भास्कर न्यूज | लखीसराय भारत सरकार की वॉल्यून्टरी व्हीकल फ्लीट मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम या वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत देश के हर जिले में कम से कम दो से तीन पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाएं स्थापित करने का लक्ष्य है। यह नीति पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर सड़क सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और ऑटो सेक्टर में नवीन तकनीक को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई है। हालांकि, लखीसराय जिला अब तक इससे वंचित है, क्योंकि यहां एक भी स्क्रैप सेंटर स्थापित नहीं हो पाया है। जिले में वाहन स्क्रैपिंग सुविधा विकसित करने की प्रक्रिया वर्षों से अधर में लटकी हुई है। सरकार की महत्वाकांक्षी नीति को धरातल पर सफल बनाने के लिए जरूरी है कि लखीसराय जैसे छोटे जिलों में भी निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाए। स्थानीय उद्यमियों को नीति के लाभ, अनुदान और भविष्य की संभावनाओं के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। स्क्रैप सेंटर होने से पर्यावरण प्रदूषण में कमी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। 3 से 4 करोड़ में स्क्रैपिंग प्लांट स्थापित होता है लखीसराय के एमवीआई प्रतिक कुमार ने बताया कि एक स्क्रैप प्लांट स्थापित करने में लगभग 3 से 4 करोड़ रुपये की लागत आती है। जिले में स्क्रैप करवाने वाले वाहन मालिकों की संख्या बेहद कम है, जिसके कारण निवेशक रुचि नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार इस परियोजना के लिए अनुदान (सब्सिडी) का प्रावधान भी दे रही है, लेकिन फिर भी स्थानीय स्तर पर इच्छुक उद्यमी आगे नहीं आ रहे हैं। एमवीआई के मुताबिक, जिले में स्क्रैप की संभावनाएं कम होने के कारण निजी कंपनियां अभी तक लखीसराय को निवेश के लिए उपयुक्त नहीं मान रही हैं। लखीसराय जिला प्रशासन ने सरकारी स्तर पर 15 वाहनों को स्क्रैप के लिए चिह्नित किया है। लेकिन जिले में स्क्रैप सेंटर नहीं होने के कारण इन वाहनों को भी बाहर जिले में भेजना पड़ेगा। वाहन मालिकों को अपने पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने के लिए बेगूसराय, बख्तियारपुर और पटना तक जाना पड़ता है।
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