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सहारा भूमि न्यूमैक्स सिटी भूमि घोटाला::चौ रविन्द्र गुर्जर चेतावनी दी, “न्यूमैक्स सिटी वाले कान खोलकर सुन लें, जिले में यह फ्रॉड नहीं चलेगा न हम होने देंगे।”भूमि घोटाले सीबीआई ईडी को सौपी जाए

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में सहारा समूह से जुड़े एक बड़े भूमि घोटाले ने हड़कंप मचा दिया है। राष्ट्रीय किसान यूनियन (आरकेयू) ने न्यूमैक्स इंटीग्रेटेड सिटी प्रोजेक्ट को लेकर चेतावनी जारी की है। आरकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी रविंद्र सिंह गुर्जर ने आरोप लगाया कि एनएच-58 मंसूरपुर के पास सहारा की 212.51 एकड़ कृषि भूमि पर फर्जी तरीके से न्यूमैक्स सिटी विकसित की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण (एमडीए) के अधिकारी इस घोटाले में साझेदार हैं। सेबी की निगरानी में हुआ फर्जीवाड़ा गुर्जर ने बताया कि यह जमीन सहारा समूह ने 17 शेल कंपनियों के माध्यम से खरीदी थी। निवेश घोटाले के बाद सेबी ने इसे 307 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन के साथ अधिग्रहित किया। गुर्जर ने सवाल उठाया कि “2025 में नक्शा पास हुआ, लेकिन 2024 से ही प्लॉट काटे जा रहे थे। यह फर्जीवाड़ा किस आधार पर हुआ? एमडीए के लोग इसमें पूरी तरह शामिल हैं।” उन्होंने दावा किया कि इसके समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और दस्तावेज मौजूद हैं। निवेशकों की मेहनत की कमाई डूबने का खतरा यह घोटाला सहारा के पुराने निवेश घोटाले से जुड़ा है, जिसमें 13 करोड़ निवेशकों के 86,000 करोड़ रुपये डूब गए थे। समाजसेवी विकास बालियान ने खुलासा किया कि ग्राम जड़ौदा, बेगराजपुर, धौला पुल जैसे इलाकों में यह भूमि बिना एमडीए अनुमति के बेची जा रही है। प्लॉट खरीदने वाले हजारों निवेशक अपना पैसा खोते देख रहे हैं। गुर्जर ने कहा, “न्यूमैक्स सिटी में जमीन बिकी तो पैसा सेबी के अकाउंट में जाना चाहिए था, लेकिन वह पैसा कहां गया? यह फोर्ड फर्जी तरीका है।”
सड़कों पर उतरने की दी धमकी आरकेयू अध्यक्ष ने साफ कहा, “न्यूमैक्स सिटी वाले कान खोलकर सुन लें, जिले में यह फ्रॉड नहीं चलेगा। न हम होने देंगे।” उन्होंने सीबीआई और ईडी से जांच की मांग की। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन तेज होगा। स्थानीय निवेशक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर न्याय की मांग की है।
भूमि सुधार और निवेश सुरक्षा पर सवाल विशेषज्ञों का मानना है कि सेबी और एमडीए की निगरानी में लापरवाही ने इस फर्जीवाड़े को जन्म दिया। सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार और निवेशकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।


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