भास्कर न्यूज | अरवल लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार की 27वीं बरसी पर सोमवार को शहीद स्मारक परिसर में भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। 1 दिसंबर 1997 की मध्य रात्रि में रणवीर सेना द्वारा गांव के 58 लोगों की निर्मम हत्या की गई थी। इस दर्दनाक घटना को याद करते हुए उपस्थित लोगों ने शहीदों के प्रतिमास्थल पर पुष्प अर्पित किया और एक मिनट का मौन रखकर उन्हें नमन किया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व भाकपा माले जिला कमेटी सदस्य सुरेंद्र प्रसाद ने किया। सभा में जिला कमेटी सदस्य उमेश कुमार, सुएब आलम, पूर्व मुखिया गया सिंह सहित कई ग्रामीण शामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद सरकार ने सेशन कोर्ट गठित किया था और दोषियों को सजा दिलाई गई, लेकिन भाजपा-जदयू सरकार बनने के बाद पटना हाईकोर्ट से सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया, जिससे पीड़ितों को न्याय की उम्मीद फिर कमजोर हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि अमीर दास आयोग को भी इसी सरकार ने भंग कर दिया, जबकि आयोग को नरसंहारों से जुड़े व्यापक सत्य की पड़ताल करनी थी। वक्ताओं ने कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार को राष्ट्रीय शर्म करार दिया था। इसके बावजूद आज भी दलित-गरीब वर्ग न्याय और पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों के घरों पर बुलडोजर चला रही है और वर्षों से बसे लोगों को उजाड़ने का काम किया जा रहा है, जबकि 20 साल से लगातार 5 डिसमिल जमीन और पक्का घर देने का वादा किया जाता रहा है। जातीय जनगणना व आर्थिक सर्वेक्षण में पहचाने गए 94 लाख गरीब परिवारों को 2–2 लाख रुपये देने का आश्वासन भी अभी तक अधूरा है। नेताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव के समय महिलाओं को जीविका समूह के माध्यम से ₹10,000 देकर वोट प्रभावित करने की कोशिश की गई। वहीं बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दों पर सरकार जवाब देने से बच रही है। कार्यक्रम में राम नारायण राम, लक्ष्मण राजवंशी समेत सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे। श्रद्धांजलि सभा में शामिल लोग।
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