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अनंत सिंह ने शपथ नहीं ली तो क्या जाएगी विधायकी:6 माह में शपथ लेना क्यों जरूरी, भाजपा ने अपना स्पीकर बनाकर नीतीश को फंसाया

आज की 2 बड़ी खबर है… पहली- 243 में से 235 विधायकों ने पहले दिन मने 1 दिसंबर को शपथ ली। अनंत सिंह सहित 7 विधायकों ने शपथ नहीं ली। दूसरी- विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव आज होगा। भाजपा नेता प्रेम कुमार ने NDA की तरफ से स्पीकर पद के लिए नामांकन किया है। उनका निर्विरोध चुना जाना तय है। शपथ नहीं लेने वाले विधायकों में एक नाम खास हैं मोकामा विधायक अनंत सिंह का। वह फिलहाल दुलारचंद यादव की हत्याकांड में बेऊर जेल में बंद हैं। विधायक शपथ क्यों लेते हैं। अगर बाहुबली अनंत सिंह शपथ नहीं लेते हैं तो क्या उनकी विधायकी जाएगी। भाजपा ने अपना स्पीकर बनाकर क्या साधा। जानेंगे, आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में…। खबर-1. शपथ लेना जरूरी, नहीं तो चली जाएगी विधायकी पहले दिन 235 विधायकों ने अपने पद की शपथ ली। प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राजभवन में ही शपथ दिला दी थी। बाकी बचे 7 विधायकों मदन सहनी, जीवेश मिश्रा, विनय बिहारी, अनंत सिंह, केदारनाथ सिंह, डॉ. सुनील कुमार और अमरेंद्र पांडेय ने शपथ नहीं ली। अनंत सिंह जेल में बंद हैं, जबकि बाकी विधायक पटना में नहीं थे। इस कारण शपथ नहीं ले सके। संविधान के आर्टिकल-188 और आर्टिकल-193 में विधायकों की शपथ की प्रक्रिया और अधिकार का जिक्र है। उसके मुताबिक… जमानत या पैरोल मिलने पर ही अनंत सिंह ले सकते हैं शपथ अनंत सिंह की पहचान बाहुबली नेता की है। वह 1 नवंबर की रात से दुलारचंद यादव की हत्या मामले में जेल में बंद हैं। दरअसल, 30 अक्टूबर की दोपहर जनसुराज कैंडिडेट पीयूष प्रियदर्शी और JDU प्रत्याशी अनंत सिंह के समर्थकों के बीच झड़प हुई थी। झड़प में RJD नेता दुलारचंद यादव की मौत हो गई। दुलारचंद के परिजनों ने इसे हत्या बताया और उसका आरोप अनंत सिंह पर लगाया। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। सीनियर एडवोकेट हर्षवर्धन बताते हैं, ‘विधानसभा का सदस्य चुने जाने के बाद अनंत सिंह को संविधान के आर्टिकल-188 के आधार पर शपथ लेने का संवैधानिक अधिकार है। इसके लिए उन्हें कोर्ट से अंतरिम राहत मिल सकती है। ये असामान्य नहीं है और अदालतें अक्सर जेल में बंद राजनेताओं को शपथ लेने के लिए ऐसी अस्थायी राहत देती हैं।’ 2020 में कोर्ट ने अनंत सिंह को दी थी इजाजत 2020 विधानसभा चुनाव में भी अनंत सिंह जेल से ही चुनाव जीते थे। जब विधानसभा का सत्र शुरू हुआ तो उन्होंने शपथ लेने के लिए पैरोल मांगी। जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया और उन्होंने विधानसभा में आकर शपथ ली थी। खबर-2ः प्रेम कुमार होंगे स्पीकर, भाजपा ड्राइविंग सीट पर 9वीं बार विधानसभा पहुंचे भाजपा नेता प्रेम कुमार का विधानसभा अध्यक्ष बनना लगभग तय है। आज उसकी औपचारिकता पूरी हो जाएगी। 1 दिसबंर को NDA की तरफ से उन्होंने स्पीकर पद के लिए नामांकन किया। महागठबंधन ने स्पीकर के लिए अपना प्रत्याशी नहीं उतारा। इसका मतलब हुआ कि स्पीकर का चुनाव नहीं होगा। सर्वसम्मति से प्रेम कुमार विधानसभा अध्यक्ष चुन लिए जाएंगे। स्पीकर के पास वो शक्तियां, जिसकी वजह से हर पार्टी चाहती है यह पद लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी के मुताबिक, स्पीकर का मुख्य काम विधानसभा को नियम और कानून से चलाना है। विधानसभा सदस्यों की शक्तियों और विशेषाधिकारों की भी रक्षा करते हैं। भाजपा का प्लानः नीतीश दूसरी तरफ शिफ्ट ना हो सके चुनावी नतीजे ऐसे हैं कि नीतीश कुमार भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ भी मिलकर सरकार बना सकते हैं। इसे ऐसे समझिए… पॉलिटिकल एक्सपर्ट सत्यभूषण सिंह कहते हैं, ‘भाजपा इस बार पहले की तुलना में ज्यादा ताकतवर है। पहले उसने नीतीश कुमार से गृह मंत्री पद छीना। अब विधानसभा अध्यक्ष भी उसने अपना बनाया है। इससे साफ है कि भाजपा अब पूरी तरह बिहार की पॉलिटिक्स को कंट्रोल कर रही है।’ सत्यभूषण सिंह कहते हैं, ‘भाजपा भले नीतीश कुमार के चेहरे को आगे कर रही है, लेकिन उनके पाला बदलने के इतिहास को देखते हुए अंदर ही अंदर आशंकित भी है। इसलिए इस बार कमांड पूरी तरह अपने हाथ में ले रही है। इस बार अगर पाला बदलते हैं तो भाजपा चुप नहीं बैठेगी। उन्हें पूरी तरह तोड़ने का प्रयास करेगी। और ऐसी परिस्थिति में विधानसभा अध्यक्ष अहम पोस्ट होगा।’


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