नौगढ़ विकासखंड में मनरेगा घोटाला एक दिन की गलती या किसी कर्मचारी की लापरवाही नहीं, बल्कि एक संगठित और सुनियोजित भ्रष्टाचार के रूप में सामने आ रहा है। जिस तरह हर दिन नई परतें खुल रही हैं, उससे साफ है कि सिस्टम के अंदर एक ऐसी चेन सक्रिय है जो न प्रशासन से डरती है और न ही मीडिया की लगातार पड़ताल से। सबसे चौंकाने वाली बात यह कि जिलाधिकारी के सख्त निर्देशों के बाद भी घोटाला थमा नहीं, बल्कि 1 दिसंबर को फर्जीवाड़ा और बढ़ गया।मौके पर जहां सिर्फ 14 मजदूर काम करते मिले, वहीं मास्टर रोल में 92 मजदूर दर्ज कर दिए गए। यानी एक ही दिन में 78 फर्जी मजदूर “कागजों पर पैदा” कर दिए गए। इस घोटाले की शुरुआत 17–30 नवंबर के बीच जगदीशपुर राजा गांव से हुई, जिसने पूरे जिले को हिला कर रख दिया। -अमृत सरोवर से रेलवे ट्रैक तक काम दिखाया गया -जमीनी हकीकत—सिर्फ ट्रैक्टर का रोटावेटर चलने के निशान -मास्टर रोल में 521 मजदूरों की हाजिरी दर्ज -अलग-अलग मदों में कुल 1502 मजदूर दिखाकर 3,78,504 रुपए की निकासी गांव में न मजदूरों की भीड़ दिखी, न फावड़ा–कुदाल चली। लेकिन कागजों पर मजदूर बढ़ते गए और पेमेंट भी जारी होता रहा। 1 ही मजदूर की तस्वीर से बनाई गई मनरेगा की प्रक्रिया में जिओ-टैगिंग सबसे अहम होती है—मजदूर की फोटो, नाम, समय और लोकेशन—सब कुछ डिजिटल रिकॉर्ड होता है। लेकिन नौगढ़ में इसी तकनीक का सबसे बड़ा दुरुपयोग हुआ। -एक ही मजदूर की अलग-अलग एंगल से ली गई तस्वीरें -वही फोटो डजनो मास्टर रोल में चढ़ाई गईं -10 मजदूरों की फोटो के सहारे बनाए गए 100+ मजदूर -तस्वीरें कभी दूर से, कभी पास से—लेकिन मजदूर वही यानी तकनीकी सेटिंग के बिना यह संभव ही नहीं। जगदीशपुर राजा के ग्रामीण खुलकर बोलने को तैयार नहीं, लेकिन सच स्वीकार कर रहे हैं—“मजदूरों से काम नहीं कराया गया। सिर्फ ट्रैक्टर से जितवाया गया। पर नाम मत लिखना… मुश्किल हो जाएगी।” गांव से लेकर ब्लॉक ऑफिस तक सिंडिकेट की चर्चा खुले तौर पर हो रही है। मनरेगा की किसी भी परियोजना में -मास्टर रोल -मजदूरों की जिओ-टैग फोटो -भुगतान की स्वीकृतिइन सबमें अधिकारियों की अनिवार्य भूमिका होती है। ग्रामीणों का सीधा आरोप—ऊपर तक सेटिंग न हो तो इतना बड़ा खेल संभव ही नहीं।” जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जी.एन. ने कहा—“जांच कराई जाएगी, दोषियों पर कार्रवाई होगी।” लेकिन हैरानी ये कि DM के बयान के अगले ही दिन, 1 दिसंबर को भी फर्जीवाड़ा खुलकर जारी रहा। -मौके पर मजदूर -मास्टर रोल में दर्ज: 92 -फर्जी मजदूर: 78 यानी ब्लॉक स्तर के कर्मचारियों पर DM के आदेश का भी कोई असर नहीं। पूरे घोटाले में तीन स्तर पर समानांतर कमाई की चेन की चर्चा ऊपर अधिकारी बीच में ब्लॉक स्टाफ नीचे गांव का तंत्र (प्रधान–सचिव) मजदूर सिर्फ कागजों पर पैदा किए जाते हैं और पूरा पैसा एक तय “सिस्टम” में घूम जाता है। सरकार सख्ती के दावे करती है, नियम भी मजबूत हैं, लेकिन भ्रष्ट तंत्र ने उन सभी नियमों को तोड़ने के रास्ते निकाल लिए हैं। जिले में अब चर्चा सिर्फ एक ही बात की—क्या प्रशासन इस पर सख्त कदम उठाएगा? -क्या BDO नौगढ़ पर कार्रवाई होगी? -क्या APO और मनरेगा लोकपाल पर शिकंजा कसेगा? -क्या DC मनरेगा जवाबदेह ठहराए जाएंगे?
https://ift.tt/lpywR1U
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply