प्रयागराज में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित दस दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेला 2025 का शुभारंभ सोमवार को शिल्प हाट मेले की भव्यता और सांस्कृतिक विविधता के साथ शुरुआत हुआ। उद्घाटन समारोह में देसी कलाओं, लोक परंपराओं और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का ऐसा अद्भुत संगम दिखाई दिया जिसने दर्शकों को मोहित कर दिया। मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर, केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा और कार्यक्रम सलाहकार कल्पना सहाय ने दीप प्रज्ज्वलन कर मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पिछले चार दशकों से लोक कलाओं की धरोहर को संरक्षित कर रहा है, और शिल्प मेला प्रयागराज की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण वार्षिक उत्सव बन चुका है। उन्होंने स्वदेशी शिल्पों और उत्पादों को आत्मनिर्भरता तथा राष्ट्रगौरव से जोड़ते हुए इनके संरक्षण और प्रोत्साहन की आवश्यकता पर बल दिया। मालिनी अवस्थी की लोकगाथाओं में डूबा प्रयागराज उद्घाटन के तुरंत बाद शुरू हुई सांस्कृतिक संध्या का केंद्रबिंदु रहीं पद्मश्री मालिनी अवस्थी, जिनकी उपस्थिति ने वातावरण को सुरमयी और दिव्य बना दिया। उन्होंने माँ गंगा को नमन करते हुए “मोरे राम जोगिनी बनूंगी” की प्रस्तुति से शुरुआत की। उनके सुरों की गूंज से पंडाल करतल ध्वनि से भर उठा। मालिनी अवस्थी ने “रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे”, “मोरे अंगना भवानी आई”, “हो रामा हो रामा”, “केसरिया बालम पधारो म्हारे देस”, से लेकर “सावन आया रे, मेघ छाए रे” जैसे लोकप्रिय लोकगीतों की मनमोहक प्रस्तुतियों से शाम को लोकधुनों की मिठास और भक्ति रस से सराबोर कर दिया। उनकी हर प्रस्तुति पर दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रेम और सम्मान व्यक्त किया। सांस्कृतिक संध्या में देशभर से आए कलाकारों ने लोकनृत्यों की सुंदर श्रृंखला प्रस्तुत की। असम की स्वागता शर्मा ने बिहू नृत्य से पूर्वोत्तर की लोक-लय बिखेरी तो मध्य प्रदेश के जुगल किशोर दल ने बधाई व नौरता नृत्य से दर्शकों को रोमांचित किया। हरियाणा के प्रदीप कुमार बमनी दल ने फाग नृत्य से फागुन की उमंग जगाई, वहीं झांसी की राधा प्रजापति दल ने राई नृत्य से बुंदेलखंड की गरिमा को मंच पर जीवंत किया।
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