे ज्यादा पैसे मिल जाते हैं।” वहीं एक अन्य अभ्यर्थी ने कहा, “ड्यूटी घंटे तय नहीं होते, रात में भी चलाना पड़ता है लेकिन सुविधाएं सीमित हैं। इस वजह से बहुत लोग रोडवेज की नौकरी लेना ही नहीं चाहते।” इन बयानों से यह स्पष्ट होता है कि ड्राइवरों की अनुपस्थिति सिर्फ शादियों के सीजन की वजह नहीं, बल्कि संविदा व्यवस्था और वेतन संरचना को लेकर गहरी असंतुष्टि भी एक बड़ी वजह है।
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