पीलीभीत जिला पंचायत में लगभग 25 करोड़ रुपए के विकास कार्यों के टेंडर खुलने में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया के दौरान छुट्टी पर चल रहे इंजीनियर मिठाई लाल यादव के डिजिटल सिग्नेचर डोंगल का इस्तेमाल किया गया, जो नियमों का उल्लंघन और एक कानूनी अपराध है। अनियमितता उजागर होने के बाद जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी (ACO) धर्मेंद्र कुमार ने पहले सफाई दी। उन्होंने कहा कि टेंडर खोलते समय वे स्वयं और वीपीडीई मौजूद थे, इसलिए इंजीनियर की भौतिक उपस्थिति आवश्यक नहीं थी। हालांकि, जब उनसे छुट्टी पर गए इंजीनियर के डोंगल के इस्तेमाल के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई और जांच कराने की बात कही। मामले की गंभीरता को देखते हुए, मुख्य विकास अधिकारी (CDO) और जांच कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र श्रीवास ने संज्ञान लिया है। सीडीओ श्रीवास ने बताया कि उन्हें छुट्टी पर गए इंजीनियर के डोंगल के इस्तेमाल की जानकारी मिली है। उन्होंने अपर मुख्य अधिकारी धर्मेंद्र कुमार से इस संबंध में जवाब मांगा है और कहा कि जांच में लापरवाही पाए जाने पर निश्चित रूप से कठोर कार्रवाई की जाएगी। जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक अवस्थी ने इस मामले के कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसके डिजिटल सिग्नेचर डोंगल या ई-सिग्नेचर का उपयोग करना एक गंभीर कानूनी अपराध है। ऐसे कृत्य भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कड़ी कार्रवाई के दायरे में आते हैं। यह घटना जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है और पारदर्शिता की कमी को उजागर करती है। करोड़ों रुपए के टेंडरों में हुई इस अनियमितता की गहन जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है। मंगलवार को दो दर्जन से अधिक ठेकेदारों ने पीलीभीत के जिलाधिकारी से मुलाकात की। उन्होंने जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी पर बदतमीजी करने का आरोप लगाया और कहा कि बिना कागजात पूरे किए करोड़ों के टेंडर लेने वाला ठेकेदार ही विभाग के साथ मिलकर रिपोर्ट बनवा रहा है।
https://ift.tt/JWixT6G
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply